मंगलवार, 22 मार्च 2022

ग़ज़ल Gazal


ले गया दिल में दबा कर राज़ कोई,

पानियों पर लिख गया आवाज़ कोई।


बाँध कर मेरे परों से मुश्किलों को,

हौसलों को दे गया परवाज़ कोई।


नाम से जिसके मेरी पहचान होगी,

मुझमें उस जैसा भी हो अंदाज़ कोई।


जिनका तारा था वो आँखें सो गई हैं,

अब कहाँ करता है मुझ पे नाज़ कोई।


रोज़ उसको ख़ुद के अंदर खोजना है,

रोज़ आता दिल से इक आवाज़ कोई।


ले गया दिल में दबा कर राज़ कोई,

पानियों पर लिख गया आवाज़ कोई।


कुँअर बेचैन जी की कुछ ग़ज़ले


हुईं वरदान से भी और हर अभिशाप से भी,

बहुत बातें हुईं हैं आज अपने आप से भी।


मैं अपने ग़म को खुलकर आज तक गा.. ही न पाया, 

बहुत कीं मिन्नतें लय से,  मधुर आलाप से भी।


नहीं अब मिट न पायेगा मेरे मन का अँधेरा,

मेरे पूजा के दीपक से, सुबह  के जाप से भी।


मेरे मालिक तू मेरे  दिल को अब  पत्थर बना दे,

न  जो  पिघले किसी संताप से भी।


हमारी  ज़िंदगी  से  मौत  ही  ज़्यादा  बड़ी  है,

कफ़न कुछ तो बड़ा होता है तन के नाप से भी।


बहुत  बदली हुई  हैं  अब  बड़े-बच्चों  की बातें,

जो  होतीं दुश्मनों से  हैं वही  माँ-बाप से भी।


मेरे आँसू का ग़म मत  कर,   ये  हैं पानी  की बूँदें,

'कुँअर' बूँदें  जो  बन जाती हैं  थोड़ी  भाप  से  भी।


                     -कुँअर बेचैन✍️

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