सोमवार, 8 नवंबर 2021

वैश्वीकरण का अर्थ एवं परिभाषाएं (Meaning of Globalization and Characteristics) S-1 Unit-2 D.El.Ed. 2nd Year B.S.E.B. Patna.

 वैश्वीकरण का अर्थ 

(Meaning of Globalization) 

         वैश्वीकरण का सामान्य रूप से अर्थ विश्व की सम्पूर्ण आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षिक गतिविधियों का ज्ञान सभी को होना चाहिए। दूसरे शब्दों में, संसार में विकसित और विकासशील देशों द्वारा परस्पर मिलकर विकास के पथ पर अग्रसर होते हैं। किसी एक देश की प्रगति में बाधक तत्त्वों का निराकरण, किसी दूसरे देश के सहयोग के माध्यम से किया जाता है। यह वैश्वीकरण का प्रमुख ज्वलन्त उदाहरण है। 

वैश्वीकरण की कुछ परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं:- 

(1) जे. पी. श्रीनिवास के शब्दों में, "विश्व की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक और मानवीय समस्याओं का समाधान जब विश्व के एक वैचारिक मंच पर होता है, तब वैश्वीकरण का संकेत मिलता है।" 

(2) प्रो. टी. के. माधवन ने कहा है, "विश्व की अर्थव्यवस्था का विकास एवं सामाजिक विकास राज्य के नियन्त्रण की सीमितता के अन्तर्गत होता है, तब यह प्रक्रिया वैश्वीकरण कहलाती है।" 

(3) प्रो. के. मनस्वी के अनुसार, "उदारीकरण, आर्थिक विकास एवं निजीकरण के सामंजस्य की विश्वस्तरीय प्रक्रिया को वैश्वीकरण कहते हैं।" 

        इस तरह यह कहा जा सकता है कि वैश्वीकरण मुख्य रूप से मानव के आर्थिक एवं सामाजिक कल्याण से सम्बन्धित प्रक्रियाओं से है जोकि उसके अनेक प्रकार के पक्षों से सम्बन्धित है। 

वैश्वीकरण की विशेषताएँ 

(Characteristics of Globalization) 

      वैश्वीकरण की अवधारणा एवं उद्देश्यों पर दृष्टिपात किया जाये तो निम्नलिखित विशेषताएँ दृष्टिगोचर होती हैं- 

(1) सदभावना पर आधारित (Based on Good Faith):- वैश्वीकरण में समत्व की भावना पायी जाती है, इसमें प्रत्येक मानवीय कार्य हेतु सद्भाव की अवस्था रहती है। शत्रुता भाव का अभाव इस व्यवस्था में पाया जाता है। 

(2) सहयोग पर आधारित (Based on Co-operation):- वैश्वीकरण की अवधारणा का अवलोकन करने पर पता चलता है कि वैश्वीकरण सहयोग की भावना पर आधारित है। इसमें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक दूसरे देश की मदद पर विशेष बल दिया जाता है। भूकम्प, बाढ़, सुनामी, आदि दैवीय आपदा के समय अन्तर्राष्ट्रीय सहायता सहयोग पर ही आधारित है। 

(3) एक की समस्या सभी की समस्या (One's Problem of All's Problem):- किसी भी देश की समस्या को केवल उसी की समस्या न मानकर सभी देश उसे अपनी समस्या मानते हैं, जैसे:- भारत की आतंकवाद की समस्या को समस्त देशों द्वारा अन्ततः स्वीकार करना ही पड़ा है। 

(4) सूचना तकनीकी का विकास (Development of Information Technology):- आज संसार में सूचना प्रणाली का जो जाल फैला हुआ है यह वैश्वीकरण की मुख्य विशेषता है। आज घर बैठे ही सूचना देश के किसी कोने में भेज सकते हैं एवं वहाँ की सूचना अपने पास मँगा सकते हैं।

(5) विचारधाराओं का महत्त्व (Importance of Thinking):- विभिन्न प्रकार के राजनैतिक, सामाधि और आर्थिक आयोजनों में सभी के विचारों को एक मंच पर सुना जाता है और आवश्यकता के अनुसार भी प्रदान किया जाता है। 

(6) तकनीकी शिक्षा का विकास (Development of Technical Education)- वैश्वीकरण क प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें तकनीकी शिक्षा का विकास तेज गति से होता है, क्योंकि एक देश को तकनीकों यन्त्रों के माध्यम से ही दूसरे देशों में पहुंचाया जा सकता है। एक देश दूसरे देशों की तकनीकी का आदान-प्रदान भी करते हैं। 

(7) मानवता का विकास (Development of Humanity)- वैश्वीकरण के अन्तर्गत मानवतावादी विचारधारा को अधिक महत्त्व दिया जाता है। मानव कल्याण हेतु कई अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं को प्रभावशाली बनाया जा रहा है। यूनीसेफ को सशक्त बनाना इसी विशेषता को प्रदर्शित करता है।

(8) समस्या समाधान में एकता (Unity in Problem Solving)- समस्या चाहे किसी भी देश की हो उसके समाधान का दायित्व सभी देशों का होता है। रूस के विखण्डन के बाद की उत्पन्न स्थिति में अमेरिका, भारत जैसे देशों का सहयोग वैश्वीकरण की इस विशेषता को प्रदर्शित करता है।

वैश्वीकरण के प्रमुख प्रभाव

(Major Effects of Globelization) 

वैश्वीकरण के प्रभाव सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों होते हैं जो निम्नलिखित हैं:- 

(A) सकारात्मक प्रभाव- 

1. सूचना तकनीक की उन्नति से राज्य की कार्य क्षमता में वृद्धि 

2. आंतरिक प्रशासन प्रभावशाली 

3. आपसी सहयोग के कारण आतंकवाद पर अंकुश संभव 

(B) नकारात्मक प्रभाव 

1. कल्याणकारी राज्य का स्थान उदारवादी राज्य ने लिया। 

2. अहस्तक्षेप की नीति से राज्य के कार्य क्षेत्र में कमी। 

3. बहुराष्ट्रीय नियमों के कारण राज्य की विदेश नीति प्रभावित। 

4. बहुराष्ट्रीय नियमों के कारण राज्य की सीमाओं पर नियंत्रण प्रभावित। 

वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव:- 

(A) सकारात्मक प्रभाव 

1. अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थाओं द्वारा आर्थिक नीतियों का निर्धारण 

2. आर्थिक प्रभाव बढ़ा 

3. खुलेपन के कारण गरीबी कम हुई 

4. समान व्यापारिक एवं श्रम नियमों से संतुलित आर्थिक विकास 

(B) नकारात्मक प्रभाव 

1. पूंजीवादी व्यवस्था से अमीरों की संख्या कम और गरीबों की संख्या अधिक हुई। 

2. सरकार ने गरीब व वंचित वर्गों के कल्याण कार्य व सुरक्षा कार्य कम किये। 

3. आर्थिक संस्थाओं ने गरीब देशों के हितों की अनदेखी की। 

4. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से कुटीर उद्योगों को नुकसान एवं बेरोजगारी बड़ी।

आर्थिक परिणाम- 

1. व्यापारिक प्रतिबन्धों की कमी- देशों द्वारा आयात वस्तु पर प्रतिबंध लगाते थे उसमें कमी होना एवं निवेशकों द्वारा दूसरे देशों में धन लगाकर अधिक मुनाफा प्राप्त करना। 

2. वीजा नीति- विकसित देश इस नीति द्वारा अपने राष्ट्र कर सीमाओं को अभेद्य बनाये रखते हैं ताकि दूसरे देश के नागरिक विकसित देशों में आकर नौकरी धन्धे न हथिया लें। 

3. सामाजिक सुरक्षा कवच- इस नीति द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर तबको पर दुष्प्रभाव को कम करने की कोशिश की जायेगी। 

वैश्वीकरण के सामाजिक प्रभाव-

(A) सकारात्मक (लाभ) प्रभाव- 

1. विदेशी संस्कृतियों के मेल से पसंदों का क्षेत्र बढ़ा।

2. वेशभूषा परिवर्तन 

3. मेल मिलाप से खाद्य व्यवस्था प्रभावित 

(B) नकारात्मक (हानि) प्रभाव- 

1. धनी देशों की संस्कृति गरीब देशों के समाज पर प्रभावी 

2. संस्कृति की मौलिकता समाप्त 

3. विकासशील देशों की संस्कृतियों का पश्चिमीकरण 

4. युवा पीढ़ी में तनाव।

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