शुक्रवार, 7 मई 2021

विद्यालय में आई.सी.टी. की भूमिका (ROLE OF I.C.T. IN SCHOOL)

 Q.- विद्यालय में आई. सी. टी. की भूमिका का वर्णन कीजिए। 


उत्तर - आई.सी.टी. की भूमिका (ROLE OF ICT) 

(1) आई.सी.टी. के प्रयोग से शिक्षा की गुणवत्ता में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पारम्परिक शिक्षण पाठ्यक्रम में बदलाव हुआ है एवं पाठ्यचर्या को अधिगम केन्द्रित बनाया गया है। 

(2) शिक्षण के बोझ को कम करके, शिक्षण की गुणवता को बढ़ावा दिया जाता है। 

(3) इसके द्वारा पाठ्यचर्या लचीली हो गई है। आई.सी.टी. के द्वारा पाठ्यचर्या को शिक्षण अधिगम प्रक्रिया, परिवंश, उपलब्धता तथा रुचि के अनुरूप बदला जा सकता है। 

(3) पाठ्यचर्या को शीघ्रता से संचालित करने में आई. सी. टी. का योगदान रहा है तथा पाठ्यचर्या के अद्यतीकरण (Updating) में आई. सी. टी. की मुख्य भूमिका रहती है।

 (4) आई.सी.टी. के द्वारा पाठ्यचर्या को विविध रूपो के माध्यम से पढ़ाया जा सकता है। जिससे छात्रों को  दत कार्यों (Assignments) को करने में सुबिधा मिलती हैं।

 (5) छात्रों में स्व-अधिगम (Self learning) का भाव जागरूक करने में आई. सी. टी. की प्रमुख भूमिका है। नवीन तकनीकों के द्वारा छात्र स्वयं सूचना एकत्रित करके अध्ययन करता है। 

शिक्षक की भूमिका के सन्दर्भ में परिवर्तन- 

आई.सी.टी. के उपयोग से शिक्षको की भूमिका में निम्न परिवर्तन हुए हैं-

 (1)  शिक्षक की भूमिका सुविधादाता (Facilitator) के रूप में हुई है। छात्रों को अधिगम में सुविधा देने की भूमिका अहम् होती है। आई.सी. टी. के उपकरणों के प्रयोग से शिक्षक अधिगम को सरल बना सकते हैं।

(2) शिक्षक को ज्ञान प्रक्रमक (Knowledge Processor) के रूप में भी देखा जाता है। शिक्षक कठिन विषयों को आई.सी.टी. के माध्यम से सरल रूप में प्रस्तुत कर सकते है जो छात्रों के लिए अधिक उपयोगी हो जाता है। व्यक्तिगत (Personal) विभिन्नता की स्थिति में भी छात्र समान रूप से अधिगम करते हैं। 

(3) शिक्षक छात्रों को अनुशासित करने तथा उनकी अवधारणाओं को स्पष्ट करने के लिए अधिक समय दे पाते है। इससे छात्रों का सन्देह स्पष्ट रूप से दुर हो जाता हैं।

(4) छात्रों को दिशा-निर्देश (Guidance) करने में ऊर्जा व समय की बचत होती है। 

(5) परीक्षा/प्रोजेक्टर/कलात्मक प्रस्तुति को लेकर छात्रों को निर्देशित किया जा सकता हैं। इससे सम्बन्धित तथ्यों को एकत्रित करने का माध्यम बना सकते है, जिससे छात्रों को प्रस्तुति में सरलता हो एवं शिक्षक स्वयं भी उन तथ्यों को आई. सी. टी. के द्वारा एकत्रित कर छात्रों को दिखा सकते है। 

शिक्षण विधियों के सन्दर्भ में परिवर्तन- 

आई. सी. टी. के उपयोग से शिक्षण विधियों के सन्दर्भ में निम्न परिवर्तन हुए हैं- 

(1) आई. सी. टी. के माध्यम से शिक्षण विधियों को रुचिकर बनाया जा सकता है। 

(2) शिक्षण विधियाँ यथार्थ अनुभव के निकट प्रतीत होती हैं। 

(3) शिक्षण में तकनीकी का प्रयोग करके, उसे प्रभावशाली बनाया जा सकता है, जिससे समय व शक्ति दोनों को बचत होती है।

(4) आज के परिदृश्य में शिक्षण, कौशल आधारित हो गया है न कि पाठ्य-वस्तु पर आधारित। शिक्षण कौशलों का अभ्यास करने में आई. सी. टी. सहयोग प्रदान करता है। 

 (5) शिक्षण एक द्विमुखी प्रक्रिया है। छात्र-शिक्षक दोनों सक्रिय रूप से इस प्रक्रिया में अपना योगदान देते हैं। ICT के द्वारा यह कार्य और भी आसान हो जाता है।

(6) आई. सी. टी. के द्वारा शिक्षण की नवीन विधियों का प्रायोगिक रूप में उपयोग किया जा सकता हैं। सफलता मिलने पर इस प्रयोग की गई विधि को शिक्षण विधि के रूप में प्रतिपादित भी कर सकते हैं। 

कक्षा-कक्ष वातावरण के सन्दर्भ में परिवर्तन- 

आई. सी. टी. के उपयोग से कक्षा-कक्ष के वातावरण के सन्दर्भ में निम्न परिवर्तन हुए हैं- (1) कक्षा वातावरण में सबसे बड़ा परिवर्तन आभासी कक्षाओं (Virtual Classes) से है। आई.सी.टी . के द्वारा आभासी कक्षाओं का आयोजन किया जाता है, किन्तु इनमें कोई भी दृश्य शिक्षक प्रत्यक्ष रूप में शिक्षण कार्य नहीं करता है। 

(2) स्मार्ट क्लास रूम आधुनिक तकनीकी का उदाहरण है। जिसमें छात्रों को बड़े पर्दे पर पाठ्य-वस्तु की सक्रिय शिक्षा दी जाती है जो रोचक और उत्साहवर्धक होती है। 

(3) आई. सी.टी. के उपयोग से कक्षा का वातावरण सक्रिय रहता है। छात्र अपनी ओर से सक्रिय योगदान देते हैं। विषय से सम्बन्धित प्रश्नों को पूछकर सही उत्तर देकर कक्षा के वातावरण को सकारात्मक बनाते हैं। 

(4) कक्षा को छात्रों के अनुकूल बनाया जा सकता है। कक्षा का वातावरण अधिगम में सहयोग करने वाला होता है तथा छात्रों को एकाग्रचित करने में सहायता प्रदान करता है। 

(5) ICT की मदद से मिश्रित कक्षाओ का संचालन सफल रूप में किया जा सकता है। विशिष्ट तथा सामान्य छात्रों को आई. सी. टी. के माध्यम से एक साथ शिक्षा दी जा सकती है। 

मूल्यांकन प्रक्रिया के सन्दर्भ में परिवर्तन— 

आई. सी. टी. के उपयोग से मूल्यांकन प्रक्रिया के सन्दर्भ में निम्न परिवर्तन हुए हैं 

 (1) ICT के द्वारा परीक्षा प्रणाली में  बदलाव किये गये हैं। आई. सी. टी. के द्वारा ऑनलाइन परीक्षा, साक्षात्कार आदि। किया जाता है जिसमें कम्प्यूटर द्वारा सम्प्रेषण लिखित व मौखिक दोनों रूपों में किया जाता है।  

(2) आई. सी. टी. के द्वारा बिना कागज-कलम (Paper/Pen) परीक्षा, शिक्षण अधिगम किया जाता है, जिसका पृष्ठ-पोषण (Feed-Back) तुरंत प्राप्त हो जाता है। छात्रों को प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती है। 

(3) आंकलन की प्रस्तुति ग्राफ द्वारा रोचक ढंग से दिखायी जा सकती है।

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