सोमवार, 11 अगस्त 2025

हमारे गाँव का विद्यालय: सिर्फ एक इमारत नहीं, जीवन का सार।




        यह सिर्फ दो तस्वीरें नहीं हैं, बल्कि मेरे गाँव के उस स्कूल की जीवंत यादें हैं, जो मेरे जीवन की नींव है। पीपल और बरगद की यह घनी छांव, ये स्कूल की पुरानी दीवारें, आज भी मुझे उस बीते हुए कल में खींच ले जाती हैं। ऐसा लगता है मानो समय ठहर गया हो, और मैं फिर से उस छोटे से बच्चे में बदल गया हूँ जो इन्हीं पेड़ों के नीचे बैठकर अपने सपनों को बुनता था। आज भी इन पेड़ों की पत्तियों की सरसराहट में, मुझे वो पुरानी बातें सुनाई देती हैं। ऐसा लगता है, मानो वो हमें आज भी पढ़ा रहे हों।

        हमारे स्कूल में फर्नीचर के नाम पर सिर्फ दो कुर्सियां और एक मेज हुआ करती थी, पर उस कमी का एहसास कभी नहीं हुआ। कक्षा 01 से 05 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए दो मैंम थीं - हमारी मैडम जी और दीदी जी। वे केवल शिक्षिकाएं नहीं थीं, बल्कि हमारे लिए ज्ञान का प्रकाश थीं। स्कूल की इमारत भले ही दो कमरों और एक बरामदे तक सीमित था, लेकिन उसका आत्मविश्वास आज भी अडिग है। उन मैडम जी ने हमें सिखाया था कि कैसे भगवान बुद्ध को पीपल के पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था। उस समय हम भी इसी पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ते थे। जब उस पेड़ से कोई पत्ता गिरता था, तो हमें लगता था कि हमें भी ज्ञान की प्राप्ति हो रही है। हम उन पत्तियों को अपने बस्ते में संभालकर रखते थे, ताकि ज्ञान हमसे दूर न जाए।

     जब भी तेज बारिश होती थी, तो उन दो कमरों में कक्षा 01 से 05 तक के सभी बच्चों को पढ़ाना किसी चुनौती से कम नहीं था। लेकिन हमारी मैडम जी और दीदी जी के पास ऐसा अद्भुत कौशल था कि कभी भी पढ़ाई नहीं रुकी। उनकी आँखों में वो अटूट विश्वास था कि वे हमें आगे बढ़ाएंगी। भले ही कभी-कभी बारिश की वजह से कमरे में पानी भर जाता था, लेकिन उनका हौसला कभी नहीं डगमगाया।

       आज भले ही हमारी वो दोनों शिक्षिकाएं इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी सिखाई हुई शिक्षा और उनके दिए हुए संस्कार आज भी हमारे जीवन में एक ज्योति🪔 की तरह जल रहे हैं। उनकी शिक्षा की वो ज्योति आज भी हमारे गाँव के स्कूल में प्रज्वलित है और हमें रास्ता दिखा रही है। उन्हीं की बदौलत आज हम जैसे न जाने कितने छात्र अपने-अपने क्षेत्रों में सफलता की नई ऊँचाइयाँ छू रहे हैं। उनकी मेहनत, उनका त्याग, और उनकी लगन की वजह से ही आज हम इस काबिल बन पाए हैं।

        आज, जब मैं उस पीपल और बरगद की छांव में बैठता हूँ, तो ऐसा लगता है कि वो दोनों मैडम जी यहीं कहीं आसपास हैं और हमें आशीर्वाद दे रही हैं। उनकी यादें हमेशा हमारे दिलों में रहेंगी। हमारी प्रिय मैडम जी और दीदी जी को हमारी तरफ से विनम्र श्रद्धांजलि। आपके द्वारा जलाया गया शिक्षा का दीपक हमेशा हमारे दिलों में जलता रहेगा। आप हमेशा हमारे गुरु, हमारे मार्गदर्शक और हमारे प्रेरणा स्रोत रहेंगी। हम हमेशा आपके आभारी रहेंगे।

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