शनिवार, 2 अप्रैल 2022

चार्ली चैपलिन (Charlie Chaplin)

  

        चार्ली चैप्लिन का नाम आपने अवश्य ही सुना होगा। एक हंसोड़😃 अभिनेता। उसकी कोई वर्षगांठ थी। सारी दुनिया में उसकी ख्याति थी। सारे लोग, न मालूम कितने लोग उससे प्रेम करते थे। उसके मित्रों ने, एक उसके जन्मदिन🎂 पर एक प्रतियोगिता का आयोजन किया। सारे योरोप में यह खबर भेजी गई कि जो लोग भी चार्ली चैप्लिन का पार्ट करना चाहें, वह प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। सारे मुल्कों में अलग-अलग प्रतियोगिताएं हुई। कुछ अभिनेताओं ने पार्ट किया चार्ली चैप्लिन का।उनमे से छः अभिनेता चुने गए और लंदन में उनका अंतिम निर्णायक अभिनय हुआ।

        चार्ली चैप्लिन ने सोचा अपने मन में कि मैं भी किसी दूसरे नाम से चोरी के दरवाजे से, इस प्रतियोगिता में सम्मिलित क्यों न हो जाऊं! क्योंकि मुझे तो प्रथम पुरस्कार मिल ही जाएगा। मैं खुद ही चार्ली चैप्लिन हूं। मुझसे बेहतर हमको तो कोई जानता नहीं है तो हमसे बेहतर कौन मेरा रोल निभा पाएगा। मुझे तो प्रथम पुरस्कार मिलना तय हैं। वह झूठे नाम से फार्म भर कर पीछे के दरवाजे से प्रतियोगिता में सम्मिलित हो गया। उसके मित्रों को भी पता नहीं चला की चार्ली चैप्लिन भी सम्मिलित हो गया है। प्रतियोगिता हुई, चार्ली चैप्लिन भी परिणाम को देखकर हैरान हो गया क्योंकि उसे दूसरा पुरस्कार मिला था। पहला पुरस्कार कोई और ले गया। 

         उक्त बातें लोगों को बाद में पता चली कि चार्ली चैप्लिन खुद भी सम्मिलित था। तब तो लोग दंग रह गए। उस अभिनेता पर दंग रह गए जिसको प्रथम पुरस्कार मिला था।


           मैने आपसे कहा न हो सकता है कि महावीर का अभिनय करने वाला कोई आदमी पुरस्कार ले जाए लेकिन महावीर हार जाएं। इसमें कोई बड़ी कठिनाई नहीं है। अभिनेता सच्चे आदमी से ज्यादा धोखे का सिद्ध हो सकता है। क्योकि सच्चे आदमी से भूल-चूक भी होती है। सच्चा आदमी जीता है। जहां जिंदगी है वहां भूल-चूक हो सकती है। लेकिन झूठा आदमी जीता ही नहीं है, उससे भूल-चूक का कोई सवाल ही नहीं है। वह हमेशा ही ठीक होता है। क्योंकि गणित के हिसाब से चलता है, मशीन की तरह चलता है। वह आदमी नहीं होता है, उसमें चेतना नहीं होती है।


        तो यह भी हो सकता है कि कोई आदमी सफल हो जाए, लेकिन वह सफलता खतरनाक है क्योंकि वह अपनी आत्मा को खोकर ही सफल हो सकता है। जितना अभिनय हो जाएगा, उतनी ही आत्मा खो जाएगी। क्योंकि मैं अभिनय करूंगा किसी और का और मेरी आत्मा मेरी ही हो सकती है, किसी और की नहीं हो सकती। मैं लाख उपाय करूं, तो भी मेरी आत्मा मेरी है, और किसी और कि नहीं। लेकिन आदमी को यह सिखाया जाता रहा है सैंकड़ों वर्षों से कि तुम हो जाओ, किसी जैसे हो जाओ, किसी जैसे बनो। हम बच्चों को बचपन से यह सिखा रहे हैं कि तुम बनो किसी जैसे। कोई किसी बच्चे से नहीं कहता कि अपने जैसे बनो।


        अगर फूलों की बगिया में ऐसे उपदेशक पहुंच जाएं और चमेली से कहने लगें कि चंपा जैसे हो जाओ, और जूही से कहने लगें, गुलाब जैसे हो जाओ तो क्या होगा?


       मान लो कि कोई फूल मान ले, और राजी हो जाए, और जूही चंपा बनने लगे और चंपा गुलाब बनने लगे तो उस बगिया में क्या होगा? वह बगिया उजड़ जाएगी, उस बगिया में फूल पैदा होने बंद हो जाएंगे। क्यों? जूही गुलाब नहीं हो सकती। चंपा जूही नहीं हो सकती। लेकिन गुलाब होने की कोशिश में जूही गुलाब तो हो ही नहीं पाएगी, जूही होने से भी वंचित हो जाएगी। ताकत लग जाएगी गुलाब होने में, तो जूही होने की शक्ति शेष नहीं रह जाएगी। और तब उसके प्राण बेचैन हो जाएंगे। और तब उसके सारे प्राण कंपित हो जाएंगे और चिंता से भर जाएंगे क्योंकि जब कोई बीज वृक्ष नहीं पहुंचा पाता और उसमें फूल नहीं आ पाते तब तक बेचैनी और तनाव आवश्यक है, निश्चित है, स्वाभाविक है। यह हर आदमी इतना बेचैन है जमीन पर, क्यों? क्योंकि हर आदमी के भीतर जो बीज है वह विकसित नहीं हो पाता, उसे सुगंध पैदा नहीं हो पाती, वह बीज का बीज ही रह जाता है। तो प्राण, सारे प्राण सिकुड़ जाते हैं, परिसीमित हो जाते हैं, जैसे कि लकवा लग गया हो। और तब जो तड़पन पैदा होती है वह चित्त को बहुत जटिल कर जाती है। बचैन, अशांत, परेशान कर जाती है।


         तो पहली बात है, जिस व्यक्ति को सरल होना हो उसे समस्त आदर्शों को विदा कर देना चाहिए, उसे नमस्कार🙏 कर लेना चाहिए। उसे अपने को कह देना चाहिए, मैं जो हो सकता हूं वही मैं होऊंगा। मैं जो होने को पैदा हूं, उसकी खोज करूंगा। मेरा जो स्वभाव है, मेरा जो स्वधर्म है, मैं उसे जानूंगा और पहचानूंगा, मैं वही होऊंगा। मैं कोई और नहीं हो सकता। न मुझे कोई और होने की आकांक्षा है। अगर यह बात स्पष्ट हो जाए कि मुझे किसी की नकल नहीं करनी है तो जीवन में एक अदभुत क्रांति हो जाएगी। एक सरलता आनी शुरू हो जाएगी। चित्त एकदम एक नई दिशा को पकड़ लेगा।


--ओशो की किताब एक नया द्वार से संक्षिप्त.....



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें