बुधवार, 2 फ़रवरी 2022

BPSC के द्वारा आयोजित कला एवं संस्कृति पदाधिकारी के लिए सामान्य हिंदी का पाठ्यक्रम विश्लेषण, पिछले साल पूछे गए प्रश्न एवं उत्तर।

 


मुख्य परीक्षा 

सामान्य हिन्दी 

        कला एवं संस्कृति पदाधिकारी की भर्ती हेतु मुख्य परीक्षा में सामान्य हिन्दी का एक पत्र 100 अंकों का होगा, जिसकी परीक्षा की अवधि 03 घंटे की होगी सामान्य हिन्दी में -30 प्रतिशत लब्धांक (अंक) प्राप्त करना अनिवार्य होगा किन्तु मेधा निर्धारण के प्रयोजनार्थ इसकी गणना नहीं की जायेगी। इस पत्र में प्रश्न बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के माध्यमिक (सेकेण्डरी) स्तर के होंगे। 

        इस परीक्षा में सरल हिन्दी में अपने भावों को स्पष्टतः एवं शुद्ध-शुद्ध रूप में व्यक्त करने की क्षमता और सहज बोध शक्ति की जाँच समझी जायेगी।

अंको का विवरण निम्न प्रकार होगा :-

निबंध - 30 अंक  

व्याकरण 30 अंक   

वाक्य विन्यास - 25 अंक

संक्षेपण 15 अंक 

     हिन्दी परीक्षा के प्रश्नों का स्तर बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा राजपत्रित पदाधिकारियों हेतु वर्तमान में आयोजित संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के समान होगा। 

BPSC के द्वारा आयोजित मुख्य परीक्षा के हिंदी का प्रश्न पत्र एवं उसके उत्तर।👇


निम्नलिखित अवतरण का एक-तिहाई शब्दों में सार लिखते उसका उपयुक्त शीर्षक दीजिए :
 
       कई लोग समझते हैं कि अनुशासन और स्वतंत्रता में विरोध है, किन्तु वास्तव में यह भ्रम है। अनुशासन के द्वारा स्वतंत्रता छिन्न नहीं जाती, बल्कि दूसरों की स्वतंत्रता की रक्षा होती है। सड़क पर चलने के लिए हम लोग स्वतंत्र हैं, हमें बाईं तरफ चलना चाहिए, किन्तु चाहें तो हम बीच सड़क पर भी चल सकते हैं। इससे हम अपने ही प्राण संकट में डालते हैं। दूसरों की स्वतंत्रता भी छीनते हैं। विद्यार्थी भारत के भावी निर्माता हैं। उन्हें अनुशासन का पालन करना चाहिए, जिससे वे देश के सच्चे सपूत कहला सकें। 

Ans.-
अनुशासन और स्वतंत्रता 
अनुशासन स्वतंत्रता का विरोध नहीं करता अपितु दूसरों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है अनुशासन में रहकर ही हम परस्पर स्वतंत्र रह सकते हैं। विद्यार्थियों को भारत के निर्माता होने के नाते अनुशासित रहना चाहिए।

निम्नलिखित सभी अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध कीजिए          1x10 - 10 

(क) पेड़ों पर तोता बैठा है। 
       पेड़ पर तोता बैठा है। 

(ख) उसने संतोष का सांस ली। 
       उसने संतोष की/भरी सांस ली। 

(ग) मैं यह काम नहीं किया है।
      मैंने यह काम नहीं किया है।
 
( घ ) हमने इस विषय को विचार किया। 
        हमने इस विषय पर विचार किया।

(ङ) उसे भारी दुख हुआ। 
       उसे भारी कष्ट हुआ। 
       उसे बहुत दुख हुआ। 

(च) मैं रविवार के दिन तुम्हारे घर आऊंगा। 
      मैं रविवार को तुम्हारे घर आऊंगा। 

(छ) गले में गुलामी की बेड़ियाँ पड़ गई। 
      गले में गुलामी की जंजीरे पड़ गई। 
      पैरो में गुलामी की बेड़ियाँ पड़ गई। 


(ज) मैंने तेरे को कितना समझाया। 
       मैंने तुम्हे कितना समझाया। 

( झ ) शालू आई और उसने कहा। 
        शालू ने आकर कहा।

(ञ) कुत्ता रेंगता है।
      कुत्ता भौकता है।  
      कुत्ता चलता है। 

निम्नलिखित मुहावरे लोकोक्तियों में से किन्हीं पाँच का अर्थ लिखकर उन्हें वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए :        3x5 = 15

(क) लाल-पीला होना -  क्रुद्ध होना 

Use.- Umpire द्वारा अपील नकारे जाने के कारण, गेंदबाज लाल-पीला हो गया।  

(ख) रोम-रोम खिल उठना - प्रसन्न हो जाना 

Use.- अपनी प्रियसी द्वारा प्रणय निवेदन स्वीकर करे जाने से अमित का रोम रोम खिल उठा।  

(ग) रोंगटे खड़े होना - अत्याधिक भयभीत हो जाना 

(घ) मुँह तोड़ जवाब देना - प्रतिशोध लेना, बदला लेना  

(ङ) बेपेंदी का लोटा  - अस्थिर विचारों वाला व्यक्ति 

(च) फूटी आँख न सुहाना - अप्रिय लगना 

(छ) नाच न जाने आँगन टेढ़ा - असफलताओं का दोष परिस्थितियों को देना 

Use.- पाठ्यक्रम में विशेष बदलाव को fail होने का कारण बताने वाले छात्रों के लिए ही कहा गया है नाच न आए आँगन टेढ़ा

(ज) बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद - मूर्ख को गुण की परख न होना 

(झ) फूल कर कुप्पा होना - खुशी से इतराना 

Use.- पहली नौकरी की पहली कमाई गिनकर रघु फूल के कुप्पा हो गया

(ञ) आँख का अंधा नाम नयनसुख - नाम के अनुसार गुण न होना 


सर्वनाम की परिभाषा देते हुए उसके भेदों को सोदाहरण लिखिए।
Ans.-
      जिन शब्दों का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है, उन्हें सर्वनाम कहते है। दूसरे शब्दों में सर्वनाम उस विकारी शब्द को कहते है जो पूर्वापरसंबध से किसी भी संज्ञा के बदले आता है। 

सर्वनाम के छ : भेद होते है - 

(1) पुरुषवाचक सर्वनाम (Personal pronoun) 
(2) निश्चयवाचक सर्वनाम (Demonstrative pronoun) 
(3) अनिश्चयवाचक सर्वनाम (Indefinite pronoun) 
(4) संबंधवाचक सर्वनाम (Relative Pronoun) 
(5) प्रश्नवाचक सर्वनाम (Interrogative Pronoun) 
(6) निजवाचक सर्वनाम (Reflexive Pronoun)

1. पुरुषवाचक सर्वनाम :- पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते है -
(i) उत्तम पुरुषवाचक (मै) (ii) मध्यम पुरुषवाचक (तुम) (iii) अन्य पुरुषवाचक (वह)
 
(2) निश्चयवाचक सर्वनाम :- जो सर्वनाम निश्चयपूर्वक किसी वस्तु या व्यक्ति का बोध कराएँ, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। 
जैसे- यह, वह, ये, वे आदि। 

3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम :- जो सर्वनाम किसी वस्तु या व्यक्ति की ओर ऐसे संकेत करें कि उनकी स्थिति अनिश्चित या अस्पष्ट रहे, उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते है। जैसे- कोई, कुछ, किसी आदि।

4. संबंधवाचक सर्वनाम :- सर्वनाम वाक्य में प्रयुक्त किसी अन्य सर्वनाम से सम्बंधित हों, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते है। जैसे- जो, जिसकी, सो, जिसने, जैसा, वैसा आदि।

5. प्रश्नवाचक सर्वनाम :- प्रश्न करने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है, उन्हें 'प्रश्रवाचक सर्वनाम' कहते है। जैसे- कौन, क्या, किसने आदि। 

6. निजवाचक सर्वनाम :- जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग कर्ता के साथ अपनेपन का ज्ञान कराने के लिए किया जाए, उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते है। जैसे- अपने आप, निजी, खुद आदि।

निम्नलिखित में से किन्हीं पाँच के दो - दो पर्यायवाची शब्द लिखिए :  1x5 = 5

(क) यमुना - भानुजा, अर्कजा, रवितनय.   
(ख) अग्नि - पावक, अनल, ज्वाला.
(ग) विश्व - संसार, दुनिया, लोक. 
(घ) उन्नति - प्रगति, उत्कर्ष, उत्थान.
(ङ) प्रेम - प्रीत, प्यार, अनुराग, स्नेह.
(च) धरती - धरा, पृथ्वी.
(छ) जंगल - अरन्य, दाव.
(ज) कमल - पुंडरिक, जलज. पंकज.
(झ) समुद्र - साग़र, जलधि, वारिधि.
(ञ) हवा - अनिल, पवन.

निम्नलिखित में से किन्हीं पाँच वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए : 1x5 = 5 

(क) जो थोड़ा बहुत जानता हो - अल्पज्ञ्य

(ख) जिसकी आशा न की गई हो - अप्रत्याशित

(ग) जिसके समान कोई दूसरा न हो - अद्वितीय

(घ) बहुत कम खर्च करने वाला - मितव्ययी

(ङ) भगवान में विश्वास करने वाला - आसित्क

(च) आतंक फैलाने वाला - आतंकवादी

(छ) जानने का इच्छुक - जिज्ञासु

(ज) त्यागने योग्य - त्याज्य

(झ) पृथ्वी से संबंधित - पार्थिव

(ञ) बहुत बोलने वाला - वाचाल

निम्नलिखित में से किन्हीं पाँच समासों के समस्त पदों का विग्रह करते हुए समास बताइए :

(क) आजीवन - जीवन भर - अव्ययी समास 
(ख) यथाशक्ति - अव्ययी समास
(ग) हर रोज - रोज - अव्ययी समास 
(घ) बेशक - अव्ययी समास
(ङ) नवग्रह - द्विगु समास
(च) हवा - पानी  - द्वन्द समास
(छ) त्रिलोक -  द्विगु समास
(झ) सीताराम - द्वन्द समास
(ज) नीलकमल - कर्मधारय समास
(ञ) रसोईघर - तत्पुरुष समास

निम्नलिखित में से किन्हीं पाँच प्रत्ययों के दो - दो शब्द बनाइए : 

वान ; गुणवान, बलवान.
वैट ; 
हार ; पालनहार, खेवनहार.
ता ; मित्रता, शत्रुता, पवित्रता. 
पा ; बुढ़ापा, पुजापा.
या ; बुढ़िया, नचनिया.
ना ; पढ़ना, उठाना, जाना. 
ई ; ईंख, ईंधन.
आई ; महगांई, तन्हाई.
आव ; ठहराव, झुकाव.

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