शनिवार, 1 मई 2021

कोरोना 2.0

      Apr. 2021 पता नहीं क्यों मुझे 2020 के जैसा ही लग रहा है होली के बाद कोरोना कि स्थिति बिगड़ना फिर धीरे-धीरे पूरे देश में लॉकडाउन खैर पिछले साल तो सभी ने खूब इंजॉय किया था इस बार स्थिति थोड़ी अलग है। जब भी टी.वी. खोलो केवल जलती लाशे, रोते-बिलखते लोग, मन में  ख़ौफ़ भरती कोरोना की रफ्तार, इत्यादि। खबरें आती रहती है। हर तरफ, हर चैनल पर केवल नकारात्मक खबरे चलाकर लोगों के अंदर भय एवं डर का माहौल बनाया गया है। स्थिति ऐसी हो गई है कि यदि किसी को बुखार भी हो जाए तो लगता है कि कोरोना ही हो गया है। इस कठिन परिस्थिति में खुद को सकारात्मक रखना बहुत मुश्किल लग रहा है। सकारात्मक स्वयं को रखने के लिए मैंने अपने आप को व्यस्त रखना शुरू कर दिया है। ऑनलाइन क्लास के बाद अपना पूरा समय लेखनी✍️ को ही देने लगा हूं कि शायद इस क्षेत्र में भी कुछ बेहतर कर जाऊं।


यह रचना पिछले साल की हैं


        परिस्थितियां चाहे जैसी भी रहे मुझे लगता है कि यही वह बेहतर समय है जब किसी इंसान को अपने अंदर की कला को निखारना चाहिए। अभी जितने भी मानव धरती पर हैं उन्हें अपने जीवन काल में पुनः ऐसा समय शायद ही मिले। अंत में मैं कहना चाहूंगा।

ये कह के मेरे दिल ने, 
हौसलें बढ़ाए हैं। 
गमों की धूप के आगे
 खुशी के साए हैं।









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