गुरुवार, 13 मई 2021

एक बिहारी का देश के प्रधानमंत्री के नाम खुला पत्र।






मोदी सर के नाम मेरा एक खुला पत्र।


(नोट:- थोड़ा बड़ा है, पढ़िए और ठीक लगे तो शेयर ज़रूर कर दीजिएगा ताकि यह मोदी सर तक पहुँच जाए।)


सबसे पहले तो आप तक मेरा प्रणाम पहुँचे क्योंकि हमारे यहाँ संवाद के शुरुआत में यह न हो तो ठीक नहीं लगता।
शिष्टाचार का होना और बचे रहना बहुत ज़रूरी है।
मोदी जी हम बिहार में पैदा हुए हैं और इच्छा है कि अंतिम समय में भी यहीं की मिट्टी नसीब हो।


          हम उन लाखों-करोड़ों बिहारियों की तरह नहीं हैं जिनको एक तरफ़ बिहारी कहलाने में शर्म भी महसूस होती है और दूसरी तरफ़ वे बिहार के गौरवगाथा से अटूट प्रेम रखते हैं और अपने अतीत को अपने मोबाइल की तरह लिए घूमते हैं। कभी मगध से तो कभी चंद्रगुप्त से तो कभी अशोक से एक दूसरे को मारते फिरते हैं।
पर मोदी सर हम तो उन कुछ बिहारियों में से हैं जिनको अपने अतीत और अपनी गौरवगाथा पर ख़ूब गुमान है। परन्तु आज हमसे हमारे बिहार का वर्तमान सवाल कर रहा है। आज मेरा वर्तमान दीवाल पर लटके पंखे की तरह मेरे सामने लटका हुआ दिख रहा है, हम पर घूर रहा है।
हम तो पहले ही बिहार के गुणगान में कविता लिखना कौन कहे विडीओ तक बना चुके हैं। बिहार के लिट्टी से लेकर बलुई मिट्टी तक पर बड़ा-बड़ा लिख और कह चुके हैं।
अगर समय मिले तो सुनिएगा, अभी नहीं तो कम से कम बिहार Election के ही समय।
समय तो नहीं है आपके पास आख़िर आप अट्ठारह-अट्ठारह घंटे काम करते हैं। कोई-कोई तो कहता है कि आप चौबीस घंटे काम करते हैं।
आप पर जिसको प्रश्न उठाना है उठाए, पर हमको आप पर पूरा विश्वास है। अगर कोई कहे आप एक दिन में पच्चीस घंटे काम करते हैं तो हम वह भी आँख मूँद के मान लेंगे और बिना किसी संशय के।


हम बिहार के पूर्वी चंपारण के एक छोटे से गाँव से हैं, एकदम प्रेमचंद जी के उपन्यास वाले गाँव की तरह।
हमारे यहाँ कई लोग अभी भी बिना घड़ी देखे और माथा के ऊपर लटके सूरज को देखकर समय बता देते हैं।


मोदी सर आज एक तरफ़ जहाँ सब लोग चंद्रमा पर जाने की बात करते हैं वहीं दूसरी तरफ़ हमारे यहाँ आज भी बढ़िया डाक्टर से मिलने के लिए कोसों दूर ज़िला मुख्यालय जाने में भी रोआँ काँप उठता है।
यहाँ सड़क है और वह भी बहुत चकाचक। गाड़ियाँ भी साँय-साँय चलती हैं, पर उतना दूर जाने के लिए किराया देना पड़ता है और साथ में कोई न हो तो भी दिक्कत होती है।
ज़िला मुख्यालय में डाक्टर साहेब लोग का फ़ीस भी पेट्रोल के मीटर से अधिक तेज़ी से भागता है एकदम आपके बुल्लेट ट्रेन के रफ़्तार में।
इस कारण कई लोग झोला छाप डाक्टर से ही बड़े से बड़ा इलाज करा लेते हैं।
कईयों के साथ दुर्घटना भी हो जाती है। अब कई लोग मर जाते हैं या कोई अनहोनी हो जाती है तो उसका ज़िम्मा आपके सर पे थोड़ी न है।उनका नसीब है तो वो भोगें।


अभी कोरोना है मोदी जी, आपसे क्या छुपा है।
पर इस समय ये झोला छाप डाक्टर ख़ूब मदद कर रहे हैं, इसके लिए इनको शुक्रिया कह के इनके इस मदद को छोटा कर देना ठीक नहीं लग रहा हमको।
हम आपके इस चिट्ठी के माध्यम से इन सभी झोला छाप डॉक्टरों को भी प्रणाम🙏 भेजते हैं।
मेरा प्रणाम उनतक पहुँचाने में मदद करिएगा या अगर आपको समय इजाज़त दे तो दो-चार शब्द अपने मन की बात में कह दीजिएगा।


मोदी जी आप भगवान हैं। साक्षात नारायण हैं। ये हम नहीं कह रहे हैं आप खिसियाइएगा मत हमसे।
बल्कि भारत में बहुत लोग कह रहे हैं, अगर नहीं भी हैं तो आप बन जाइए और गाँवों में स्वास्थ्य सुविधाएँ ठीक करा दीजिये मोदी सर।
हम आपसे वादा करते हैं कि हम ज़िंदगी भर आपके लिए थाली और ताली बजाएँगे।
गाँव में आपका अस्पताल भी है पर व्यवस्था नहीं है, वह चलकर भी नहीं चल रहा है।
बहुत दुःख होता है मोदी सर।
आपके रहते हुए कोई माँ कैसे अपने बेटे के गोद में दम तोड़ सकती है!!!!
राजा जी आपके राज में कैसे कोई एम्बुलेंस के बिना दम तोड़ सकता है!!!!
लाखों की आबादी वाले गाँव में भी ठीक-ठाक या कामचलाऊँ स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं।
ज़िला मुख्यालय या पास के शहर में जाने में वक्त भी लगता है और सबके पास रावण वाला उड़नखटोला या पुष्पक विमान भी नहीं है जो झट से उड़ के डॉक्टर साहेब के यहाँ पहुँच जाए।
जाते-जाते देर हो जाती है और इसी क्रम में ही अनहोनी भी हो जाती है।
आप अभी नहीं तो कुछ समय बाद ही सही पर इसे दुरुस्त करा दीजिए।
लोग बच गए तो इलाज कराएँगे ज़रूर। उनको ज़िंदगी मिलेगी और आपको वोट के साथ-साथ अनगिनत दुआएँ, एकदम एक पर एक फ़्री की तरह मोदी सर।


मोदी सर हमारा भी तबीयत बहुत ठीक नहीं है। अभी के लिए इतना ही, फिर लिखेंगे✍️
आप पढ़िएगा ज़रूर।


हमेशा ज़िन्दाबाद रहिए।
Narendra Modi
फिर से प्रणाम🙏 आपको।


विकास जी के Facebook Wall से।

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