स्टिल लाइफ (Still - life)
निर्जीव वस्तु के चित्र को स्टिल लाइफ कहते हैं। विभिन्न जड़ वस्तुओं के भिन्न-भिन्न आकारों का चित्रण जिसमें उस वस्तु विशेष का आकार, रंग, रूप, कठोरता या कोमलता इत्यादि को जो भी उस वस्तु के गुण हों, सुसज्जित ढंग से चित्रण स्टील लाइफ कहलाता है। पाश्चात्य कलाकार सेजा ने सर्वप्रथम स्टिल-लाइफ बनाने की शुरुआत की।
फूल, पत्तियो, पेड़-पौधे, सुराही, फल ,गिलास ,कप आदि वस्तुओ को पेंटिंग में दिखाना ही स्टिल लाइफ पेंटिंग कहलाता है। इनमे ज्यादातर निर्जीव वस्तुओ को ही दिखाया जाता है। एक प्रकार से हम कह सकते हैं की मृत वस्तुओ को दर्शाने के लिए स्टिल लाइफ पेंटिंग का प्रयोग किया जाता है।
फूल, पत्तियो, पेड़-पौधे, सुराही, फल ,गिलास ,कप आदि वस्तुओ को पेंटिंग में दिखाना ही स्टिल लाइफ पेंटिंग कहलाता है। इनमे ज्यादातर निर्जीव वस्तुओ को ही दिखाया जाता है। एक प्रकार से हम कह सकते हैं की मृत वस्तुओ को दर्शाने के लिए स्टिल लाइफ पेंटिंग का प्रयोग किया जाता है।
इतिहास
लगभग 15वी शताब्दी में इजिप्ट (मिस्र) के लोगो के द्वारा अपने खाद्य पदार्थो जैसे:- मछली, अनाज, फल, सब्जी और उनकी रोज-मर्रा प्रयोग की जाने वाली वस्तुओ को चित्र के माध्यम से दिखाया जाता था जो की काफी प्रचलन में था। इनके द्वारा कुछ ऐसी इमारतों को भी बनाया गया जो इनकी रोज-मर्रा की जिंदगी से जुड़े हुए थे।
स्टिल लाइफ पेंटिंग का प्रयोग
इस पेंटिंग का प्रयोग वास्तव में स्थिर वस्तुओ या Objects को बनाने में किया जाता है लेकिन समय के साथ इस कला के चित्रण एवं प्रयोग में हमें बदलाव देखने को प्राप्त होता हैं। आजकल इसका चित्रण चित्र खरीदारों की इच्छा के साथ होने लगा हैं एवं इसमें सजीव वस्तुओ को भी स्टिल लाइफ पेंटिंग में दर्शाया जाने लगा है। जैसे मानव आकृतियां, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, आदि।
लेख के अंत में हम जान लेते हैं स्टील लाइफ चित्र के बारे में कुछ और बातें......
स्टिल लाइफ पेंटिग वास्तव में वे चित्र होते है जो की निर्जीव हो या मानव के रोजाना जीवन में प्रयोग की जाती हो। जिनका मानव जीवन में विशेष महत्त्व हो जिनके बिना मानव जीवन जीना दूभर हो जाये। उदाहारण के तौर पर गिलास, कप-प्लेट, डेस्क, कुर्सी, बिस्तर, मर्तबान, घर, घड़ा, फल, फूल, गुलदस्ता, चाय की केतली, इत्यादि। ये वो वस्तुए होती है जो की घरो में आसानी से मिल जाती है और जिनको महसुस एवं चित्रण करना आसान होता हैं। इन सभी वस्तुओं का अंकन स्टील लाइफ कहलाता है।
Still - life
Pictures of inanimate objects are called still life. The depiction of different shapes of different inert objects, in which the size, colour, form, hardness or softness of that particular object, etc., whatever are the properties of that object, is called steel life. Western artist Seja was the first to start making still-life.
Showing flowers, leaves, trees, plants, jugs, fruits, glasses, cups etc. in the painting is called still life painting. Most of these inanimate objects are shown. In a way we can say that still life painting is used to depict dead things.
History
In about the 15th century, the people of Egypt used to show their food items such as: - fish, grains, fruits, vegetables and their daily use items through pictures, which was quite in vogue. Some such buildings were also built by them which were related to their everyday life.
Use of still life painting
This painting is actually used to make stationary objects, but with time we get to see changes in the depiction and use of this art. Nowadays its depiction is being done with the desire of picture buyers and living things are also being depicted in still life painting. Such as human figures, animals and birds, trees and plants, etc.
At the end of the article, we know some more things about Steel Life Chitra......
Still life paintings are actually those pictures which are inanimate or used in daily life of human beings. Those who have special importance in human life, without which it becomes difficult to live human life. For example glass, cup-plate, desk, chair, bed, jar, house, pitcher, fruit, flower, bouquet, tea kettle, etc. These are those things which are easily found in homes and which are easy to feel and depict. The marking of all these things is called steel life.
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