सोमवार, 10 मई 2021

आमी, अम्बिका भवानी की कहानी को पढ़ते हुए VIRTUAL दर्शन करें।




      आमी मंदिर जिसे माँ अम्बिका स्थान के नाम से भी जाना जाता है। ये मंदिर बिहार मे मौजूद शक्ति पीठों मे से एक है जहा माँ सती ने अपने प्राण त्याग दिये थे। आज इस आलेख में हम अम्बिका भवानी की कहानी को पढ़ते  हुए VIRTUAL दर्शन करेंगे। हिन्दू ग्रंथों में माँ अम्बिका भवानी को अम्बे, पार्वती, गौरी, दुर्गा आदि। नामो से भी जाना जाता है।

    पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्म देव के पुत्र दक्ष प्रजापति का उल्लेख आता है। भगवान शिव के अभिशाप और ब्रह्म देव के झूठ के कारण उन्होंने अपने पांचवें सिर को शिव के सामने खो दिया था। दक्ष को इसी वजह से भगवान शिव से द्वेष था और भगवान शिव और माता सती का विवाह नहीं कराना चाहते थे।

         हालांकि, माता सती भगवान शिव की ओर आकर्षित हो गई और माता सती ने कठोर तपस्या की और अंत में भगवान शिव और माता सती का विवाह संपन हुआ।

        भगवान शिव से प्रतिशोध लेने की इच्छावश राजा दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। दक्ष ने भगवान शिव और अपनी पुत्री माता सती को छोड़कर सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया। माता सती ने यज्ञ में उपस्थित होने की अपनी इच्छा भगवान शिव के समक्ष व्यक्त की, जिसे भगवान शिव ने रोकने के लिए अपनी पूरी कोशिश की परंतु माता सती यज्ञ में चली गई।

      यज्ञ मे पहुंचने के पश्चात माता सती का कोई भी स्वागत नहीं किया गया। इसके साथ ही, दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव का घोर अपमान भी किया। माता सती से अपने पिता द्वारा अपने पति का अपमान नहीं सहा गया। और अपमान से क्रोधित होकर माँ सती ने उसी यज्ञ कुंड मे कूदकर अपने प्राण त्याग दिये।
     भोजपुरी भाषी क्षेत्र में आज भी एक कहावत प्रचलित है जो इसी घटना को प्रस्तुत करती है। कहावत इस प्रकार है👇👇
बिन बुलवले मत जईह ऐ गौरा, आदर ना होई तोहार।
    यानी कहीं भी हमें यदि आमंत्रण नहीं मिला है तो वहां नहीं जाना चाहिए। वहां पर आदर सत्कार नहीं मिलता है। यह सीख भी हमें इस घटना से प्राप्त होती है। 

       जब भगवान शिव को इस घटना के बारे मे पता चला तब वो बहुत ही क्रोधित हो गये और वीरभद्र अवतार के रूप में  प्रजापति के यज्ञ को नष्ट करने के साथ ही उनका सिर धर से अलग कर दिये। देवताओं के अनुरोध के बाद दक्ष को वापस जीवित किया गया और एक बकरे का सिर लगाया गया।

        दु:ख में डूबे शिव ने माता सती के शरीर को उठाकर, विनाश का दिव्य तांडव शुरू कर दिया। यह देख देवताओं ने भगवान विष्णु को इस विनाश से बचाने का अनुरोध किया। जिस पर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के मृत शरीर के 52 टुकड़े कर दिए। शरीर के विभिन्न हिस्से भारतीय उपमहाद्वीप (नेपाल, श्रीलंका ,बांग्लादेश और पाकिस्तान समेत) के कई स्थानों पर गिरे और वह शक्ति पीठ के रूप में स्थापित हुए। उन्ही पीठों मे से एक है अम्बिका मंदिर या माँ अम्बिका स्थान जिसे हम आमी मंदिर के नाम से भी जानते है।

मंदिर प्रांगण मे अन्य देवी-देवताओ की प्रतिमाये👇👇








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