रविवार, 31 अगस्त 2025

कोई बात नही...

 ग़ज़ल 



आपको मुझसे इश्क़🥰 नही है तो कोई बात नही,

आंखो में नमी😓 नही है तो कोई बात नही।


कभी कहते थे मुझसे मेरे बिना जी न सकेंगे,

लाख मुसीबते आये हँस कर आत्मसात करेंगे।


ये तो अब पुरानी बाते हो गई,

और यही सही है तो कोई बात नही।


लानत है मुझको खुद पे कि ताउम्र मैंने वफ़ा की,

फिर भी मुझमें ही कमी है तो कोई बात नही।


धोखा, फरेब, झूठ को कहते हैं इश्क़🥰वो,

फिर भी, इश्क़🥰यही है तो कोई बात नही।


शैवाल पत्थर तक है तब तक ठीक है,

अगर आपके दिल में भी जमा है तो कोई बात नही।


आपको मुझसे इश्क़🥰 नही है तो कोई बात नही,

आंखो में नमी😓 नही है तो कोई बात नही।


      विश्वजीत कुमार ✍🏻

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