सोमवार, 7 मार्च 2022

ज़िनगी में ग़ज़बें लाचारी भइल बा।



 ज़िनगी में ग़ज़बें लाचारी भइल बा,

अपने बोझ ढोवल भारी भईल बा।


कहे के सब क़ेहु अपने बाs बाकिर,

बस गरज़ के सभे पुजारी भइल बा।


हँसत बाs लोग बस देख़ावा में ख़ाली,

ना त डाह के सबका बेमारी भइल बाs।


सम्बंध जोगावल भइल बड़ा मुश्किल,

रिश्ता में कुछ लोग व्यापारी भइल बाs।


केकरा के आपन कही केकरा के बैरी,

सगे लोगवा तलवार दुधारी भइल बा।


ज़िनगी में ग़ज़बें लाचारी भइल बा,

अपने बोझ ढोवल  भारी भईल बा।


साभार:- सोशल मीडिया

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