विद्यालय या परिवार के समान समुदाय भी व्यक्ति के व्यवहार में इस प्रकार रूपान्तर करता है, जिससे वह समूह के कार्यों में सक्रिय भाग ले सके, जिसका कि वह सदस्य है। हम प्रायः सुनते हैं कि बालक वैसा ही बनता है, जैसा कि समुदाय के बड़े लोग उसको बनाते हैं। सत्य है कि समुदाय बालक के व्यक्तित्व के विकास पर बहुत प्रभाव डालता है। वास्तव में, समुदाय बालक की शिक्षा को प्रारम्भ से ही प्रभावित करता है। बालक का विकास न केवल घर के संकुचित वातावरण में, वरन् समुदाय के विस्तृत वातावरण में ही होता है। समुदाय अप्रत्यक्ष, किन्तु प्रभावपूर्ण ढंग से बालक की आदतों, विचारों और स्वभाव को मोड़ता है। उनकी संस्कृति, रहन-सहन, बोलचाल आदि अनेक बातों पर उसके समुदाय की छाप होती है। समुदाय का वातावरण बालक की अनुसरण की जन्मजात प्रवृत्ति पर विशेष प्रभाव डालता है। वह उन व्यक्तियों के ढ़ंगों का अनुसरण करता है, जिनको वह देखता है, उदाहरणार्थ- यदि वह संगीतज्ञों के साथ रहता है, तो उनकी संगीत-कुशलता से प्रभावित होता है और उसमें संगीत के लिए रुचि उत्पन्न होती है।
बच्चे अपने समुदाय के ढंग को अपनाते हैं। इसलिए उनकी बोल-चाल, दृष्टिकोण और व्यवहार में अन्तर होता है। अतः यह कहना अनुचित न होगा कि परिवार और विद्यालय के समान समुदाय भी शिक्षा का महत्त्वपूर्ण साधन है। विलियम ईगर (William E. Yeager) का कथन है- "क्योंकि मनुष्य स्वभाव से सामाजिक प्राणी है, इसलिए उसने वर्षों के अनुभव से सीख लिया है कि व्यक्तिगत और सामूहिक क्रियाओं का विकास समुदाय द्वारा ही सर्वोत्तम रूप से किया जा सकता है।"
बालक पर समुदाय के शैक्षिक प्रभाव
(Educative Influences of Community in Child)
1. सामाजिक प्रभाव (Social Influence)- बालक पर समुदाय का सीधा सामाजिक प्रभाव पड़ता है। समुदाय ही उसकी सभ्यता और सामाजिक प्रगति का मुख्य आधार है। बालक अनौपचारिक रूप से देखता है कि सभी व्यक्ति अपने समुदाय की उन्नति के लिए कार्य करते हैं और यदि उनमें से कुछ ऐसा नहीं करते हैं, तो समुदाय की प्रगति रुक जाती है। समुदाय में समय-समय पर मेले, उत्सव, सामाजिक सम्मेलन, धार्मिक कार्य आदि होते हैं। बालक इनमें भाग लेकर सामाजिक जीवन और सामाजिक सेवा का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करता है। समुदाय में रहकर ही बालक अधिकार और स्वतन्त्रता का वास्तविक अर्थ समझता है। यह जान जाता है कि अधिकारों के साथ कर्त्तव्य और स्वतन्त्रता के साथ अनुशासन आवश्यक है। संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि समुदाय, व्यक्ति में नागरिक गुणों का विकास करता है और सेवा, त्याग और सहयोग की भावनाएँ उत्पन्न करता है।
2. राजनीतिक प्रभाव (Political Influence)- समुदाय का राजनीतिक प्रभाव बालक के राजनीतिक विचारों को निश्चित रूप देता है, उदाहरणार्थ- अमरीका के निवासी लोकतन्त्रीय विचारों और आदशों का समर्थन करते हैं और रूस के लोग साम्यवादी विचारों और सिद्धान्तों को पसन्द करते हैं। दोनों देशों के निवासी एक-दूसरे के घोर विरोधी हैं।
एक-दूसरे प्रकार के राजनीतिक प्रभाव के बारे में क्रो व क्रो (Crow and Crow) ने लिखा है- “समुदाय की राजनीतिक विचारधारा उस सीमा तक प्रतिविम्बित होती है, जहाँ तक उसके सदस्यों को शैक्षिक अवसर प्रदान किये जाते हैं और उसके राजनीतिक नेता नागरिकों की शैक्षिक प्रगति के लिए उत्तरदायित्व ग्रहण करते हैं।"
3. आर्थिक प्रभाव (Economic Influence)- समुदाय का आर्थिक प्रभाव उद्योगों और व्यवसायों में दिखाई देता है। बालक अपने समुदाय के व्यक्तियों को विभिन्न व्यवसायों में लगा हुआ देखता है। फलतः उनमें से किसी में उसकी रुचि उत्पन्न होती है और वह उसे सीखने के लिए उत्सुक हो जाता है। कभी-कभी वह अपने माता-पिता या सम्बन्धियों को उनके व्यवसाय में सहायता कर देता है। आज भी ग्रामीण समुदाय में यह बात देखी जाती है। वहाँ बालक कृषि, बढ़ईगीरी या समुदाय के लिए और कोई हितकर कार्य करता है। यदि वह कोई ऐसा व्यवसाय करता है, जो समुदाय नहीं चाहता है, तो उसे समुदाय से निकाल दिया जाता है। वह उसका सदस्य फिर तभी हो पाता है जब वह उस व्यवसाय को छोड़ देता है और समुदाय द्वारा दिये गये दण्ड को स्वीकार करता है। आज भी भारतीय समाज में यह बात पायी जाती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि समुदाय बालक को व्यवसाय के चुनने में प्रभावित करता है।
4. सांस्कृतिक प्रभाव (Cultural Influence)- प्रत्येक समुदाय की अपनी संस्कृति होती है। यह अपने सदस्यों पर उसको छाप लगाने और उनको उससे पूर्ण रूप से परिचित कराने का प्रयास करता है। बालक अपने से बड़े लोगों को अपनी संस्कृति का सम्मान और संरक्षण करते हुए देखता है अतः वह स्वयं भी वैसा ही करने लगता है। हम व्यक्तियों की भाषा पर समुदाय के प्रभाव को अच्छी तरह जानते हैं। बालक समुदाय में अनजाने ही बोलचाल, भाषा और शब्दावली का ज्ञान प्राप्त करता है। यही कारण है कि एक समुदाय के लोग, दूसरे समुदाय के व्यक्तियों से बोलचाल, भाषा और उच्चारण में भिन्न होते हैं। आप इस अन्तर को ग्रामीण और शहरी समुदाय के बच्चों में सरलतापूर्वक देख सकते हैं।
जब बालक समुदाय के सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक उत्सवों को देखता है, तब वह उनका अनुसरण करने का प्रयत्न करता है। फलतः उसमें अपने समुदाय की संस्कृति और धर्म के लिए एक विशेष प्रकार की भावना का विकास होता है। अतः जब बालक पहली बार विद्यालय में आता है। तब उसमें भाषा, धर्म और नैतिकता को कुछ विशेषताएँ उसकी संस्कृति को बताती हैं।
5. साम्प्रदायिक प्रभाव (Cultural Influence)- समुदाय के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव का शैक्षिक महत्त्व तो है ही, पर समुदाय का शैक्षिक प्रभाव भी कम महत्त्व नहीं रखता है। यह प्रभाव समुदाय के विद्यालयों द्वारा डाला जाता है। बहुत से समुदाय अपनी शिक्षा संस्थाएँ स्थापित करते हैं। इन संस्थाओं के अपने स्वयं के लक्ष्य और उद्देश्य होते हैं। वे इनके अनुसार बालकों को अपने समुदार्थों की सेवा और कल्याण के लिए प्रशिक्षित करते हैं।
परन्तु सम्प्रदायिक स्कूल (Communal School) बड़ा घातक प्रभाव डालते हैं। वे बालकों में संकुचित दृष्टिकोण और संकीर्ण साम्प्रदायिक भावना उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार के विभिन्न समुदायों में एक-दूसरे के लिए घृणा का बीज बोते हैं। अतः साम्प्रदायिक स्कूल देश के लिए अभिशाप हैं।
इस प्रकार हम देखते हैं कि बालक के व्यक्तित्व पर समुदाय का शैक्षिक प्रभाव बहुत ही शक्तिशाली होता है। जब यह प्रभाव ठीक प्रकार का होगा, तभी बच्चों के दृष्टिकोण ठीक होंगे, अन्यथा नहीं।
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