बुधवार, 10 नवंबर 2021

मैं मोबाइल हुँ।

  मैं मोबाइल हुँ। 

ना आपके पास खेलने का टाइम छोडूंगा,

ना कसरत करने का।

यहां तक की आपकी कार्यक्षमता भी आधी कर दूंगा। 

आप काम कम करेंगे और मुझे ज्यादा देखेंगे।

क्योंकि मैं मोबाइल हुँ। 


मैं आपका बचपन चुरा लूंगा, 

आपकी जवानी भी चुरा लूंगा,

आप जल्दी ही बूढ़े हो जाओगे। 

इसलिए मेरा प्रयोग सोच समझकर करना।

 दोस्तो, मेरे फायदे है तो नुकसान भी है।

क्योंकि मैं मोबाइल हुँ।


ज्यों-ज्यो आपको मेरी लत लगती जाएगी,

त्यों-त्यों मैं आप पर हावी होता जाऊंगा। 

सबसे पहले आपकी आंखों की रोशनी छीन लूंगा, 

फिर नींद चुराउंगा। 

धीरे-धीरे मैं आपके स्वास्थ्य को चौपट कर दूंगा।

क्योंकि मैं मोबाइल हुँ।


मेरा उपयोग सावधानी से करना, दोस्तो। 

मैं आपको उन लोगों से दूर कर दूंगा, 

जो मुझे चलाना नही जानते। 

मैं आपको उन लोगों से भी दूर कर दूंगा, 

जो आपके बेहद करीब रहते है।

क्योंकि मैं मोबाइल हुँ।


सोचने वाली बात है🤔

      3500 फेसबुक दोस्त और 25 व्हाट्सएप ग्रुप होने के बाद भी जब उसे हार्ट-अटैक हुआ तो ICU के बाहर सिर्फ उसकी पत्नी, माँ-बाप भाई-बहन और बच्चे खड़े मिले। जिनके लिये कभी भी उसके पास वक्त नहीं होता था। काल्पनिक दुनिया से बाहर निकलिये और अपने परिवार को वक्त दीजिये। आपका परिवार ही आपके बुरे वक्त में आपका साथ देता है।


ये मोबाइल यूं ही हट्टा-कट्टा नहीं हुआ है बहुत कुछ खाया-पिया है इसने। 

मसलन ये हाथ की घड़ियाँ खा गया।

ये चिट्ठी पत्रियाँ खा गया। 

ये रेडियो खा गया।

ये टेप-रिकार्डर खा गया। 

ये टार्च लाइटें खा गया। 

ये किताबें खा गया। 

ये पड़ोस की दोस्ती खा गया। 

ये हमारा वक्त खा गया। 

ये पैंसे खा गया। 

ये रिश्ते खा गया। 

ये तंदुरुस्ती खा गया। 

ये मेल-मिलाप खा गया। 

कमबख्त, ये मोबाइल यूँ ही हट्टा-कट्टा नहीं हुआ है। 

बहुत कुछ खाया-पिया है इसने। 

इतना कुछ खा कर ही स्मार्ट बना है।


कडवा है मगर सच है।

मोबाइल के कारण, बच्चे माता-पिता के कवरेज एरिया से बाहर होते जा रहे हैं।



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