बुधवार, 3 सितंबर 2025

प्यार तो वह मुझसे कम करता है।



प्यार तो वह मुझसे कम करता है,

लेकिन ऐलान ख़ूब करता है।

इस तरह वो मेरा,

नुकसान बहुत करता है।


उसका चेहरा जो है ना!!! 

नज़र से कभी नहीं हटता मेरी।

शायद इसीलिये रात-दिन मुझको, 

परेशान बहुत करता है।


जी तो चाहता है भुला दूँ उसे मैं,

लेकिन ख़यालो में आ-आ कर के वो बेज़ार बहुत करता हैं।

ऐसा नही है की मै उसे पसंद नही,

बस ये बताने से वो एहतिराम करता है।


खुश नसीब हो आपलोग जो उसकी कहानियां सुनने के आए हो,

वरना वो तो एक अल्फाज़ हैं।

रहता तो हमेशा मेरे साथ हैं,

लेकिन एतबार नही करता है।


उक्ता गया हूँ उसके इस कार्यो से,

ना कभी वो हाँ और ना कभी ना कहता है।

बस!!! अपनी आँखों के झील में रखता है।

ना डूबने देता है और ना उबरने देता है...

अपनी काजल की लकीरों की, 

वह लक्ष्मण रेखा तैयार रखता है।


प्यार तो वह मुझसे कम करता है,

लेकिन ऐलान ख़ूब करता है।

इस तरह वो मेरा,

नुकसान बहुत करता है।


विश्वजीत कुमार✍🏻


कविता में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ -

एहतिराम (احترام) - सम्मान, आदर, इज़्ज़त या मान-मर्यादा
अल्फ़ाज़ - "शब्द" या "शब्द समूह
एतबार - (पुल्लिंग) विश्वास, भरोसा।
बेज़ार - परेशान
उक्ता - ऊबा हुआ


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