मंगलवार, 8 जुलाई 2025

किस्से आर्ट कॉलेज के

...और मैंम ने परीक्षा की कॉपी पढ़ ली।


 मैं और मेरा दोस्त आनंद एक ही साथ एक ही क्लास में थे उसने भी वही डिपार्टमेंट लिया जो मैंने लिया था। जिस वजह से प्रैक्टिकल कार्य तो हमारा आसानी से हो जाता लेकिन मामला फँसता थ्योरी के पेपर में। क्योंकि जैसा कि नाम ही उसका आनंद था हमेशा क्लास में आनंदमय ही रहता वह लाख कोशिश कर ले लेकिन थ्योरी उससे याद ही नहीं होती। मैं उसे प्रत्येक दिन याद कराता था कि अजंता में 29 गुफाएं पहले थी लेकिन अब 30 हो गई हैं और एलोरा में 34. अजंता में 9, 10, 19, 26, एवं 30 चैत्य गुफा है और बाकी सब विहार। ठीक उसी प्रकार एलोरा गुफा में हिंदू, ब्राह्मण एवं जैन गुफाएं हैं। जिन्हें तीन मुख्य समूहों में बांटा गया है: 12 बौद्ध गुफाएं, 17 हिंदू गुफाएं, और 05 जैन गुफाएं। ये गुफाएं एक ही चट्टान से काटकर बनाई गई हैं और विभिन्न धर्मों के कलात्मक और धार्मिक पहलुओं को दर्शाती हैं। उस दिन तो वह याद कर लेता और सुना भी देता लेकिन अगले दिन फिर भूल जाता। वह हमेशा एक ही बात बोलना - भाई आगे से पढ़ते हैं एवं पीछे से भूलते चले जाते हैं। लेकिन एक बात हमेशा मेरे समझ से परे रही की वह हर एग्जाम में पास कैसे कर जाता है? मैंने कई बार उससे पूछने की कोशिश भी की तो बोलता कि, मुझे ना एग्जाम के टाइम याद आ जाता है। हम भी बोलते, भाई तुम्हारे पास तो बहुत अच्छा स्किल है, पेपर देखकर तुम्हें हर क्वेश्चन याद आ जाता है। वह हर बार मुस्कुरा कर मेरे इस प्रश्न का उत्तर डाल देता। हमने 2010 में आर्ट कॉलेज में नामांकन लिया था और उसका यह भेद खुला 2013 में, जब हमारे महाविद्यालय में थ्योरी पेपर को पढ़ाने के लिए रश्मि मैंम आई, इससे पूर्व वो केंद्रीय विद्यालय, आरा में शिक्षिका के पद पर कार्यरत थी। अभी तक जो हमारा थ्योरी का पेपर होता था उसे एक्सटर्नल एक्सपर्ट सेट करते और कॉपी भी बाहर ही जाता चेक करने के लिए। उस समय मैंम ने खुद पेपर सेट किया और कॉपी भी उन्होंने खुद चेक की। हम सभी लोग पास हो गए थे लेकिन आनंद फेल हो गया था। मैं क्या पुरा क्लास आश्चर्य में था की आनंद फेल कैसे हो गया? उसे तो सारा क्वेश्चन परीक्षा में याद हो ही जाता था आज अचानक से क्या हो गया!!! मैंने आनंद से बात करी, पहले तो उसने आना कानी की, फिर बोला- जानते हो भाई मुझे सही में कुछ याद नहीं रहता था, वह तो परीक्षा में.....

आनंद अपनी बात पूरी करता उससे पहले ही रश्मि मैंम ने उसे बुला लिया था। वह डरते-डरते मैंम के केबिन में गया और उधर से उदास हो कर के लौटा। हम सब यह जानने के लिए उत्सुक थे कि आखिर हुआ क्या? वह आते ही बिना भूमिका के बोला- हमारा सोमवार को फिर से एग्जाम है, मैंम ने कहा है, और एग्जाम मैंम अपने सामने लेगी। मैंने थोड़ा मजाकिया अंदाज में कहा- तो इसमें दिक्कत क्या है तुम्हें तो सारा उत्तर प्रश्न देखते ही याद हो जाता है😀 आनंद इस बार थोड़ा झुझलाते हुए कहा - भाई मजाक क्यों कर रहे हो? हम सही बोल रहे है मुझे कुछ याद नहीं होता था। हम सभी चौंकते हुए बोले कि फिर तुम पेपर में लिखते क्या थे? आनंद कुछ देर मौन रहा फिर उन्होंने बोलना शुरू किया - तुम सब हमारी परेशानी नहीं समझोगे!!! और वहां से उठ कर चला गया। आनंद को हम फर्स्ट ईयर से जानते थे उसने कभी यूं गुस्सा नहीं किया था मुझे लगा मैंम के पास जाकर के ही इस समस्या का समाधान ढूंढना चाहिए। चुंकि मैंम की नजरों में हम एक अच्छे स्टूडेंट थे इसलिए सोचे की इसका थोड़ा फायदा उठाते हैं और आनंद की समस्या को समझने का प्रयास करते हैं।

कुछ देर उपरांत हम मैंम के टेबल के सामने थे और आनंद की कॉपी भी सामने पड़ी हुई थी। मैंने कॉपी उठाया और एक-एक लाइन पढ़ना शुरू किया -

प्रश्न १ का उत्तर - हम सुबह 10:00 बजे अपनी साइकिल से कॉलेज पहुंचते हैं तो सीढ़ी के पास लगे वॉटर टैंक में पानी नहीं रहता है, हमें पानी लेने के लिए हॉस्टल में जाना पड़ता है। वहां भी पानी नहीं रहता है तो फिर मोटर चलाते हैं तब जाकर के पानी भरते हैं। मोटर का तार भी खुला हुआ है कई बार वहां लाइन मारने का डर बना रहता है। कॉलेज में बहुत सुधार की जरूरत है। कॉलेज में कैंटीन भी नहीं है। दोपहर में हम सभी बाबा जी का इडली खाते हैं, जो बेचने आते हैं....

मैंने कॉपी पूरा पढ़ा नहीं और रख दिया। मैंम ने मुझे देखा और कहा - मैंने कॉपी पूरी पढ़ी है, अब तुम्ही बताओ उसको क्या नंबर दे?

मैंने कहा- मैंम आनंद का आर्टवर्क बहुत अच्छा है, बस केवल उसे थ्योरी याद नहीं रहता है। आप तो देखते ही हैं वह क्लास में प्रतिदिन आता है। हम उसे थ्योरी याद कराने की बहुत कोशिश करते हैं लेकिन वह भूल जाता है।

मैंम ने कहा- वह तो ठीक है, लेकिन यह सब कॉपी में कौन लिखता है, बताओ हम रिकॉर्ड में क्या रखेंगे?

मैंने कहा- मैंम सोमवार की परीक्षा में उसे थोड़ा छूट दे दीजिएगा, नहीं तो वह फिर से यही सब लिख देगा। मैंम ने मुझे ऐसे देखा जैसे कह रही हो कि "तो हम क्या करें"? मैंने भी मन-ही-मन कहा - मैंम, आपको जो बेहतर लगे वह कर दीजिएगा।

सोमवार का दिन आनंद के लिए थोड़ा सा परेशान करने वाला था लेकिन जब वह परीक्षा देकर आया तो बहुत आनंदमय दिख रहा था। मैंने पूछ लिया - क्या हुआ?

वह उसी मुस्कान के साथ बताया कि "चोरी नहीं डकैती किए हैं।"

मैं सोचने लगा कि मैंम को इतना भी छूट नहीं देना चाहिए था।



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