बुधवार, 30 मार्च 2022

लोग महबूब पर, गज़ल लिखते हैं, हम "महबूब पर ही", "गज़ल" लिखेंगे।


लोग महबूब पर, गज़ल लिखते  हैं,

हम "महबूब पर ही""गज़ल" लिखेंगे।


पढ़ेंगे हर्फ़-हर्फ़ जिस्म उसका,

आज मिटा कर, फिर "कल" लिखेंगे।


उसने मेरे दिल💗 में, दख्लअन्दाज़ी करके,

मुझे इश्क़ से अपने, बे-दख़ल💔 कर दिया।


हम उसके दिल की हर धक-धक पर,

अपना "दख़ल" लिखेंगे।


पढ़ेंगे हर्फ़- हर्फ़ धड़कनें उसकी,

आज मिटा कर, फिर "कल" लिखेंगे।

हर्फ़ का अर्थ:- अक्षर, वर्ण।


ख्वाहिशों के दामन को,

बस उसकी आरज़ू है तो।

दामन के हर "सिलवट" पर,

उसके "करवटों की शक्ल" लिखेंगे।


लोग महबूब परगज़ल लिखते  हैं,

हम "महबूब पर ही""गज़ल" लिखेंगे।


बैठेंगे साथ उसके,

आशिकी का जाम🥂 लेकर।


मयक़दे में कल इश्क़ की,

"पूरी गज़ल" लिखेंगे।


लड़खड़ा न जाये दिल💗 उसके,

दीदार👸 से इक दफा फिर।

"सूरत उसकी",धड़कन पर,

ज़रा "संभल-संभल" लिखेंगे।


लोग महबूब परगज़ल लिखते  हैं,

हम "महबूब पर ही""गज़ल" लिखेंगे।


जाने ना देंगे उनको,

घायल❤‍🩹 ये  रूह करके।


कल हाथों से उनके,

अपना "पूरा क़त्ल" लिखेंगे।


तैयार रहना "चस्मदीदों",

कल गवाही है तुम्हारी अदालत में।


हम बेवफाई के मुआवज़े में,

"वफा" का सूद समेत "असल" लिखेंगे।


लोग महबूब परगज़ल लिखते  हैं,

हम "महबूब पर ही""गज़ल" लिखेंगे।

                                

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