सोमवार, 1 नवंबर 2021

शिक्षा के राजनैतिक एवं संवैधानिक प्रावधान (POLITICAL AND CONSTITUTIONAL PROVISIONS OF EDUCATION) D.El.Ed. 2nd Year. S-1 Unit-3. B.S.E.B Patna.

   राज्य (State) 

          राज्य भी शिक्षा का औपचारिकेत्तर अभिकरण (Agency) है। राज्य और शिक्षा पर एक अलग लेख में हम चर्चा करेंगे। यहाँ पर हम केवल यह देखने का प्रयत्न करेंगे कि शिक्षण संस्था के रूप में राज्य के मुख्य कर्तव्य कया है? शिक्षा का समुचित प्रबंध करना राज्य का आवश्यक कार्य है। विद्यालय परिवार, समाज आदि। तो शिक्षा का कार्य करते हैं, राज्य भी अनौपचारिक (Informal) रूप से व्यक्तियों को शिक्षित करता रहता है। बिना किसी निश्चित नियम, स्थान, समय, आदि। के व्यक्ति राज्य से कुछ न कुछ सीखते ही रहते हैं। शिक्षा अभिकरण (Education agency) के रूप में राज्य के प्रमुख कर्तव्य संक्षेप में निम्न प्रकार है:-

1. राज्य का कर्तव्य व्यक्ति और परिवार का स्थान लेना नहीं वरन् उनका विकास करना है। 

2. राज्य का यह कर्तव्य है कि वह विद्यालयों की स्थापना करे एवं निजी विद्यालयों की सहायता करे। 

3. समाज की आवश्यकता के अनुरूप विद्यालयों के स्वरूप में परिवर्तन करना राज्य का दायित्व है। 

4. विभिन्न प्रकार के शिक्षा अभिकरणों में समन्वय स्थापित करना।

5. अपव्यय (Wastage) रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के विद्यालयों में भी समन्वय स्थापित करना ताकि राष्ट्र में उच्च शैक्षणिक स्तर स्थापित किया जा सके। 

6. विद्यालयों के लिए न्यूनतम उपलब्धि की सूची बनाना तथा उनके लिए आवश्यक निर्देशक सिद्धान्तों का निर्माण करना।

7. शिक्षा को स्थानीय संघर्षो से मुक्त करना। 

8. माता पिता को शिक्षा के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोण प्रदान करना। 

9. एक निश्चित अवधि तक निःशुल्क एवं सार्वभौमिक शिक्षा की व्यवस्था करना। 

10. शिक्षा पर होने वाले व्यय को वहन करने का उत्तरदायित्य स्वयं निभाना तथा अन्य संस्थाओं को इस कार्य के लिए प्रेरित करना। 

11. शिक्षकों की शिक्षा की समुचित व्यवस्था करना ताकि शिक्षा स्तर नीचे न गिरने पाए। 

12. शिक्षा-संस्थाओं को उचित परामर्श देना। इसके लिए उपयुक्त समितियों एवं आयोगों का संगठन करना। 

13. राष्ट्र की संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिए विशेष ध्यान देना।

14. नागरिकों में राष्ट्र के प्रति कर्तव्य की भावना उत्पन्न करना एवं सामाजिक दक्षता के लिए नागरिकता की भावनाओं के साथ-साथ नैतिक भावनाओं का विकास करने में योगदान देना।

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