बुधवार, 30 मार्च 2022

जब तेरी याद में, मैंने दिल💗 को जलाई🔥 थी।


मार कर फूँक, 

मैंने रात बुझाई थी।

जब तेरी याद में,

मैंने दिल💗 को जलाई🔥 थी।


एक बगल चाँद🌛 बैठा था मेरे,

एक बगल में मेरे तन्हाई थी।


मार कर फूँक, 

मैंने रात बुझाई थी।

जब तेरी याद में,

मैंने दिल💗 को जलाई🔥 थी।


सोचता हूँ पँख मिल जाते,

तो आ कर सो जाता।

तेरे बिस्तर के उस छोर, 

जहाँ तूने मेरी जगह बनाई थी।


मार कर फूँक.........


छान कर,"दो कप"☕☕, 

क्यूँ रखती हो शाम को चाय?

क्या याद में मेरी,

तुमने भी साँझ डुबाई थी।


मार कर फूँक.........


आओ ना फिर से कंधे पर,

सर रख कर बैठो।

तुम्हारा सुकून देख कर ही तो,

मुझे भी नींद आई थी।


मार कर फूँक.........


तुम्हारी बाहों में,

मेरे सुकून की कीमत तुम क्या जानो।

मेरे ताउम्र की, 

बस वही तो एक कमाई थी।


मार कर फूँक.........


हमने नाम उसके कर दी,

अपनी सारी वसीयत।

जो नींद  से उठकर,

ली तुमने अँगड़ाई थी।


मार कर फूँक, 

मैंने रात बुझाई थी।

जब तेरी याद में,

मैंने दिल💗 को जलाई🔥 थी।

1 टिप्पणी:

  1. सोच रहा था कि बिताउंगा,
    तेरे साथ आज की शाम।

    लेकिन तू ही नहीं आई,
    मेरे पास बस तन्हाई थी।

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