शनिवार, 2 अप्रैल 2022

मुहब्बत💗 का कोई क़िस्सा मुकम्मल हो नहीं सकता”




 “हर एक कपड़े का टुकड़ा मॉं का आँचल हो नहीं सकता 

जिसे दुनिया को पाना है वो पागल हो नहीं सकता 

जफ़ाओं की कहानी जब तलक इसमें न शामिल हो 

मुहब्बत💗 का कोई क़िस्सा मुकम्मल हो नहीं सकता”


डॉ० कुमार विश्वास✍️

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