वर्तमान परिदृश्य की यदि बात की जाए तो जाने या अनजाने में, हमारे समाज में, हमारे आसपास, Failure (असफ़ल) को एक शब्द नहीं बल्कि एक अस्पृश्य वर्ग (Untouchable Class) की तरह माना जाता है। लोग टॉपर्स की कामयाबी में इतने मग्न हो जाते हैं कि उनको fail छात्रों की मनोदशा से कोई मतलब ही नहीं होता। हर जगह टॉपर्स के चर्चे, वाहवाहियां और कई तरह के सेलिब्रेशन ही दिखाई पड़ता है।
लेकिन मेरे प्यारे दोस्तों, Failure (असफ़ल) का भी जिंदगी में अपना बहुत बड़ा महत्व है। यह आपको जीना सिखाता है, फेल होने के बाद इंसान खुद को कैसे समेटता है और फिर से दूसरे दिन जिंदगी की जद्दोजहद में लग जाता है, यह भी एक बहुत बड़ा जिंदगी का हिस्सा ही है।
मैं खुद अपने जीवन में फेल हुआ हूँ।😣
सबसे पहले दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर- में 2019 में Ph.D. के लिए प्रवेश परीक्षा में पहली बार में ही इंटरव्यू तक पहुँच जाना फिर बाहर हो जाना।
उसके बाद पुनः उसकी तैयारी करना और परीक्षा पास करके फिर से इंटरव्यू देना और अंत में पुनः बाहर हो जाना, बहुत ही दुख:दायी था मेरे लिए।
मैं तो एकदम से डिप्रेशन में चला गया था। एक दिन यूं ही सुबह-सुबह अपने कमरे से निकला तभी अचानक चेहरे पर सामने से मकरी की जालियां आ फंसी, उसे साफ करके मैं आगे बढ़ गया। कुछ देर बाद जब वापस लौट कर आया तो देखा कि उस मकरी के द्वारा फिर से जाली बनाने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया था। यानी मैं उसके रात भर किए गए मेहनत को एक झटके में ही तोड़ दिया था फिर भी उसने बिना हार माने एवं थके उसे बनाने का कार्य प्रारंभ कर दिया था। मैंने सोचा मेरे जैसे न जाने कितने लोग इस रास्ते से प्रतिदिन गुजरते होंगे और इसके द्वारा निर्मित जाली को जाने-अनजाने में तोड़ देते होंगे, फिर भी इसने ना स्थान परिवर्तित किया और ना ही अपने कार्य को छोड़ा। तो हम मात्र दो बार असफल होकर कैसे अपने लक्ष्य को बदल सकते हैं। क्या हम पुनः प्रयास नहीं कर सकते? फिर मैंने अपने आप को संभाला, पुनः पढ़ाई शुरू किया और अभी तक अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए संघर्ष कर रहा हूँ। इस संघर्ष के दौरान बहुत कुछ सीखने को मिला।
वह यह है कि,
वास्तव में दुनिया क्या है? और हम दुनिया को क्या समझ रहे थे।
किसी भी परीक्षा में TOP करना या Selection पा जाना अच्छी बात है। हम कई सारे Plan बनाते हैं कि Selection होने के बाद क्या करना है। पर कोई FAIL होने के बाद क्या करना है? इसकी Planing नहीं करता। जबकि 99.5% लोगों को Competition परीक्षा में Fail होना ही है। अभी कुछ दिनों पूर्व की बात है। जवाहर नवोदय विद्यालय के द्वारा निकली नियुक्ति का परिणाम आया। 49 छात्रों ने इंटरव्यू के बाद Qualify किया था। इस सूची में मेरे कई ऐसे मित्र भी थे जिन्हें नौकरी की बहुत ज्यादा जरूरत थी। मेरा उसमें रैंक 3rd था।
इस रैंक में भले ही मेरे मित्रों का रैंक ज्यादा हो लेकिन इस बात की खुशी हो रही थी चलो कम से कम सिलेक्शन तो हो गया। लेकिन उसके 03-04 दिन बाद फिर से एक सूची आती है और उसमें कहा जाता है की जो TOP-12 हैं, उन्हें ही विद्यालय भेजा जा रहा है और बाकी सब को प्रतीक्षा सूची में रखा गया है। इनमें से यदि कोई ज्वाइन नहीं करता हैं तो तब उन्हें बुलाया जाएगा।
मुझे खुशी एवं ग़म दोनों प्रतीत हो रहा था। खुशी इस बात कि थी की चलो मुझे नवोदय विद्यालय मिल रहा है और गम इस बात का था की इस विद्यालय में चयन मेरे उन सभी मित्रों का नहीं हुआ जो बहुत लंबे समय से किसी JOB की प्रतीक्षा कर रहे थे। विशेष करके कोविड-19 के समय से। लेकिन अफसोस वह सफल नहीं हो पाए थे, जिसका उनसे ज्यादा मुझे गम😥 था।
हमें अपने Failure को भी सेलिब्रेट करना सीखना चाहिये और चाहिए की क्या सीखना पड़ेगा? हमारी जिंदगी के एक हजार (1000) खेल हैं आप सब में पास नहीं हो सकते। आपको Fail भी होना पड़ता है, ऐसा दुनिया में कोई इंसान नहीं जो कभी Fail नहीं हुआ हो। पर, इस failure होने से जो Lesson हमें सीखने को मिलता है, वो बहुत जरूरी है। उस पाठ को व्यर्थ ना जाने दें, वरना failure वापस आएगा, तब तक वापस आएगा जब तक आप उसकी सीख, सीख नहीं लेते।
मेरा आप सभी मित्रों से आग्रह हैं की Fail होने से घबराना नहीं है, सीखना है और अपनी कमियों को समझना है। बाकी एक हजार (1000) और रास्तों के बारे में। 100 बार गिरना है तो 100 बार उठना भी है, बस हार नहीं मानना है। खुद को कभी भी किसी से कम या छोटा नहीं समझना हैं मेरे दोस्तों..!!!!!👍
Failure😣 A thought provoking Article.
If we talk about the present scenario, then knowingly or unknowingly, in our society, around us, 'Failure' is not considered as a word but as an untouchable class. People get so engrossed in the success of the toppers that they don't care about the mood of the failed students. Everywhere the discussions, applause and many types of celebrations of the toppers are visible.
But my dear friends, failure also has its own great importance in life. It teaches you to live, how a person reconciles himself after a failure and again gets involved in the struggle of life the next day, this is also a part of a very big life.
I myself have failed in my life.😣
Firstly in Deen Dayal Upadhyay Gorakhpur University, Gorakhpur- in 2019 Ph.D. To reach the interview in the very first time in the entrance test then drop out.
After that preparing for it again and passing the exam and giving interview again and finally dropped out again, was very painful for me.
I went into 'depression' all of a sudden. One day, when I came out of my room early in the morning, suddenly the nets of Capricorn got stuck on my face, after cleaning it I went ahead. When he came back after some time, he saw that the work of making lattice had been started again by that Capricorn. That is, I had broken his overnight hard work in one stroke, yet he started the work of making it without giving up and getting tired. I thought that many people like me must have passed through this road every day and would have broken the lattice created by it knowingly or unknowingly, yet it neither changed its place nor left its function. So how can we change our goal by just failing twice. Can't we try again? Then I took care of myself, started my studies again and am still struggling to reach my destination. There was a lot to be learne during this struggle.
that is,
What is the world really? And what were we to understand the world.
Topping or getting selection in any exam is a good thing. We make many plans that what to do after the selection. But what to do after someone is 'FAIL'? Doesn't plan it. Whereas 99.5% people have to fail in the competitive exam. It was just a few days ago. The result of the recruitment by Jawahar Navodaya Vidyalaya came out. 49 students had qualified after the interview. I also had many friends on this list who were in dire need of a job. I was ranked 3rd in it.
Even though the rank of my friends is high in this rank, but I was happy that at least the selection happened. But after 03-04 days again a list comes and it is said that only those who are TOP-12 are being sent to the school and all the rest are kept in the waiting list. If any of these do not join, then they will be called.
I felt both joy and sorrow. I was glad that I am getting Navodaya Vidyalaya and sad that all my friends were not selected in this school who were waiting for a job for a very long time. Especially since the time of Covid-19. But alas, he could not succeed, which I was more sorry for than him.
We should also learn to celebrate our failure and what should we learn? There are a thousand (1000) games of our life, you cannot pass in all. You also have to fail, there is no person in the world who has never failed. But, the lesson we get to learn from having this failure is very important. Don't let that lesson go to waste, or else the failure will come back, until you learn from it.
I urge all of you friends that do not be afraid to fail, learn and understand your shortcomings. About the rest of the one thousand (1000) more paths. If you have to fall 100 times, you have to get up 100 times, just don't give up. Never consider yourself less or less than anyone my friends..!!!!!👍
Bohot Sunder Sir
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