एक फोटोग्राफर ही ऐसा प्राणी है जो मंदिर भी जाता है और मस्जिद भी। वो चर्च भी जाता है और गुरुद्वारे भी। फोटोग्राफर का हर धर्म एवं मजहब से नाता है। वो सुख, दुख, हंसी, उदासी एवं गम हर तरह की यादें बनाता है। फोटोग्राफर का हर इमोशन से नाता है वो कभी लेटकर, कभी उठकर, कभी बैठकर तो कभी-कभी टेढा-मेढा सा होकर विभिन्न एंगल से यादो को कैद करते रहता है।
फोटोग्राफर का हर एंगल से नाता है वो अकेले के लिये भी दौड़ता है और भीड के लिये भी। फोटोग्राफर का हर परिस्थितियों से नाता है।
आप मत पूछिये की एक फोटोग्राफर क्या-क्या संजोता है वो तो हर पल की यादो की छवि आपके हाथो में दे जाता है।
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