.............और आज मैंने अंततः #रामयुग देख ही ली। चूंकि इस का रिव्यू करने का मन नहीं हो रहा था क्योंकि इसमें कुछ रिव्यूज जैसा है ही नहीं। फिर भी आप सभी से वादा किए थे तो चलिए शुरू करते हैं।
यदि आप एक महागाथा/पौराणिक कथा को नए रंग-रूप में देखने की इच्छा से रामयुग देखना शुरू करने को सोच रहे हैं तो हम यही कहेंगे अपने इस विचार को कचरे में डाल दीजिए क्योंकि उसे देखने के बाद आपके मन में भी यही ख्याल आने वाले हैं। भाई राक्षस को ऐसे दिखा रहे हैं जैसे कि अभी वह तुरंत ब्यूटी पार्लर से बाहर आए हो शूर्पनखा के मास्क को देखकर मुझे एक बार तो ऐसा लगा कि उस युग में भी करोना आ गया था क्या?
रावण को क्या कहने भाई उसे महल से बाहर निकाल कर धूप में बैठा दिए हो। कुछ तो उसके इज्जत का ख्याल करते। VFX (Visual Effects) वालों वह सोने की लंका थी जिसे आपने थर्माकोल की लंका दिखा रहे हो। परिवर्तन करो लेकिन उतना ही जितना की कहानी की मांग हो और यह कोई कहानी नहीं है पौराणिक गाथा है और इसकी कहानी सबको पता है आप इसे यूं प्रस्तुत कर रहे हो जैसे बहुत बड़ा संस्पेंस छुपा हुआ है।
सीता मैया की बात पूछो मत!!! कोई उन्हें बताया ही नहीं कि शब्दों के साथ एक्सप्रेशन भी देना होता है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अपने ही मर्यादा में उलझे हुए हैं। एक बार तो मुझे ऐसा लगा कि मैं कोई साउथ की कोई मूवी देख रहा हूं। शत्रुघ्न के किरदार को बस लाकर खड़ा कर दिया हैं क्योंकि वेब सीरीज का बचत कम था डायलॉग बोलना रहता तो पैसे देने पड़ते। बेचारे ने अपनी भूमिका बखूबी निभाई है।
अंत में मैं कहूं कि मुझे सबसे अच्छा क्या लगा तो वह VFX वालों की मेहनत कह सकते हैं क्योंकि किरदार ने तो अपना काम किया ही नहीं है। चाहे वह सोने का हिरन हो या जटायु अमूमन तो मुझे सबसे बढ़िया किरदार जटायु का हीं लगा। VFX वालों ने ईमानदारी से अपना कार्य संपन्न किया है काश उतनी ईमानदारी से कलाकार भी मेहनत कर लेते तो शायद रामयुग ज्यादा बेहतर हो सकता था।
रामायण में एक और महत्वपूर्ण किरदार है जिसे हम लोग जामवंत कहते हैं भाई जब आप लोगों ने सोने का हिरण बना दिया जटायु बना दिया तो VFX की मदद से जामवंत जी को भी बना देते शायद वह अपना किरदार अच्छे से निभाते। लेकिन एक बात तो मुझे बिल्कुल भी नहीं समझ में आई कि युद्ध के दृश्य में इतना कॉपी करने की क्या जरूरत थी वास्तविक ही दिखा देते। बाहुबली के युद्ध का दृश्य हो या रा-वन का। कॉपी भी सही से नहीं किया।
फिर भी कहां जाता है ना कि तुम में लाख कमियां हो लेकिन मैं अच्छाइयां ढूंढ ही लूंगा। मैंने भी इस वेब सिरीज़ की कुछ अच्छाइया ढूंढी है। अंतिम दृश्य में राम-रावण संवाद "भविष्य में भारतवर्ष में मुझे प्रत्येक वर्ष जलाया जाएगा लेकिन मैं हर वर्ष आऊंगा। राम तुम कितने अवतार लोगे??? मुझे यहां कुमार विश्वास की पंक्तियां याद आ रही है।
राम होने में या रावण में है अंतर इतना,
एक दुनिया को खुशी दूसरा गम देता है।
हमने रावण को बरस दर बरस जलाया है,
कौन है वह जो इसे फिर से जन्म देता है।
अच्छाई और बुराई तो प्रत्येक वस्तु में है। रामायण तो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। रामयुग की मैंने छोटी सी समीक्षा की शायद आपको अच्छा लगा होगा। बाकी देखना ना देखना आपकी इच्छा पर हैं। 05 में से मैं #रामयुग को 02 Star दूंगा वह 02 इसलिए क्योंकि VFX अच्छा था और कुछ सकरात्मक विचार।
धन्यवाद
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