सोमवार, 1 सितंबर 2025

...आ जाते।


उस दिन तुम जरा मेरे और पास आ जाते, 

शायद!!! मेरे होशो-हवास आ जाते।

 एक दिन में जितना खर्चा हुआ, 

उतने में तो पुरे महीने के राशन आ जाते।


 तेरी दहलीज तो बहुत दूर है वरना, 

जब भी होते उदास हम तेरे पास आ जाते।

 यदि तेरे छोड़े हुए ना होते तो, 

शायद!!! पूरी दुनिया को रास आ जाते।


 कभी-कभी सोचता हूँ, 

काश बचपन में लौट जाता मैं।

सभी पुराने लिबास मेरे काम आ जाते।

शायद!!! अब भी नाराज हो क्या मुझसे,

एक बार तो मुस्कुरा😊 दो मेरी ज़िन्दगी में चार चाँद आ जाते।


कहने को तो है यहां सभी मेरे अपने,

लेकिन, तुम जो तसव्वुर में हो तो। 

पूरी कायनात भी जमीं पर आ जाते।


उस दिन तुम जरा मेरे और पास आ जाते, 

शायद!!! मेरे होशो-हवास आ जाते।

 एक दिन में जितना खर्चा हुआ, 

उतने में तो पुरे महीने के राशन आ जाते।


विश्वजीत कुमार✍🏻

कविता में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ 

दहलीज - घर (House)

लिबास - कपड़ा (Clouth)

तसव्वुर - कल्पना (Imagination)

कायनात - सृष्टि, ब्रह्मांड, जगत, संसार या विश्व।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें