रविवार, 10 अप्रैल 2022

प्रभु श्री राम🙏


         सबके अपने-अपने राम हैं, सब अपने-अपने ढंग से राम को गढ़ते हैं एवं उन्हें परिभाषित करते हैं। परन्तु आज के इस लेख✍️ हम बात करेंगे अपने अराध्य प्रभु श्री राम🙏 की।


        हमारे गाँव में दुर्गा पूजा का पंडाल मेरे घर के पास ही निर्मित होता था एवं पंडाल में हर साल रामायण को चलाने का रिवाज था।

पहले Black & White TV  एवं उसके उपरांत प्रोजेक्टर से ही सही पर हमने तो वहीं राम को देखा है, राम को जिया है।

     प्रभु श्री राम के लिए अनगिनत लोगों को कभी हँसते तो कभी रोते देखा है, कभी ख़ुद भी हंसा और रोया है।

      हम अपने राम को वहीं से जानते आए हैं, देखते और सुनते आए हैं। बाबा तुलसी ने राम को हर घर पहुँचा दिया, एक ऐसे राम को जिसे हर माँ अपने पुत्र के रूप में पाना चाहती हो। एक ऐसे राम को जिसे हर पत्नी अपने पति के रूप में धारण करना चाहती हो। एक ऐसे राम जिसे हर पिता अपने पुत्र के रूप में पाना चाहता हो।


कहा जाता है कि रामायण कई हैं और सच भी है।


       हमारे राम जोड़ने वाले राम हैं। सबरी के जूठे फल हों या निषाद राज से अटूट मित्रता, हमने वैसे राम को देखा है। हम चाहते भी हैं कि हमारे राम उसी रूप में हों और हम उसी रूप को स्वीकार भी करते हैं।

     हमने बचपन में राम को वनवास जाते वक्त कौशल्या से अधिक रोते हुए अपनी गाँव की माताओं एवं बहनों को देखा है। अँचरा के कोर से महिलाओं को तो धोती के कोर से बुजुर्गों को अपने आंसू को पोछते हुए देखा है।


       हमारे राम मर्यादा के प्रतीक हैं, पुरुषों में उत्तम हैं। अपनों को भी बिना मतलब के चीजों के लिए लड़ते देखने वाले इस दौर में पिता के वचन के लिए अपना सबकुछ त्याग देने वाले राम को भला हम कैसे भूल सकते हैं। भाई-भाई आज जहाँ बेमतलब लड़ रहे हों वहाँ राम के लिए भरत और भरत के लिए राम के त्याग को याद कर आँखों का नम हो जाना बड़ा स्वाभाविक है।


        साहित्य का सृजन समाज के सकारात्मकता के लिए ही होना चाहिए। कुछ लोग आज जब राम को भी महज़ किसी नारे या फिर अपने हित के लिए उपयोग की वस्तु बनाए बैठे हों तो इस समय राम भी कुपित और कुंठित होंगे।


      आज राम के लिए कई रो रहे होंगे तो राम की आँखें भी हम सब के लिए नम हो उठी होंगी।


       राम आदर्श के साथ ही व्यावहारिक भी हैं और सदैव रहेंगे। मसला ये है कि आप अपने किसी अस्त्र या शस्त्र का उपयोग किस लिए कर रहे हैं, हिंसा के लिए या फिर हिंसा के प्रतिकार के लिए।


हे राम।


साभार:- सोशल मीडिया



1 टिप्पणी:

  1. राम है
    इसलिए हम सब हैं,
    बिनु राम के इस जग में
    बाकी सब कम है, कम है।
    जय श्री राम 🙏😊🙏

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