जो तुम्हारा हो ना सके,
कभी उसकी चाहत मत करना।
अगर हो सच में वह पत्थर,
तो कभी इबादत मत करना।
आदतों से यूं ही हंस कर
दो-चार बाते कर लेना।
मगर किसी से बात करने की,
आदत मत करना।
जो परिंदे उड़ जाना चाहते है,
उन्हें रोकना मत।
पिजरे खोल देना,
इजाजत-विजाजत मत करना।
अगर हो सफर में तो,
अनवरत चलते रहो।
लक्ष्य को लेकर खुद पर,
राहत मत करना।
मंजिल मिलेगी,
तुम्हें भी एक दिन।
किसी की बातों में आकर,
सपनो को अपने चकनाचूर मत करना।
मंजिल तक पहुंचने में,
लाख रुकावटे आती है।
हंसकर उन सभी को,
आत्मसात करते रहना।
मंजिल पर पहुंच कर,
भूल ना जाना उन ख्वाबों को।
जो तुम्हारे ख्वाब पूरे करने के लिए,
अपने ख्वाबों की बलि देते रहे हैं।
विश्वजीत कुमार✍️
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