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बुधवार, 4 जून 2025

खोइँछा (खोंइचा)


        शादी के बाद दीदी की विदाई हो रही थी। रोती हुई दीदी ने अपना आंचल आगे फैलाया और मां ने उसमें मुट्ठी भर चावल, हल्दी का एक टुकड़ा, सिंदूर की पुड़िया और थोड़े से पैसे बांध दिए। शादी के बाद दीदी के साथ कई-कई बक्से भर कर सामान जा रहा था। ढेर सारे कपड़े, गहने, बर्तन, बिस्तर और भी बहुत कुछ। फिर मां ने ये एक मुट्ठी चावल दीदी के आंचल में क्यों बांध दिए ? दीदी एक मुट्ठी चावल का क्या करेगी? इतने में तो वो अपने लिए भात भी नहीं बना पाएगी। अगर मां चाहती है कि दीदी जब ससुराल जाए, तो वहां एक दिन खिचड़ी बना कर खा ले, तो फिर चावल और हल्दी ही क्यों?  

सभी रो रहे थे। दीदी मां के गले से लगी थी। ऐसे में मां का संजू बेटा चाह कर भी किसी से नहीं पूछ पाया कि मां इतना सा चावल क्यों? दीदी विदा हो कर चली गई थी। कई दिनों बाद एक दिन संजय सिन्हा ने मां से पूछ लिया कि मां, उस दिन आपने दीदी के आंचल मे मुट्ठी भर चावल क्यों बांधा था? 

मां मुझे समझाने लगी, “बेटा, इसे खोइँछा (खोंइचा) कहते हैं। लड़कियां जब मां का घर छोड़ कर जाती हैं तो मांएं उनका खोंइचा भरती हैं। इस एक मुट्ठी चावल में मां का प्यार भरा होता है।“

“तो फिर लड़कों को भी शादी के बाद प्यार का खोंइचा मिलेगा ?”

मां समझ गई कि उनका लाडला संजू इतने से नहीं मानने वाला। उसे खोंइचे का पूरा अर्थ जानना है।

मां ने कहना शुरू किया, “बेटी लक्ष्मी होती है। जब वो मां के घर से पति के घर जाती है तो मां उसके आंचल में चावल इसलिए बांधती है, ताकि उसका घर धन-धान्य से भरा रहे। इस एक मुट्ठी चावल को तुम्हारी दीदी अपने घर के भंडारे में रख देगी, तो उसके घर कभी अन्न की कमी नहीं होगी। और मैंने आंचल में डाल कर थोड़ा चावल जो निकाल लिया है न, वो इसलिए ताकि उसके जाने के बाद यहां भी किसी चीज़ की कमी न हो। 

एक बेटी दो-दो घरों को उजाला करती है।“

“फिर हल्दी और पैसे क्यों?”

“हल्दी शुभ का संकेत है। हल्दी सौ बीमारियों से बचाने वाली औषधि है। एक हल्दी की गांठ के साथ उसे और उसके पूरे परिवार को सदा निरोगी रहने का आशीर्वाद मांएं देती हैं। और पैसा इसलिए ताकि उसके घर कभी नकदी की कमी न हो। मांएं बेटियों के खोंइचे को इसलिए भरती हैं ताकि वो और उसका पूरा परिवार स्वस्थ रहे, कभी खाने-पीने की कमी न हो और धन धान्य से पूरा घर भरा रहे। और सिंदूर इसलिए ताकि उसका सुहाग हमेशा बना रहे।”

“समझ गया मां।”

मंगलवार, 12 नवंबर 2024

खोइंछा (Khoencha)

खोइंछा

               हमनी के बिहार में एगो विधि बा जवन महिला सशक्तिकरण के दिखावे ला या कह सक तानी की बेजोड़ नमूना बा। जब कवनो शादी भईल मेहरारू चाहे घर (मायके) से ससुराल जाली, चाहे ससुराल से घरे (मायके) जाली तब उनका के खोइंछा दिआला। खोइंचा के यदि परिभाषित कईल जाव तs कह सकत बानी की - चाउर के कुछ दाना, हरिहर दुभी के पत्तई, कुछ पईसा अवरी हल्दी। अब ई सब काहे दिहल जाला ऐकर एगो ना!!! और कई को कारण बतावल जाला। एगो तs ई कारण बा  - जब कभी बेटी चाहे बहू घर से बाहर जाली तब उनका लागी की जवन उनका हाथ में ई जवन गठरी बा उ ओकर परिवार हां औरी उनके साथे जाता अउर ओकरा परिवार के कमी ना खली। ऐहीसे का होई कि उनका लागी की हमार परिवार हमरे साथे बा औरी उनका कबो परिवार के कमी ना महसूस होई।

       दोसर कारण ई बतावल जाला की, ई जेतना चीज़ जैसे  - चाउर के कुछ दाना, हरिहर दुभी, कुछ पईसा अवरी हल्दी इनका के दिआइल बा सबके कवनो ना कवनो मतलब बोला। चावल जवना के ई मतलब होखेला की बेटी के घर में कबो भी अन्न के कमी न होखे। पईसा ई बतावेला की बेटी के घर में कबो लक्ष्मी के कमी न होखे। जवन दुभ के पतई होखेला ऊ संजीवनी के दर्शावेला। संजीवनी यानी की अमृत। अवर जवन ऊ गांठ होखेला जेईमे ऊ सब के बांधल जाला ऊ ई दर्शावेला की जवन ई बेटी होली ऊ इन सब के आपस में जोड़ के रखेली जेकरा से पूरा घर आच्छा से चलेला। अवरी जवन ई काम बातें ऊ बस घर के बहू या बेटी ही कर सकs तारीs ई पूरा ब्यौरा हां, हमनी के यहां खोइंचा के.....