रविवार, 9 मई 2021

माँ तो माँ होती हैं।

 फेसबुक पर एक पोस्ट दिखा जो दिल को झकझोर दिया। लेखक की अनुमति से मैं साझा कर रहा हूं आप भी पढ़े।

             बस से उतरकर जेब में हाथ डाला तो मैं चौंक गया!!! जेब कट चुकी थी। जेब में था भी क्या, कुल 90/- रुपए और एक खत, जो मैंने माँ को लिखा था कि- मेरी नौकरी छूट गई है, अभी पैसे नहीं भेज पाऊँगा। तीन दिनों से वह पोस्टकार्ड जेब में पड़ा था। पोस्ट करने को मन ही नहीं कर रहा था। मेरे 90 रुपए जा चुके थे। यूँ तो 90 रुपए कोई बड़ी रकम नहीं थी, लेकिन जिसकी नौकरी छूट चुकी हो, उसके लिए 90/- रुपए 900/- से कम नहीं होते। कुछ दिन गुजरे, माँ का खत मिला। पढ़ने से पहले मैं सहम गया। जरूर पैसे भेजने को लिखा होगा। लेकिन, खत पढ़कर मैं हैरान रह गया। माँ ने लिखा था- "बेटा, तेरा 1000 रुपए का भेजा हुआ मनीआर्डर मिल गया है। तू कितना अच्छा है रे!!!... पैसे भेजने में कभी लापरवाही नहीं बरतता। " मैं इसी उधेड़-बुन में लग गया कि आखिर माँ को मनीआर्डर किसने भेजा होगा???

          कुछ दिन बाद, एक और पत्र मिला। चंद लाइनें थीं- आड़ी तिरछी। बड़ी मुश्किल से खत पढ़ पाया। लिखा था- 

"भाई, 90 रुपए तुम्हारे और 910 रुपए अपनी ओर से मिलाकर मैंने तुम्हारी माँ को मनीआर्डर भेज दिया है। फिकर न करना।.... माँ तो सबकी एक जैसी होती है न!!! वह क्यों भूखी रहे ? 

तुम्हारा- जेबकतरा.


A post appeared on Facebook that shocked the heart.  With the permission of the author, I am sharing you too.

Getting off the bus and putting my hand in my pocket, I was shocked !!!  The pocket was cut.  What was there in the pocket, a total of Rs. 90 / - and a letter, which I wrote to my mother that - I have missed my job, I will not be able to send money now.  For three days, he was lying in a postcard pocket.  Did not feel like posting at all.  My 90 rupees were gone.  Though there was no huge amount of Rs 90, but for the one who has missed the job, Rs 90 / - is not less than Rs 900 / -.  A few days passed, mother's letter was received.  I agreed before reading.  Must have written to send money.  But, I was surprised to read the letter.  Mother wrote- "Son, you have received a money order sent of 1000 rupees. You are so good,!!! ... Never take care of sending money."  Who would have sent the money order to ???

  A few days later, another letter was received.  There were few lines - diagonally slanted.  Read the letter with great difficulty.  Wrote - 

"Brother, 90 rupees for you and 910 rupees on your behalf, I have sent MoneyOrder to your mother. Do not worry. Mother is the same everyone !!! Why should she be hungry?"


 Yours - pickpocket.




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें