रविवार, 19 सितंबर 2021

बिहार के मधेपुरा में स्थित सिंहेश्वर स्थान ऐसी मान्यता है कि इसका निर्माण भगवान विष्णु ने स्वयं किया था।


        बिहार राज्य के मधेपुरा जिला अंतर्गत सिंहेश्‍वर में एक अति प्राचीन मंदिर है। कहां जाता हैं कि सिंहेश्वेर के इस मंदिर को किसी काल में स्वयं भगवान विष्णु बनाये थे। अनुश्रुतियों के अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्म के निमित्‍त पुत्रेष्टि यज्ञ भी महाराजा दशरथ के द्वारा यहीं पर संपन्न कराया गया था। राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्ठि यज्ञ कराने वाले श्रृंगी ऋषि की तपोभूमि होने की वजह से इस जगह का नाम सिंहेश्वर पड़ा।
        

        बाबा सिंहेश्वर धाम का महत्व बहुत ज्यादा है। श्रृंगी ऋषि की तपोभूमि होने के कारण पहले इसका नाम शृंगेश्वर था जो कालांतर में सिंहेश्वर हो गया। श्रृंगी ऋषि द्वारा किए गए यज्ञ से ही अयोध्या के राजा दशरथ को राम समेत अन्य पुत्रों की प्राप्ति हुई थी। इसी वजह से सिंहेश्वर मंदिर में स्थित शिवलिंग को कामना लिंग के रूप में पूजा जाता है।


     राजा दशरथ के लिए श्रृंगी ऋषि ने पुत्रेष्ठि यज्ञ कराया था इसीलिए संतान की चाहत लिए काफी संख्या में श्रद्धालु प्रत्येक दिन बाबा के पास आते हैं। सिंहेश्वर स्थान शिव मंदिर को बिहारी बाबा धाम या छोटे बोल बम धाम ( Mini Bol Bam) के रूप में भी जाना जाता है।


अब हम मंदिर के इतिहास के बारे में थोड़ी चर्चा कर लेते हैं।

         यह मंदिर काफी पुराना एवं ऐतिहासिक महत्व का है। मंदिर के नीचे का भाग किसी पहाड़ से जुड़ा हुआ है। शिवलिंग स्थापना के संदर्भ में कोई प्रामाणिक दस्तावेज वर्तमान में उपलब्ध नहीं है लेकिन इस बारे में कई किवदंती प्रचलित है।

एक किवदंती के अनुसार,

              कई सौ साल पहले यह क्षेत्र घने जंगलो से घिरा हुआ था। यहां अगल-बगल के गोपालक अपनी गायों को चराने आते थे। एक कुंवारी कामधेनु गाय प्रत्येक दिन एक निश्चित जगह पर खड़ा होती तो स्वतः ही उसके थन से दूध गिरने लगता। एक दिन गोपालक ने इस दृश्य को देख लिया फिर सबों ने मिलकर खुदाई की तो इस शिवलिंग की प्राप्ति हुई।

लेख के अंतिम में हम चर्चा कर लेते हैं इस मंदिर की विशेषता के बारे में,

     मंदिर के रखरखाव एवं मरम्मत कार्य के लिए एक बार जब अभियंताओं के दल ने खुदाई की तो देखा गया कि कुछ मीटर नीचे कोई ठोस वस्तु है इस वजह से खुदाई नहीं हो पा रही थी।अभियंताओं के दल ने कहा कि शिवलिंग किसी पहाड़ के अग्रभाग पर स्थित है। बताया जाता है कि इसी पहाड़ की वजह से ही कोसी के रौद्र रूप के बावजूद इस मंदिर को आजतक कोई नुकसान नही पहुंचा है।





1 टिप्पणी:

  1. सही में सर यही यहां का मान्यता है मैंने बुजुर्ग को कहते सुना है।।

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