उस दिन तुम जरा मेरे और पास आ जाते,
शायद!!! मेरे होशो-हवास आ जाते।
एक दिन में जितना खर्चा हुआ,
उतने में तो पुरे महीने के राशन आ जाते।
तेरी दहलीज तो बहुत दूर है वरना,
जब भी होते उदास हम तेरे पास आ जाते।
यदि तेरे छोड़े हुए ना होते तो,
शायद!!! पूरी दुनिया को रास आ जाते।
कभी-कभी सोचता हूँ,
काश बचपन में लौट जाता मैं।
सभी पुराने लिबास मेरे काम आ जाते।
शायद!!! अब भी नाराज हो क्या मुझसे,
एक बार तो मुस्कुरा😊 दो मेरी ज़िन्दगी में चार चाँद आ जाते।
कहने को तो है यहां सभी मेरे अपने,
लेकिन, तुम जो तसव्वुर में हो तो।
पूरी कायनात भी जमीं पर आ जाते।
उस दिन तुम जरा मेरे और पास आ जाते,
शायद!!! मेरे होशो-हवास आ जाते।
एक दिन में जितना खर्चा हुआ,
उतने में तो पुरे महीने के राशन आ जाते।
विश्वजीत कुमार✍🏻
कविता में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ
दहलीज - घर (House)
लिबास - कपड़ा (Clouth)
तसव्वुर - कल्पना (Imagination)
कायनात - सृष्टि, ब्रह्मांड, जगत, संसार या विश्व।
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