"किसी देश को बर्बाद करना हो तो वहां के लोगों को धर्म के नाम पर आपस में लड़ा दो, देश अपने आप बर्बाद हो जाएगा" - लियो टॉलस्टॉय
"Art is the highest means of knowledge," - Leo Tolstoy
कला ज्ञान का उच्चतम साधन है। - लियो टॉलस्टॉय
उपर्युक्त सुप्रसिद्ध पंक्तियां महान साहित्यकार लियो टॉलस्टॉय के द्वारा कही गई है। आज के इस लेख में हम उन्हीं के बारे में चर्चा करेंगे। दुनिया भर के साहित्य प्रेमियों का दिल जीतने वाले कालजयी रचनाओं के रचयिता लियो टॉलस्टॉय का जन्म 09 सितम्बर 1828 को रूस के एक संपन्न परिवार में हुआ था। उनके उपन्यास वॉर एण्ड पीस तथा अन्ना केरेनिना साहित्य जगत की विश्व विख्यात रचनायें हैं।
टॉल्स्टॉय साहित्य के साथ-साथ कला के भी प्रेमी और पारखी थे। कला क्या है? इस सम्बंध में निरुद्देश्य रचना को वे कला का लक्ष्य मानने के लिए तैयार नहीं थे। कला को वे ऐसी जटिल वस्तु मानने को तैयार नहीं थे जिसे केवल दीक्षित व शिक्षित व्यक्ति ही समझ पाये। उनके अनुसार कला वह वस्तु है जो जनसाधारण के हृदय में आनंद की ऐसी प्रबल बाढ़ ला दे कि वह अपने अस्तित्व को भूल जाए।
सन 1897 में प्रकाशित 'व्हाट इज आर्ट’ में टॉलस्टॉय ने लिखा है:- कला के महान काम सिर्फ इसलिए महान हैं क्योंकि वे सभी की पहुँच में और समझ में आने वाले हैं।
रूस के महान चित्रकार इल्या रेपिन टॉल्स्टॉय के अभिन्न मित्र थे। रेपिन ने टॉल्स्टाय की एक से बढ़कर एक पोर्टेट बनाई है। महान डच चित्रकार विन्सेंट वॉनगॉग भी टॉल्स्टॉय के विचारों से प्रभावित थे। उन्होंने अपने छोटे भाई थियो को पत्र में टॉल्स्टाय की किताब 'मेरा धर्म' के बारे में लिखे थे।
आज हम एक महान लेखक विचारक लियो टॉलस्टॉय की रूसी चित्रकार इल्या रेपिन के बनाये चार पेंटिंग्स प्रस्तुत कर रहे है।
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