अंत
इस शाम का भी अंत अब हो रहा था।
नीचे जमीं ऊपर आसमा हो रहा था।
नजरें थकी हुई थी, पर उमंग नया हो रहा था।
ये चाँद भी अब जवां हो रहा था।
ख्वावों- ख्यालों में एक नशा अब हो रहा था।
इस शाम का भी अंत अब हो रहा था।
विनित कुमार✍️
Ending
This evening too was coming to an end.
The sky was rising above and below the ground.
His eyes were tired, but the excitement was renewing.
This moon too was getting young now.
An intoxication was now happening in the dreams.
This evening too was coming to an end.
Vineet Kumar✍️
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