राज्य का शिक्षा से सम्बन्ध
(Relation of State with Education)
शिक्षा प्रत्यक्ष रूप से समाज में रहने वाले मानव से सम्बन्धित है। इसलिए यह उस समाज से प्रभावित होती है जिसमें मनुष्य निवास करता है। अरस्तू ने इस बात पर बल दिया था कि मनुष्य एक नागरिक या सामाजिक प्राणी (Creature) है। यह एक सामाजिक प्राणी है जो समुदायों में निवास करता है। इन समुदायों में विशेष प्रकार की शासन-प्रणाली (Government), संस्थाएँ (Institutions) तथा संगठन होते हैं। किसी समाज या समुदाय में जीवन विशेष आदशों या मान्यताओं, शासन या सरकार तथा संस्थाओं के अभाव में सम्भव नहीं है। अत: ये संस्थाएँ शिक्षा को प्रभावित किये बिना नहीं रह पाती है। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि राज्य या राज्य की विभिन्न संस्थाएँ शिक्षा को स्वाभाविक रूप से प्रभावित करती रहती हैं।
स्वतः प्रश्न उठता है कि यह सम्बन्ध किस प्रकार का हो? इसका उत्तर मालूम करने के लिए हमें शासन प्रणालियों के स्वरूप को देखना पड़ेगा। अरस्तू ने राजनीति को राजनैतिक सत्ता को ग्रहण करने वाले में केन्द्रित किया है, चाहे वह एक व्यक्ति में निहित हो या कुछ व्यक्तियों के समूह में या बहुत से व्यक्तियों में निहित हो। प्लेटो ने अपने महान ग्रंथ Republic में इस बात पर बल दिया था कि उचित शिक्षा राज्य पर निर्भर है और एक उपयुक्त राज्य की स्थापना उचित प्रकार की शिक्षा द्वारा हो सकती है। इस कारण उसने दार्शनिक शासक की कल्पना की। साथ ही उसने दार्शनिक शासक की शिक्षा को सिपाही तथा उत्पादकों की शिक्षा से भिन्न प्रतिपादित किया।
उनका शिष्य अरस्तू उनसे एक कदम आगे बढ़ गया। उसने प्रतिपादित किया कि सभी मानव प्राणी राज्य से सम्बन्धित हैं और प्रत्येक मनुष्य राज्य का एक अंग है। अत: सभी मनुष्यों के लिए समान शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। अतः प्रत्येक राजनीतिक विचारधारा शिक्षा की अवधारणा तथा उसकी भूमिका का निर्धारण करती है। अतः हम कह सकते हैं कि शिक्षा तथा राज्य या राजनीति घनिष्ठ रूप से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। वस्तुतः राजनीति, नीतिशास्त्र का पहलू है जो राज्य के कार्यों का विवेचन करता है। इस प्रकार, यह एक सर्वमान्य सत्य है कि राजनीति और शिक्षा का एक दूसरे से घनिष्ठ सम्बन्ध होता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें