मंगलवार, 14 सितंबर 2021

हिंदी दिवस की शुभकामनाओं💐 के साथ मेरी नई रचना✍️ ऐ, शेखपुरा तुम बहुत याद आओगें।

 




ऐ, शेखपुरा तुम बहुत याद आवोगें 


डोवाडिह का पेड़ा हो या सामस का विष्णुधाम 
जहां पर बीते है मेरे कई सुबह और शाम 
ख्वाबों में आ - आ कर बड़ा सताओगे 
ऐ, शेखपुरा तुम बहुत याद आवोगे -2 

अम्बारी, सुगीया का खरबुजा हो या 
खलील - मलील चक की हो गोलगप्पे की दुकान 
उसे पाने के लिए चले है मैने कदम हजार 
उन कदमो की थकावट को बारम्बार याद दिलाओगे 
ऐ, शेखपुरा तुम बहुत याद आवोगें -2 

मिशन चौक की ताजी सब्जी हो या 
बरबीघा की हो फल की दुकान 
साधन ना होते हुए भी इस साध्य को प्राप्त करने की लगी रहती थी ताक 
जिन्दगी की इस कश्मकश को सदा गुदगुदाओगे 
ऐ, शेखपुरा तुम बहुत याद आवोगें -2 

हम उतने मजबुर नहीं जितना तुने समझ लिया 
पता नही इस समझदारी को सत्य का आईना कब दिखाओगे 
प्रत्येक मनुष्य है उत्तम 
शायद जल्दी समझ पाओगे 
ऐ, शेखपुरा तुम बहुत याद आवोगें -2 

-विश्वजीत कुमार✍️

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