शनिवार, 27 नवंबर 2021

नवोदय की वो पहली चाय☕ (Navodaya ki wo pahli chai)

        जवाहर नवोदय विद्यालय सुखासन, मधेपुरा (बिहार) में अपना योगदान दिये हुए मुझे एक सप्ताह से ऊपर हो गया था। कमी तो किसी चीज की यहां नहीं थी बस एक ही चीज की तलब महसूस हो रही थी वह थी - चाय☕.

      कैलाश सर, जो को यहां पर गणित के शिक्षक के रूप में मेरे साथ ही योगदान दिए थे। उनके साथ एक दिन सिंहेश्वर धाम जाने एवं भगवान शिव के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कोरोना की गाइडलाइन की वजह से मंदिर का गर्भगृह तो बंद था लेकिन मंदिर के बाहर से ही श्रद्धालुओं के द्वारा पूजा-पाठ किया जा रहा था। मंदिर के बारे में विस्तृत विवरण नीचे दिए गए लिंक से आप पढ़ सकते हैं👇


https://biswajeetk1.blogspot.com/2021/09/blog-post_93.html


फिलहाल हम अपने विषय पर लौटते हैं....

         मंदिर से दर्शन के उपरांत आते समय अचानक से ध्यान आया कि चाय बनाने की सारी सामग्रियां खरीद लेते हैं। चाय के स्वाद में कही कोई कमी ना रह जायें इसलिए याद कर-करके एक-एक चीजें हम खरीद रहे थे। मेरा मानना है कि जिंदगी और चाय में टेस्ट हमेशा बना रहना चाहिए।  अमूमन लोग चाय बनाने के लिए दूध और चायपत्ती की परिकल्पना करते हैं लेकिन मेरी चाय की लिस्ट में सामग्री की सूची लंबी होती जा रही थी, जिसे देख- देखकर कैलाश सर भी आश्चर्यचकित हो रहे थे। अंतिम में मैंने जब 100 ग्राम इलायची की मांग की तो उनसे रहा नहीं गया और बीच मे बोल उठे!!! सर, इतनी इलाइची का क्या कीजिएगा?? ₹05 - ₹10 की ले लीजिए काफी हैं। मैंने उनकी बात को स्वीकार करते हुए 50 ग्राम इलायची ले ली। विद्यालय पहुंचने पर उन्होंने पूरे परिसर में यह बात फैला दी थी आर्ट सर तो चाय के लिए ₹250/- कि केवल इलायची लाये हैं। नवोदय विद्यालय में किसी भी शिक्षक को उसके नाम से कम उसके सब्जेक्ट से ज्यादा जाना जाता है। जैसे मैं आर्ट सब्जेक्ट पढ़ाता आता हूं तो आर्ट सर. कोई रसायन शास्त्र पढ़ाता है तो केमेस्टरी सर... इसकी शुरुआत किसने की इसके बारे में तो मुझे नहीं पता लेकिन सुनकर अच्छा लगता था।

      चाय पीने के लिए कप मैंने दो दिन पहले ही Flipkart से ऑनलाइन ऑर्डर कर दिया था, जो कि एक-दो दिनों में पहुंचने वाला था। अब बस इंतजार था की कब कप आए और चाय की पार्टी की जायें।

       ....इंतजार ज्यादा लंबा नहीं चला और अगले ही दिन शाम में ही 01 दिन पहले Flipkart का कुरियर बॉय आ गया यानी मेरा इंतजार उससे भी नहीं देखा गया शायद! बस!!!, फिर क्या था, फटाफट चाय पार्टी की प्लानिंग बन गई। इवनिंग असेम्बली के बाद मैंने सुदर्शन सर (कंप्यूटर  सर), कैलाश सर (मैथ सर), चंदन सर (इंग्लिश सर), सफान सर (इकोनॉमिक्स सर) और सज्जाद सर को आमंत्रण दे दिया। सज्जाद सर को छोड़कर सभी लोग रूम पर आ गए थे। चाय बनाने के लिए जब मैं किचन में गया तो देखा कि पानी ही नहीं है और मैंने दिन में पानी भरा ही नहीं था। मैं सोच ही रहा था की क्या करूं तभी कंप्यूटर  सर मेरी मदद करने के लिए किचन में आये। जब उन्होंने देखा कि किचन में पानी नहीं है तो फटाफट वो अपने रूम पर गए और और एक बोतल पानी लेकर आए। सज्जाद सर भी आएंगे यह सोचकर मैंने 06 कप चाय बनने के लिए रख दिया। 

       चाय अच्छी बने यह सोचकर मैंने 03-04 चम्मच एक्स्ट्रा ही दूध डाल दिया। चूंकि मैं पाउडर वाले दूध से चाय बना रहा था। वो दूध इतना गाढ़ा हो गया कि चाय वाले बर्तन में ही नीचे एक मोटा लेयर बैठ गया और जलने भी लगा। दूध के जलने की महक पूरे किचन में फैल गई। दूध जलने की महक बगल के रूम में बैठे बाकी सर के पास पहुंचे उससे पूर्व ही मैंने दूध को दूसरे बर्तन में खाली करके फिर से दूध घोला और चाय बनाने की प्रक्रिया पूर्ण की। 

      आखिररकार!!! हमारी मेहनत रंग लाई और चाय बन गई। अब बस उसे कप में निकालना था। कप भी मैंने धो करके तैयार कर लिया। तब-तक कंप्यूटर सर पुनः किचन में आये और बोले कि - सर लेट हो रहा है? मैंने कहा - सर, चाय तैयार हैं बस छान कर ला रहे हैं। तब तक आप ये बिस्किट लेकर चलिए। सुदर्शन सर बिस्किट लेकर चले गए लेकिन मेरे सामने पुन: एक समस्या आ गई और वह यह थी कि चाय की सभी सामग्री खरीदते समय मैंने चाय छानने वाला उपकरण यानी चाय छन्नी खरीदा ही नहीं था। इस समस्या का त्वरित समाधान करना था। मैंने फटाफट एक सफेद सूती का गमछा लाया जिसे कुछ दिनों पूर्व ही खरीदा था उसे लेकर पहले पानी मे अच्छे से धोया फिर उससे चाय छानने का भरसक प्रयास करने लगा क्योंकि मैंने देखा था कि शादी-वगैरह में ऐसे ही सफेद धोती से लोग चाय छानते हैं लेकिन धोती का कपड़ा थोड़ा पतला होता है उससे चाय आसानी से निकल जाती है लेकिन गमछा थोड़ा मोटा था मेरे लाख प्रयत्न के बाद भी चाय गमछे से नहीं निकल पा रहा थी। 

       सफेद रंग का गमछा चाय के रंग से रंगीन हो गया लेकिन कप में चाय नही आया या थोड़ा-बहुत आया। फिर सुई की मदद से उस गमछे में छेद कर-कर के चाय को निकाला। इस प्रयास में चाय मेरे शरीर, कपड़ों एवं जमीन पर गिर गया।पुरी प्रक्रिया के पश्चात मेरे पास 05 कप चाय ही आया और जब मैंने आदमी को गिना तो मुझको लेकर 06 लोग हो रहे थे। फिर मैंने सोचा कि फिलहाल 05 को ही दे देंगे और स्वयं के बारे में विचार करेंगे लेकिन जैसे ही चाय लेकर गया तो देखा कि अभी तक सज्जाद सर नहीं आये थे यानी मुझको लेकर 05 लोग ही हो रहे थे यानी सब के बीच एक-एक कप बंट गया और नवोदय की वो पहली चाय की पार्टी सेलिब्रेट🎉 हो पाई। चाय पार्टी को और अधिक मजेदार मैंने बनाया और कुछ दिन बाद कंप्यूटर सर का जन्मदिन था मैंने उनके लिए एक तस्वीर बनाई थी जो कि उन्हें भेंट की। इस तरह से चाय पार्टी मेरे साथ-साथ कंप्यूटर सर (सुदर्शन सर) के लिए भी यादगार बन गई।









2 टिप्‍पणियां:

  1. अपने इस लेख से
    वो लम्हा बना दिया आपने…
    जो चाय ☕ की पहली चुस्की सा
    दिल💜 में उतर गया😊…!!

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