मंगलवार, 22 मार्च 2022

अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।।

             आज बिहार को अलग हुए पूरे 110 साल हो गये हैं, लोग उत्साह और जोश में डूबे हैं। ब्रिटिश शासन में बिहार बंगाल प्रांत का हिस्सा था, जिसके शासन की बागडोर कलकत्ता में थी। हालांकि इस दौरान पूरी तरह से बंगाल का दबदबा रहा लेकिन इसके बावजूद बिहार से कुछ ऐसे नाम निकले, जिन्होंने राज्य और देश के गौरव के रूप में अपनी पहचान बनाई।

         1912 में बंगाल प्रांत से अलग होने के बाद बिहार और उड़ीसा एक समवेत राज्य बन गए, जिसके बाद भारतीय सरकार के अधिनियम, 1935 के तहत बिहार और उड़ीसा को अलग-अलग राज्य बना दिया गया।


बिहार दिवस पर प्रस्तुत है एक कविता👇


 चाणक्य की नीति हूँ, आर्यभट्ट का आविष्कार हूँ मैं।

महावीर की तपस्या हूँ, बुद्ध का अवतार हूँ मैं।

अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।।


सीता की भूमि हूँ, विद्यापति का संसार हूँ मैं।

जनक की नगरी हूँ, माँ गंगा का श्रृंगार हूँ मैं।

अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।।


चंद्रगुप्त का साहस हूँ, अशोक की तलवार हूँ मैं।

बिंदुसार का शासन हूँ, मगध का आकार हूँ मैं।

अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।।


दिनकर की कविता हूँ, रेणु का सार हूँ मैं।

नालंदा का ज्ञान हूँ, पर्वत मन्धार हूँ मैं।

अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।


वाल्मिकी की रामायण हूँ, मिथिला का संस्कार हूँ मैं

पाणिनी का व्याकरण हूँ, ज्ञान का भण्डार हूँ मैं।

अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।


राजेन्द्र का सपना हूँ, गांधी की हुंकार हूँ मैं।

गोविंद सिंह का तेज हूँ, कुंवर सिंह की ललकार हूँ मैं।

अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।।


और क्या बताऊं क्या-क्या हूँ, बस इतना समझो।

भारत का सिरमौर और ज्ञान का भंडार हूँ मैं।

अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।।



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