बुधवार, 13 अप्रैल 2022

भविष्यपयोगी भावी दामाद।


लड़की देखने/दिखाने का रस्म चल रहा था।

लड़के ने शर्माते हुए पूछा- "सुना है आप कई लड़कों को रिजेक्ट कर चुकी हैं ?"


लड़की ने नजरें नीची कर लीं और धीरे से शर्माते हुए बोली- Hmmm("हम्म")


लड़के ने हाथ से अपनी पंखे की हवा से उड़ते हुए जुल्फों को संवारते हुए पूछा- "सुना है आपने कई डॉक्टर्स और इंजीनियर्स यहां तक कि सरकारी नौकरी करने वाले लड़के को भी भाव नहीं दिया।"


लड़की ने माथे से सरक रहे दुपट्टे को सरकने दिया और आंखों में समर्पण का भाव लिए बोली- 


"आप, आप है वही!!! दिल💗 ने जिसे अपना कहा।"


अब तो लड़के की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो उस बला सी खूबसूरत लड़की👩‍🦰 से नजरें मिला सके। उसने गर्दन नीची कर ली और खुद को चिकोटी भी काटी, यकीन हो गया कि कुछ ख्वाब सच भी हो सकते हैं। मोबाइल पर आए यूट्यूब नोटिफिकेशन "पीली सरसो और काली मिर्च से लड़की को करें वश में" को Skip किया और प्रेम💗 की पराकाष्ठा वाली बिल्डिंग में खुद को टॉप फ्लोर पर महसूस करते हुए उसने आँखें बंद करके पूछा-


"मैं एक प्राइवेट स्कूल मास्टर, 

दिखने में हूँ साधारण सा। 


खुद को आपके सामने कहीं नहीं पाता, 

आखिर आपने मुझमें ऐसा क्या देखा ? 


हम बस दो बार ही मिले हैं। 


आपके दिल💗 ने कब कहा कि, 

मैं वहीं हूँ जिसे आपका दिल💗 अपना मान बैठा ?"


लड़की कुछ जवाब देती उससे पूर्व लड़के के मन में सुनील जोगी की एक कविता उभरने लगी।


मुश्किल है अपना मेल प्रिये, 
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये।

तुम MA फर्स्ट डिविजन हो, 
मैं हुआ मेट्रिक फेल प्रिये।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, 
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये।

तुम फौजी अफसर की बेटी, 
मैं तो किसान का बेटा हूं।

तुम रबड़ी खीर मलाई हो, 
मैं तो सत्तू सपरेटा हूं।

तुम AC घर में रहती हो, 
मैं पेड़ के नीचे लेटा हूं।

तुम नई मारुती लगती हो, 
मैं स्कूटर लम्ब्रेटा हूं।

इस कदर अगर हम छुप-छुप कर, 
आपस में प्यार💗 बढ़ाएंगे।

तो एक रोज तेरे डैडी, 
अमरीश पुरी बन जाएंगे।

सब हड्डी-पसली तोड़ मुझे, 
वो भिजवा देंगे जेल प्रिये।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, 
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये।

तुम अरब देश की घोड़ी हो, 
मैं हूं गदहे की नाल प्रिये।

तुम दीवाली का बोनस हो, 
मैं भूखों की हड़ताल प्रिये।

तुम हीरे जड़ी तश्तरी हो, 
मैं एल्युमिनियम का थाल प्रिये।

तुम चिकन सूप बिरयानी हो, 
मैं कंकड़ वाली दाल प्रिये।

तुम हिरन चौकड़ी भरती हो, 
मैं हूं कछुए की चाल प्रिये।

तुम चंदन वन की लकड़ी हो, 
मैं हूं बबूल की छाल प्रिये।

मैं पके आम सा लटका हूं,
मत मारो मुझे गुलेल प्रिये।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, 
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये।

मैं शनि देव जैसा कुरूप, 
तुम कोमल कंचन काया हो।

मैं तन से मन से कांशीराम, 
तुम महा चंचला माया हो।

तुम निर्मल पावन गंगा हो, 
मैं जलता हुआ पतंगा हूं।

तुम राज घाट का शांति मार्च, 
मैं हिन्दू-मुस्लिम दंगा हूं।


मैं ढाबे के ढांचे जैसा, 
तुम पांच-सितारा होटल हो।

मैं महुए का देसी ठर्रा, 
तुम ‘रेड लेबल’ की बोतल हो।

तुम चित्रहार का मधुर गीत
मैं कृषि दर्शन की झाड़ी हूं।

तुम विश्व सुन्दरी सी कमाल, 
मैं तेलिया-छाप कबाड़ी हूं।

तुम सोनी का मोबाइल हो, 
मैं टेलीफोन वाला चोगा।

तुम मछली मनसरोवर की, 
मैं हूं सागर तट का घोंघा।

दस मंजिल से गिर जाऊंगा, 
मत आगे मुझे धकेल प्रिये।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, 
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये।

मुझको रेफ्री ही रहने दो, 
मत खेलो मुझसे खेल प्रिये।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, 
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, 
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये।


      लड़की भी थोड़ी शायराना मिजाज की थी कविता का रसास्वादन करने के बाद जब मुस्कुराई तो उसकी सफेद दंतपंक्तियों की आभा में युवक को अपना OPS (Outstanding Performance Series) दिख रहा था, लड़की ने पूरे विश्वास के साथ कहा- "मैं तो उसी दिन आप पर अपना दिल💗 हार बैठी थी जिस दिन घर के अंदर दाखिल होते वक्त आपका सिर दरवाजे से धाड़ से लगा था। साढ़े छः फुट की हाइट मेरे लिए बाकी सभी चीजों पर भारी है।"

"मेरी लंबाई के प्रति इतना आकर्षण?"🤔 पहली बार लड़के को अपनी लंबाई पर गर्व महसूस हो रहा था।


"लंबे व्यक्ति ही कामयाब होते हैं।" लड़की ने लड़के को कुछ सोचते हुए देख कर कहा।


"वो कैसे ?"....लड़का उतावला हो गया।


"वो छत के कोने में मकड़ी के जाले🕸️देख रहे हैं ना? मम्मी दस बार पापा से साफ करने को बोल चुकी है लेकिन नहीं कर पाए। स्टूल पर चढ़ कर साफ करने से डरते हैं कि कहीं गिर कर हड्डी न तुड़वा बैठें। यही जाला🕸️ यदि मैं आपको साफ करने को कहूँ तो मिनट भी नहीं लगेंगे और बिना स्टूल के सिर्फ झाड़ू से साफ कर देंगे.... क्यों कर देंगे ना?"


"हाँ, हाँ बिल्कुल !!!"....कहकर लड़का उठा और झाड़ू से जाला🕸️ साफ कर दिया ।


लड़की ने अपनी माँ की तरफ देखा और आत्मविश्वास से कहा- "देखा माँ!!! तुम्हारे ठिगने डॉक्टर, इंजीनियर, और सरकारी सेवक जवानी में तो स्टूल लगाकर जाले🕸️ साफ कर लेते लेकिन मुझे चिंता बुढापे की थी, अगर किसी दुर्घटना में इनकी टाँगे नहीं जाती हैं तो यह आदमी रिटायरमेंट के बाद भी इतना ही लंबा रहेगा और बिना किसी डर के जब तक जिंदा रहेगा तब तक घर के बाकी कामों के साथ-साथ जाले🕸️ भी साफ करता रहेगा।"


      माँ ने बेटी को गले से लगा लिया, भावी दामाद की तरफ दया की दृष्टि  से देखते हुए वो मुस्कुराए🤗 भी जा रही थी।

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