बुधवार, 15 सितंबर 2021

जीवन के यर्थाथ एवं कड़वे अनुभव।

 


       जैसे-जैसे मेरी उम्र में वृद्धि होती गई, मुझे समझ आते गया की अगर मैं Rs. 300 की घड़ी पहनूं या Rs. 30000 की दोनों समय एक जैसा ही बताएंगी और महंगी घड़ी मेरे बुरे समय को सही नहीं कर सकती है।


      मेरे पास Rs. 300 का बैग हो या Rs. 30000 का इसके अंदर के सामान में कोई परिवर्तन नहीं होंगा और इसका वजन भी एक समान हीं होगा।


      मैं 300 गज के मकान में रहूं या 3000 गज के मकान में तन्हाई का एहसास एक जैसा ही होगा और कोई मेरी समस्या का समाधान नहीं कर सकता, मुझे स्वयं ही इन सभी से निपटना होगा।


      आख़िर में मुझे यह भी एहसास हुआ कि चाहे मैं AC 1st क्लास में यात्रा करूं या जेनरल डब्बे में, अपनी मंजिल पर उसी नियत समय पर ही पहुँचूँगा, जिस समय पर मेरी ट्रेन पहुंचेगी।


       इसीलिए आप सभी छोटे बच्चों को बहुत ज्यादा अमीर होने के लिए प्रोत्साहित नही करे बल्कि उन्हें यह सिखाए कि वे खुश कैसे रह सकते हैं? और जब वे बड़े हों तो चीजों के महत्व को देखें, उसकी कीमत को नहीं।


फ्रांस के एक वाणिज्य मंत्री का कहना था -

"ब्रांडेड चीजें व्यापारिक दुनिया कि सबसे बड़ी झूठ होती हैं, जिनका असल उद्देश्य तो अमीरों की जेब से पैसा निकालना होता है लेकिन गरीब और मध्यम वर्ग लोग इससे बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं।"


क्या यह आवश्यक है कि मैं I-Phone लेकर चलूं, ताकि लोग मुझे बुद्धिमान और समझदार मानें??


क्या यह आवश्यक है कि मैं रोजाना KFC या ऐसे ही बड़े-बड़े रेस्टोरेंट में खाना खाऊँ ताकि लोग यह न समझें कि मैं कंजूस हूँ??


क्या यह आवश्यक है कि मैं प्रतिदिन दोस्तों के साथ उठक-बैठक Downtown Cafe पर जाकर लगाया करूँ, ताकि लोग यह समझें कि मैं एक रईस परिवार से हूँ??


क्या यह आवश्यक है कि मैं ब्रांडेड कंपनियों के ही कपड़े को पहनूं ताकि High Status वाला कहलाया जाऊँ??


क्या यह आवश्यक है कि मैं अपनी हर बात में दो चार अंग्रेजी शब्द शामिल करूँ ताकि सभ्य कहलाऊं??


नहीं दोस्तों !!!


मेरे कपड़े तो आम दुकानों से खरीदे हुए होते हैं।

Friends के साथ किसी ढाबे पर भी बैठ जाता हूँ।


भूख लगे तो किसी ठेले से ले कर खाने में भी कोई अपमान नहीं समझता।



अपनी सीधी-सादी भाषा में बात करता हूँ।


चाहूँ तो वह सब कर सकता हूँ जो ऊपर लिखा है।


लेकिन,


मैंने ऐसे लोग भी देखे हैं जो एक Branded जूतों की जोड़ी की कीमत में पूरे सप्ताह भर का राशन ले सकते हैं।


मैंने ऐसे परिवार भी देखे हैं जो मेरे एक बर्गर की कीमत में सारे घर का खाना बना/खा सकते हैं।


बस,

        मैंने यहाँ यह रहस्य पाया है कि बहुत सारा पैसा ही सब कुछ नहीं है जो लोग किसी की बाहरी हालत से उसकी कीमत लगाते हैं, वह तुरंत अपना इलाज करवाएं।


     मानव मूल्य की असली कीमत उसकी नैतिकता, व्यवहार, मेलजोल का तरीका, सहानुभूति और भाईचारा है ना कि उसकी मौजूदा शक्ल और सूरत। क्योंकि मनुष्य की शक्ल और सूरत एक समय के बाद समाप्त हो जाते हैं लेकिन उसकी नैतिकता, व्यवहार, सहानुभूति और भाईचारा सदैव जीवित रहते हैं।


        सूर्यास्त के समय एक बार सूर्य ने सबसे पूछा:- मेरी अनुपस्थिति में मेरी जगह कौन कार्य करेगा??


      समस्त विश्व में सन्नाटा छा गया। किसी के पास कोई उत्तर नहीं था। तभी कोने से एक आवाज आई:-


दीपक ने कहा - "मै हूं  ना" मैं अपना पूरा प्रयास करुंगा।


       आपकी सोच में ताकत और चमक होनी चाहिए। छोटा-बड़ा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। सोच बड़ी होनी चाहिए मन के भीतर एक दीप जलाएं और सदा मुस्कुराते😊 रहें।

साभार:- सोशल मीडिया

Edit & Modified:- Bishwajeet Verma

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