......... कौन चाहता है ...........
अपनों से दूर होना, कौन चाहता है .....
यादों के झरोखों को भूलना, कौन चाहता है .....
सफर पे रास्तों का खोना, कौन चाहता है .....
अपनी किस्मत पे रोना, आखिर कौन चाहता है .....
अपने सपनों को जलाना, कौन चाहता है .....
सांसो का टुट जाना, कौन चाहता है .....
एक उम्मीद के दामन को छोड़ना, कौन चाहता है .....
जिन्दगी से हार जाना, आखिर कौन चाहता है।
विनित कुमार✍️
......... Who wants ...........
Who wants to be away from loved ones.....
To forget the windows of memories, Who wants.....
Losing the paths on the journey, who wants to.....
Crying on your luck, after all who wants.....
Who wants to burn your dreams.....
Breaking of breath, who wants.....
Who wants to give up on one's hope.....
Who wants to lose life?
Vinit Kumar✍️
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