गुरुवार, 3 मार्च 2022

बिहार के प्रसिद्घ हास्य कवि श्री Shambhu Shikhar जी की कुछ मुक्तक/रचनाएं।✍️



मैं लेट गया घर था एक ट्रेन की तरह,
मुझसे किया सुलूक भी लादेन की तरह।
पत्नी मेरी रशिया की तरह सिर पे चढ़ गई,
मैं त्राहिमाम कर रहा यूक्रेन की तरह।

धर्मपत्नी आपकी रशिया की तरह आप पर चढ गई!
क्योंकि शायद यूक्रेन की तरह आपकी नजर किसी नाटो से जुड़ गई!!

अभी भी समय है, किसी अमेरिका से मदत की उम्मीद ना करे!
सुखी जीवन के लिए, धर्मपत्नी के सामने रोज साष्टांग दंडवत नमस्कार करे!
🙏🙏

 लहरों से खेलता हुआ आगे निकल गया,

कश्ती के ही सांचे में जो पतवार ढल गया।

मिल्लत में जो मज़ा है भला जंग में कहां,

क्या रूस को मिलेगा जो यूक्रेन जल🔥 गया। 



कुछ बस्तियों का हाल बियाबान से पूछो,

क्या-क्या उड़ा के ले गया तूफान से पूछो।

मिल बैठ के मसलों का समाधान कीजिए,

कितनी बुरी है जंग ये जापान से पूछो।



पत्थर को काटने की जरूरत ही नहीं है,

मरने की, मारने की जरूरत ही नहीं है।

कुदरत ने एकमुश्त ही बख्शा तो सभी को, 

धरती को बांटने की जरूरत ही नहीं है।


बहुत अजीब है ये बंदिशें मुहब्बत की ‘फ़राज़’

न उसने क़ैद में रखा न हम फरार हुए।

फ़राज़ का अर्थ:- ऊँचा, ऊँचाई, बुलंदी।

हम देश के हैं और पूरा देश हमारा,

मेहनत से हमने चाँद ज़मीं पर है उतारा। 

चन्नी जी आज आप जिसे कोस रहे हो, 

यूपी बिहार ने ही है पंजाब संवारा।



उसके तराने मुक्तकों में गुनगुना रहा,

आंखों को ख्वाब अब भी उसी के दिखा रहा।

कॉलेज के दिनों में किसी ने चूम लिया था,

अब तक जुबां पे स्वाद लिपस्टिक का आ रहा। 



तेरे लिए करता मैं रोज चीयर रहूँगा,

बनकर हमेशा ही मैं तेरा डीयर रहूँगा।

कुछ इस तरह से साथ निभाऊँगा जानेमन,

टैडी रहेगी तू मैं तेरा बीयर रहूँगा।




मन में थी अहिंसा की लगन तन पे लँगोटी,

लाखों में घूमता था लिये सत्य की सोंटी।

वैसे तो देखने में थी हस्ती तेरी छोटी,

लेकिन तुझे झुकती थी हिमालय की चोटी।


कवि प्रदीप✍️




पहला-पहला गणतंत्र दिया,

और अर्थशास्त्र का मंत्र दिया।

नालंदा से हमने जग को,

शिक्षा का पहला तंत्र दिया।

गिनती को शून्य दिया हमने,

गणनायें भी बलिहारी है।

हम धरतीपुत्र बिहारी हैं।

हम धरतीपुत्र बिहारी हैं।


सत्ता मद में जब चूर हुई,

हम जय प्रकाश बन कर डोले।

सिंहासन ख़ाली करो कि जनता आती है। 

दिनकर बोले-

हम सिखों के दशमेश गुरु, 

बिरसा मुंडा अवतारी हैं।

हम धरतीपुत्र बिहारी हैं।

हम धरतीपुत्र बिहारी हैं।



शम्भू शिखर की गर्लफ़्रेंड ने

काली रात में 

काले समंदर के पास 

बड़े ही काले मूड में पूछा-


तुम बैठे हो या चले गये ...


Arun Gemini Ramesh Muskan✍️


इन्सान का पतन उस समय

शुरू हो जाता है जब...!

अपनो को गिराने की सलाह

ग़ैरों से लेना शुरू कर देता है....!!



मुश्किल वक़्त हमारे लिये

आईने की तरह होता है,

जो हमारी क्षमताओं का सही

 आभास हमें कराता है…!!


    

सर्दी में घर से निकले बड़ाई के पात्र हैं। 

बैठे हैं जो चुप-चाप दुहाई के पात्र हैं।

शादी-शुदा हैं जो भी लुगाई के पात्र हैं।

और सारे ही कुँवारे रज़ाई के पात्र हैं।


नादान से भी दोस्ती कीजिये जनाब,

मुसीबत के वक्त समझदार लोग रिस्क कम लिया करते है।


किसी के हिस्से काशी आया किसी के हिस्से काबा 

 मुनव्वर राणा के हिस्से में आए योगी बाबा

जोगीरा सा रा रा रा रा ।


         है डूबती नैया इसे पतवार बना लो,

तलवार में थोड़ी सी और धार बन लो।

मोदी जीं है मौक़ा की अमित शाह को भेजो, 

और पाक में भी NDA सरकार बना लो।



लब हिले तो मोगरे फूल खिलते हैं कहीं … 

आपकी आँखों में क्या साहिल भी मिलते हैं कहीं …



ये सारे Article Shambhu Shikhar जी के Facebook Wall से ली गई हैं।






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