उदंत मार्तंड का अर्थ होता है- समाचार सूर्य (बिना दांत का बाल सूर्या)- विकिपीडिया के अनुसार।
उदंत मार्तण्ड के प्रथम प्रकाशन की तिथि 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है उदंत मार्तण्ड एक सप्ताहिक अखबार था इसे 1827 में दबाव के चलते बंद करना पड़ा।
समाचार पत्र की उपयोगिता एवं लाभ (Benefits and use of Newspaper)-
समाचार पत्र हमारी रोज की आदतों के साथ-साथ हमारे लिए बेहद उपयोगी भी हैं। इसकी उपयोगिता अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग है। इसके कुछ उपयोगिता एवं लाभ निम्न हैं-
(1) सरकारी योजनाओं की जानकारी:- कोई भी सरकारी योजना हो या किसी विभाग से निकली विज्ञप्ति इसकी जानकारी हमें तुरंत समाचार पत्रों से प्राप्त हो जाती है ताकि हम उसे जानकर उसका फायदा उठा सकें।
(2) विज्ञापन से वस्तुओं के बारे में जानकारी:- समाचार पत्र में प्रकाशित विज्ञापन के जरिए हमें वैवाहिक (शादी-विवाह से संबंधित जानकारी), मोबाइल, घरेलू सामग्री, सुंदरता वाली वस्तुएं, इत्यादि। की जानकारी घर बैठे प्राप्त हो जाती है।
(3) बच्चों के लिए उपयोगी:- आजकल समाचार पत्र बच्चों के लिए विशेष सामग्रियों का प्रकाशन शुरू कर दिए हैं जिससे उनके मनोरंजन के साथ-साथ कई जानकारियां प्राप्त हो जाती है छात्रों में इससे पढ़ने के कौशल का भी विकास संभव हो सका है।
समाचार पत्रों की कमीयां या नुकसान-
समाचार पत्र के कई लाभ हैं परंतु हर वो चीज जो हमारे लिए उपयोगी है उसकी कुछ खामियां भी होती है। ठीक उसी प्रकार समाचार पत्र के भी कई कमियां हैं जो निम्न है:-
(1) विज्ञापन की अधिकता:- प्राचीन समय में समाचार पत्र केवल खबरों के प्रकाशन के लिए काम आते थे परंतु आज समाचार पत्रों में लाभ कमाने के उद्देश्य से विज्ञापनो की अधिकता हो गई है। पाठक समाचार पत्र खबरों को पढ़ने के उद्देश्य से खरीदते हैं और विज्ञापनों की भरमार के कारण के उनके हाथ निराशा आती है।
(2) प्रभावशाली व्यक्तित्व का प्रभाव:- कई बार हम देखते हैं कि हमारे लोकल समाचार पत्रो में प्रभावशाली व्यक्तियों का प्रभाव नजर आता है। किसी व्यक्ति विशेष से संबंधित खबरों को छुपाया जाता है और कई बार कुछ खबरों को बढ़ा-चढा कर भी प्रस्तुत किया जाता है।
(3) क्षेत्र विशेष की खबरों को प्रधानता:- आज के समय में क्षेत्र विशेष में विज्ञापन की कमाई के लिए राष्ट्रीय खबरों को प्रधानता ना देकर उसमें लोकल न्यूज़ को ज्यादा प्रधानता मिलने लगी है।
(4) समाचार पत्रों की भाषा में परिवर्तन:- पूर्व में समाचार पत्रों की भाषा पूर्ण रूप से साहित्यिक होती थी परंतु अब ऐसा नहीं है। आज के समय में भाषा बदल चुकी है साहित्य से संबंध रखने वाले व्यक्ति आज भी चाहते हैं कि उनके लिए समाचार पत्रों द्वारा अच्छी शैली में कुछ विशेष संपादन किया जाए जिससे आने वाली पीढ़ी को भी साहित्यिक शैली का ज्ञान हो।
(5) कुछ खबरों के प्रकाशन में विलंब:- समाचार पत्रों के कार्य प्रणाली के अनुसार इस में दिनभर की खबरों को एकत्रित किया जाता है फिर रात में छपाई करके सुबह वितरित की जाती है। कई बार ऐसा होता है की छपाई की प्रक्रिया पूर्ण होने के कारण कुछ अहम खबरें प्रकाशित होने से वंचित हो जाती है और इनके प्रकाशन में विलंब होता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें