कहावते या लोकोक्तियों के पीछे कोई-न-कोई कहानी या घटना रहती है। उनसे निकली बात कुछ समय के बाद लोगों की जबान पर चल निकलती है तो उसे कहावत या लोकोक्ति कहते हैं। कुछ कहावतें कवियों की उक्तियों कहानी के संबंध में या व्यक्तिगत भाव के रूप में जो समाज में प्रचलित हैं, उन्हें प्रयोग के साथ नीचे लिखा जा रहा है :-
१. अधजल गगरी छलकत जाय- (ओछे व्यक्ति में ऐंठन रहती है) श्याम के खानदान में कोई मैट्रिक भी नहीं था वह बी. ए. पास हो गया। लोगों के सामने इस तरह से चलता है कि लोग लाचार होकर कहने लगते हैं "अधजल गगरी छलकत जाय"।
२. अकेला चना भाड़ नहीं भोड़ता- (कोई बड़ा काम एक आदमी के वश की बात नहीं) राम अपने घर में अकेला कमाने वाला व्यक्ति है परन्तु उससे क्या घर का पूर्णरूपेण विकास हो सकता है? क्योंकि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
३. अब पछताये होत क्या चिड़िया चुग गई खेत (काम खराब हो जाने पर पछताने से क्या लाभ है) परीक्षा में असफल होकर मोहन रोने लगा। श्याम ने मोहन से कहा- अब पछताए होत क्या चिड़िया चुग गई खेत।
४. आधा तीतर आधा बटेर (दो कामों में एक न बन पाना) एक साथ अनेक काम प्रारम्भ कर देने के कारण आधा तीतर आधा बटेर वाली स्थिति हो गई।
५. आम का आम गुठली का दाम (दूना लाभ उठाना) रमेश ने खेत जोतने के लिए ट्रैक्टर खरीदा था, परन्तु भाड़ा भी कमा रहा है। ठीक ही है आम का आम गुठली का दाम।
६. आगे नाथ न पीछे पगहा (किसी तरह का दायित्व नहीं) महेश घर के कामों को छोड़कर साधु हो गया, अब उसके लिए आगे नाथ न पीछे पगहा वाली कहावत चरितार्थ होती है।
७. आये थे हरि भजन को ओटन लगे कपास (जिस काम के लिए आए थे वह कार्य न कर दूसरे काम में उलझ जाना) मैं पटना पढ़ने के लिए गया परन्तु चुनाव प्रचार में उलझ गया, क्या कहें, आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास
८. आँख का अन्धा नाम नयनसुख (गुण के विपरीत नाम) उसका नाम लछमिनियाँ परन्तु भूखों मरती है। ठीक ही कहा गया है — आँख का अन्धा नाम नयनसुख।
९. उल्टे चोर कोतवाल को डाँटे (दोषी निर्दोष पर कलंक लगाये) चीन भारत की सीमा पर सीमातिक्रमण करता है। भारत जब आवाज उठाता है तो भारत पर दोष मढ़कर उल्टे चोर कोतवाल को डाँटे वाली कहावत लागू कर देता है।
१०. एक तो चोरी दूसरे सीनाजोरी (अन्यायी का ही उलटे चल निकलना) मेरे खेत में राम भैंस चरा रहा था जब मैनें उससे पूछा तो वह जोर - जोर से चिल्लाने लगा। मैंने कहा एक तो चोरी दूसरे सीनाजोरी ।
११. एक तो करैला दूजे नीम चढ़ा (एक बुराई पर दूसरी बुराई) वह पढ़ाई में बहुत ही खराब था आजकल गाँजा और शराब भी पी रहा है। शिक्षक ने उससे कहा एक तो करैला दूसरे नीम चढ़ा।
१२. अंधेर नगरी चौपट राजा (जैसा राजा वैसी प्रजा) रमेश मूर्ख है, वह अपने घर का मालिक है। घर के सभी लोग मूर्ख ही हैं। ठीक ही है अंधेर नगरी चौपट राजा भी होना चाहिए।
१३. खोदा पहाड़ निकली चुहिया (अत्यधिक आशा तुच्छ फल) लगातार दिन-रात परिश्रम करने पर उसने तृतीय श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण किया। उसके पिता ने कहा- बेटा, खोदा पहाड़ निकली चुहिया
१४. गरजे सो बरसे नहीं (डींगबाज से कुछ नहीं होता) महाभारत में दुर्योधन खूब गर्व प्रकट करता था परन्तु अर्जुन ने क्षण भर में ही उसकी हेकड़ी बन्द कर दी। ठीक ही है गरजे सो बरसे नहीं।
१५. गाछ में कटहल ओठ में तेल (फल प्राप्ति के पूर्व आशान्वित होना) लड़की अंडे बेचकर घोड़ा और अपार सम्पत्ति की आशा करने लगी। अंडे फूट गये और आशा टूट गई क्योंकि गाछ में कटहल ओठ में तेल के पहले उसे ऐसा नहीं सोचना चाहिए।
१६. घर का भेदिया लंका दाह (आपसी वैमनस्य से बड़ी हानि होती है) विभीषण ने रावण के मारने पर रावण का साथ छोड़कर लंका को नष्ट-भ्रष्ट करवा डाला। ठीक ही है रावण क्या करता घर का भेदिया लंका दाह वाली बात जो थी।
१७. चोर की दाढ़ी में तिनका (अपराधी की मुखमुद्रा से अपराध का पता चल जाता है) टी. टी. आई. को देखते ही बिना टिकट वाले यात्री दूसरे डिब्बे में जाने लगा। टी. टी. आई. ने चोर की दाढ़ी में तिनका के आधार पर उस यात्री को पकड़ लिया।
१८. जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ (निरन्तर परिश्रम से सफलता मिलती है।) परीक्षा में परिश्रमी छात्र पास करते हैं और नहीं परिश्रम करने वाले छात्र असफल होते हैं। ठीक ही है जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ ।
१९. जिसकी लाठी उसकी भैंस (जबर्दस्ती दखल) आजकल के जमाने में जिसकी लाठी है जिसकी भैंस है। कमजोर चिल्लाता है परन्तु कुछ नहीं होता।
२०. जैसी करनी वैसी भरनी (जैसा काम वैसा फल) रावण ने सीता को चुराया, मारा गया , क्योंकि जैसी करनी वैसी भरनी।
२१. नौ की लकड़ी, नव्वे खर्च (कम लाभ अधिक खर्च) तीस पैसे का टिकट न खरीद कर रमेश ने चेकिंग में १०१ रुपये जुर्माना दिया। ऐसे लोगों को नौ की लकड़ी, नब्बे खर्च देना पड़ता है।
२२. न रहे बांस न बजे बाँसुरी (कारण के न रहने पर कार्य नहीं होता है) अश्वत्थामा ने न रहे बांस न बजे बाँसुरी के कहावत को चरितार्थ करने के लिए पाँचों पाण्डवों की संतान का सर काट लिया।
२३. बन्दर जाने आदि का स्वाद (चीज की महत्ता को जानने वाला ही उसकी कद्र कर सकता है दूसरा नहीं ) वह मूर्ख है। तभी तो साहित्य के रस को पेय रस समझकर झगड़ गया- बन्दर क्या जाने आदि का स्वाद।
२४. भइ गति साँप छुछुन्दर केरी- (असमंजस में पड़ जाना) वनाभिमुख राम को कौशल्या न रोक सकती थी और न जाने को कह सकती थी। क्योंकि उनकी भई गति साँप छुछुन्दर केरी वाली हालत थी।
२५. भैंस के आगे बिन बजाये, भैंस रही पगुराय (मूर्ख के सामने गुणों की बखान व्यर्थ है।) राधेश्याम धार्मिक व्यक्ति है। उसने घनश्याम से धार्मिक चर्चा प्रारम्भ की। घनश्याम को धर्म में विश्वास नहीं। वह ऊंधने लगा। ठीक ही कहा गया है- भैंस के आगे बीन बजाये, भैंस रही पगुराय।
२६ मुँह में राम बगल में छूरी (कपटी आचरण) उसने साधु का स्वरूप धारण कर उसको धोखा दिया। कौन जानता था कि उसके मुख में राम बगल में छूरी है।
२७. मन चंगा तो कठौत में गंगा (मन की बुद्धि ही सबसे बड़ी है) वह अपने पिता और माता को ही सभी तीर्थ मानता है तथा कहता है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा है।
२८. सत्तर चूहे खाकर बिल्ली चली हज को (आजीवन पापी और अन्त में भक्त बनने का ढोंग) रामगोविन्द जीवन भर का कुकर्मी था। अब वह परम साधु बन गया है। उसकी भक्ति को देखकर एक ने कहा- सत्तर चूहे खाकर बिल्ली चली हज को।
२९. हाथ सुमरनी बगल कतरनी (कपट व्यवहार) संसार में ऐसे अनेक लोग मिलेंगे जिनके हाथ सुमरनी तथा बगल कतरनी है।
३०. होनहार बिरवान के होत चिकने पात (बड़े का लक्षण प्रारम्भ में ही दिखाई देता है।) विवेकानन्द बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। क्यों न हों- होनहार बिरवान के होत चिकने पात।
कुछ वाक्यांश
१. अक्ल का दुश्मन - मूर्ख।
२. अड़ियल टट्ट - रुक - रुक कर काम करने वाला व्यक्ति।
३. उल्लू का पट्टा - निरामूर्ख
४. कछुआ चाल - धीमी गति।
५. काला नाग - दुष्ट आदमी।
६. गूलर का कीड़ा - सीमित ज्ञान वाला।
७. गोबर गणेश - निरा मूर्ख।
८. चाँद का टुकड़ा - अत्यन्त सुन्दर।
९ . डपोर शंक- देखने में भड़कदार परन्तु काम में मूर्ख।
१०. पानी का बुलबुला - क्षणिक।
११. बगुला भगत - कपटी व्यक्ति।
१२. बेपेंदी का लोटा - अस्थायी आदमी ।
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