गुरुवार, 10 फ़रवरी 2022

भोजपुरी भाषा के कुछ लोकप्रिय एवं प्रसिद्ध कहावतें Some popular and famous proverbs of Bhojpuri language.


भोजपुरी भाषा के कुछ लोकप्रिय एवं प्रसिद्ध कहावतें

1. हंसले घर बसेला– उन्नति करना।, बेवकूफ़ का ही काम अच्छा होता है

2. गईल-गईल भंईसिया पानी में– सब-कुछ खत्म हो जाना

3. करिया अच्छर से कबो भेंट ना, पेंगले पढ़ऽ ताड़ें– असमर्थ होकर भी बड़ी-बड़ी बातें करना

4. नव के लकड़ी, नब्बे खरच– बेवकूफी में बहुत खर्च करना।

5. हाथी चले बाजार, कुकुर भोंके हजार– लोगो की बातों पर ध्यान न देकर अपना कार्य गंभीरता से करना।

6. खेत खाय गदहा, मारल जाय जोलहा– किसी और की गलती की सजा किसी और को मिलना।

7. नन्ही चुकी गाजी मियाँ, नव हाथ के पोंछ- सम्भलने से परे।

8. क, ख, ग, घ के लूर ना, दे माई पोथी– औकात से अधिक माँगना।

9. जिनगी भर गुलामी, बढ़-बढ़ के बात– छोटी मुँह बड़ी बात।

10. ना नईहरे सुख, ना ससुरे सुख– कही भी सुख ना मिलना, अभागा

11. बिनु घरनी घर, भूत के डेरा– नारी बिना घर सूना।

12. चलनिया हंसे सुपआ के देख-देख तोहारा में छेद, जवना में खुदे सतहतर छेद-  खुद दोषी होकर किसी को कोसना।, अपनी कमी छुपा के दूसरे की कमी दिखाना

13. सब धन बाईसे पसेरी– सब एक समान

14. रामजी के चिरईं, रामजी के खेत, खाले चिरईं भर-भर पेट– अपने धन पर ऐश करना।

15. अबरा के मउगी, भर घर के भउजी– कमजोर का मजाक बनाना।

16. केहू हीरा चोर, केहू खीरा चोर– चोर-चोर मौसेरे भाई।

17. हवा के आंगा, बेना के बतास– सूरज को दीपक दिखाना।

18. फुटली आँखों ना सोहाला– बिल्कुल नापसंद

19. चिरईं के जान जाए, लईका के खेलवना– किसी का कष्ट देख कर खुश होना।
20. घाट-घाट का पानी पी के होखल बड़का संत– सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को।
21. नवकी में नव के पुरनकी में ठाढ़े– नये-नये को इज्जत देना।

22. लईकन के संग बाजे मृदंग, बुढ़वन के संग खर्ची के दंग– जब जैसा तब तैसा।

23. इहे छउड़ी इहे गाँव, पूछे छउड़ी कवन गाँव– जानबूझ के अनजान बनना।

24. घीव के लड्डू, टेढो भला– मांगी हुई चीज़ हर हाल में अच्छी।

25. उधो के लेना, ना माधो के देना– अलग-अलग रहना।

26. काठ के हड़िया चढ़े न दूजो बार– बिना अस्तित्व का।

27. गुरु गुड़ रह गइलन, चेला चीनी हो गइले– गुरु से आगे निकल जाना।

28. घर के भेदिया लंका ढाहे– चुगली करने वाला।

29. मुअल घोड़ा के घास खाइल– मिथ्या आरोप।

30. चमड़ी जाय पर दमड़ी न जाए– कंजूस

31. भाग वाला के भूत हर जोतेला– भाग्यवान का काम बन जाना।

32. जइसन बोअबऽ, ओइसने काटबऽ– जैसी करनी वैसी भरनी।

33. जेकर बनरी उहे नचावे, दोसर नचावे त काटे धावे– जिसकी चीज़ उसी की अक्ल।

34. दुधारू गाय के लातो सहल जाला– लाभ मिले तो मार भी सहनी पड़ती है।

35. बाण-बाण गइल त नौ हाथ के पगहा ले गइल– खुद तो डूबे दूसरे को भी ले डूबे।

36. नया-नया दुलहिन के नया-नया चाल– नई प्रथा शुरू करना।

37. जे न देखल कनेया पुतरी उ देखल साली– उन्नति कर जाना।

38. जेतना के बबुआ ना ओतना के झुनझुना– आवश्यकता से अधिक खर्च करना।

39. बाग़ के बाग़ चउरिये बा– बेवकूफ जनता।

40. ऊपर से तऽ दिल मिला, भीतर फांके तीर– धोखेबाज।

41. नव नगद ना तेरह उधार– लेन-देन बराबर रखना।

42. पइसा ना कउड़ी बीच बाजार में दौड़ा-दौड़ी– बिना साधन के भविष्य की कल्पना।

43. माई चले गली-गली, बेटा बने बजरंगबली– खुद की तारीफ़ करना।

44. रूप न रंग, मुँह देखाइये मांगs ताड़े– ठगी करना।

45. खाए के ठेकान ना, नहाये के तड़के– परपंच रचना

46. रहे के ठेकान ना, पंड़ाइन मांगस डेरा– असमर्थता

47. कफन में जेब ना, दफन में भेव– ईमानदार।

48. लगन चरचराई तs अपने हो जाई– समय पर काम बन जाना।

49. भूख त छूछ का, नींद त खरहर का– आवश्यकता प्रधान।

50. गज भर के गाजी मियाँ नव हाथ के पोंछ– आडम्बर।

51. छाती पर मुंग दरना– बिना मतलब का कष्ट देना।

52. भेड़ियाधसान- घमासान, भेड़-चाल।

53. हंस के मंत्री कौआ– बेमेल।

54. भर घरे देवर, भसुरे से मजाक– उल्टा-पुल्टा काम करना।

55. हम चराईं दिल्ली, हमरा के चरावे घर के बिल्ली– घर की मुर्गी दाल बराबर।

56. अगिला खेती आगे-आगे, पछिला खेती भागे जागे– अग्र सोची सदा सुखी।

57. हंसुआ के बिआह, खुरपी के गीत– बेमतलब की बात।

58. ओस के चटला से पिआस ना मिटे– ऊँट के मुंह में जीरा।

59. आंगा नाथ ना पाछा पगहा– बिना रोक-टोक के।

60. ओखर में हाथ, मुसर के देनी दोष– नाच न जाने आँगन टेढ़ा।

61. काली माई करिया, भवानी माई गोर– अपनी-अपनी किस्मत।

62. माड़-भात-चोखा, कबो ना करे धोखा– सादगी का रहन-सहन।

63. सूखे सिहुला दुःखे दिनाय, करम फूटे त फटे बेवाय– अभागा।

64. कोईला से हीरा, कीचड़ से फूल– अद्भुत कार्य।

65. तेली के जरे मसाल, मसालची के फटे कपार– ईर्ष्या करना।, दूसरो के अधिकता पर अपना शोक मनाना

66. तीन में ना तेरह में– कहीं का नहीं।

67. दउरा में डेग डालल – धीरे-धीरे चलना

68. भर फगुआ बुढ़उ देवर लागेंले– मौसमी अंदाज।

69. कंकरी के चोर, फाँसी के सजाए– छोटे गुनाह की बड़ी सज़ा।

70. कहला से धोबी गदहा पर ना चढ़े– मनमौजी।

71. दाल-भात के कवर– बहुत आसन होना।

72. होता घीवढारी आ सराध के मंतर– विपरीत काम करना।

73. ससुर के परान जाए पतोह करे काजर– निष्ठुर होना।

74. बिलइया के नजर मुसवे पर– लक्ष्य पर ध्यान होना।

75. लूर-लुपुत बाई, मुअले पे जाई– आदत से लाचार।

76. हड़बड़ी के बिआह, कनपटीये से सेनुर– हड़बड़ी का काम गड़बड़ी में।

77. बनला के सभे इयार, बिगड़ला के केहू ना– समय का फेर।

78. राजा के मोतिये के दुःख बाऽ– सक्षम को क्या दुःख।

79. रोवे के रहनी तले अंखिये खोदा गइल– बहाना मिल जाना।

80. बुढ़ सुगा पोस ना मानेला– पुराने को नयी सीख नहीं दी जा सकती।

81. कानी बिना रहलो न जाये, कानी के देख के अंखियो पेराए– प्यार में तकरार।

82. अक्किल गईल घास चरे- सोच-विचार न कर पाना।

83. घर फूटे जवार लूटे– दुसरे का फायदा उठाना।

84. ना खेलब ना खेले देब, खेलवे बिगाड़ब– किसी को आगे न बढ़ने देना।

85. मंगनी के बैल के दांत ना गिनल जाला– मुफ्त में मिली वस्तु की तुलना नहीं की जाती।

86. ना नौ मन तेल होई ना राधा नचिहें– न साधन उपलब्ध होगा, न कार्य होगा

87. एक मुट्ठी लाई, बरखा ओनिये बिलाई– थोड़ी मात्रा में।

88. हथिया-हथिया कइलन गदहो ना ले अइलन– नाम बड़े दर्शन छोटे।

89. चउबे गइलन छब्बे बने दूबे बन के अइलन– फायदे के लालच में नुकसान करना।

90. राम मिलावे जोड़ी एगो आन्हर एगो कोढ़ी– एक जैसा मेल करना।

91. आन्हर कुकुर बतासे भोंके– बिना ज्ञान के बात करना।

92. बईठल बनिया का करे, एह कोठी के धान ओह कोठी धरे– बिना मतलब का काम करना।

93. घर के जोगी जोगड़ा, आन गाँव के सिद्ध– घर की मुर्गी दाल बराबर।

94. भूखे भजन ना होइहें गोपाला, लेलीं आपन कंठी-माला– खाली पेट काम नहीं होता।

95. ना नीमन गीतिया गाइब, ना मड़वा में जाइब– ना अच्छा काम करेंगे ना पूछ होगी।

96. लाद दऽ, लदवा दऽ, घरे ले पहुँचवा दऽ– बढ़ता लालच।

97. पड़लें राम कुकुर के पाले– कुसंगति में पड़ना।

98. अंडा सिखावे बच्चा के, बच्चा करु चेंव-चेंव– अज्ञानी का ज्ञानी को सिखाना।

99. लात के देवता बात से ना माने– आदत से लाचार।

100. जे ना देखन अठन्नी-चवन्नी, उ देखs ले रूपइया– सौभाग्यशाली

101. भोला गइलें टोला पर, खेत भइल बटोहिया, भोला बो के लइका भइल ले गइल सिपहिया– ना घर का ना घाट का

102. रहले तs मने ना भइले गईले पर मने पछतइले- किसी के जाने के उपरांत पछतावा होना।

103. अंडा सिखावे बच्चा के, चेंव-चेंव मत करीहे चिल्होर लेके भाग जाई- छोटे के द्वारा बड़ो को ज्ञान  देना।

104. पइसा ना कौड़ी सलाम करे छौड़ी।-
 बिना आमंत्रण के बुलावा।

105. पहीने सब केहू झमकावे केहू-केहू- श्रृंगार करना सबको नहीं आता

106. मियां कहले प्याज़ मियाईन बुझली संडा- कहने का कुछ और मतलब निकलना

107. उँखीयाड़ी में एक टुकी ऊँख ना दी उs का कोल्हुहांड़ी में एक लोटा रस दी।- जरूरत के वक्त थोड़ा न देने वाला जरूरत खत्म हो जाने पर ढेर सारा क्या देगा।

108. घर का जोगी जोगड़ा आन गाँव का सिद्ध- अपने पास उपलब्ध सामान को तुच्छ समझना 

109. बिलाई के भागे (भाग्य) सिकहर टूटल- किसी की वजह से कार्य सिद्ध हो जाना

110. लइका के माथे लरकोर के पेट भरे- दूसरे के बहाने अपना मतलब निकलना

111. जइसन रहलें कुटुंब वइसन मिलले कुटूम्ब वाह-वाह रे कुटुम्ब।- जैसे को तैसा मिला

112.- हाथी चोराई, खाले-खाले जाइ? - बड़ी गलती को छुपाने के लिए सामने न आना

113.- बतिया त मानते बानीs बाकि खुटवा उहे हली- अपनी बात के आगे किसी की अहमियत न देना

114. माइ करे जिया-जिया, पूत करे छीया-छीया।- किसी की मेहनत को एक झटके में तबाह कर देना 

115. पूत कपूत हो जाई, लेकिन माता कुमाता ना होई।- अपने कभी अलग नहीं होते चाहे परिस्थिति जैसी भी हो

116. केकड़वा के बियान केकड़वे के खाये।- जिससे जन्म हुआ हो उसी का विनाश करना 

117. मुस मोटहिये लोढ़ा होहियें।- अत्यधिक फायदा 

118. जेकर राम ना बिगड़ीहिये ओकर कोई ना बिगाड़ी।- सर्वाधिक सुरक्षित

119. अगरो अगरईली त पुआ बनइली।- अत्यधिक उत्साह में काम बिगाड़ देना

120. पेट में रही खुदी, तबे जियरा कुदी - पेट भरा रहने पर ही ज्यादा परिश्रम हो सकता हैं

121. जेकरा खातिर लंगड़ भईनी, ऊहे कहे लंगड़ा - दोसरा खातिर आपन नुकसान कईला के बाद उहे मजाक उड़ावे, जिसकी भलाई की जायें वही कमी निकालें।

122. सोना दहाईल जावs कोइला पर छापा - कीमती वस्तु छोड़ के तुच्छ वस्तु की अहमियत देना।

123. उठs बहुरिया सांस लs, मुसल छोड़s जात ल..- एक काम से फुर्सत मिला नहीं की दूसरा काम दे देना।

124. बाप के नाव साग-पात, बेटा के नाव परोड़ा - तुकच्छ का भाव ज्यादा

125. पिंगील छाटना - गप्प मारना

126. माठा घोटाव ना पीठा धकेली - कम खर्च वाला कार्य ना हो और बड़े खर्च के काम का चर्चा हो।

127. राम जी के दया से केराव फरे ढ़ेरी, गिरहस्त के सरसो से चानी काटे तेली. - भगवान की दया से कम खर्च मे बड़ा पैदवार हो रहा है परन्तु उसे कम मूल्य पर साहूकार खरीद के ऊंचे दाम मे बेच रहा है।

128. चल घोड़ी जेने चलबू चारु तरफ जजमाने बाड़े.- हर तरफ जानने वाले का मिलना।

129. बाप करे कुटान पिसान बेटा के नाम दुर्गा दत्त.- बाप मेहनत/मजदूरी करे और बेटा ऐश/मस्ती करे।

130. जात स्वभाव ना छूटे, कुत्ता टांग उठा के मुते.- जो जैसा रहता है उसका स्वभाव भी वैसा ही रहता है

131. रोवें के रहनी तले अंखिये खोदा गईल.- जिस कार्य की इच्छा हो उसका अपने आप सिद्ध हो जाना।

132. मास भात घरवहिया खईले, हत्या लेके पाहून गइले.- फायदा कोई और लिया, इल्जाम किसी और क़ो लगा।

133. बे मन के/अकुताई के बियाह, कनपट्टी ले सेनुर.- इच्छा के विरुद्ध किसी कार्य क़ो करना।

134. अइली ना गईली फलाना बो कहईली.- बिना किसी संबंध के संबंधी /रिश्ता बनाना।

135. पेन्हले-ओढ़ले मेहरी, लिपले-पोतले डेहरी.- बहु श्रृंगार में और घर साफ सुथरे ही अच्छे लगते है।

136. पूछ ना आछ, दुलह के चाची.- बे वजह किसी बात में टांग अड़ाना /रिश्ते बताना।

137. सात रोटी माता के २७ रोटी पहुनी के.- अतिथि क़ो ज्यादा सम्मान देना।

138. लत्मारुआ/बुरबक सरहले, कोदो बिहले/बिदहले.- बेवकूफ क़ो तारीफ और अनाज क़ो साफ करने से कार्य पूर्ण होता है।

139. आन के सुनर बर पानी के हिलोरा, आपन कुरूप वर अचरा के कोरा.- दूसरे का कीमती समान किसी काम का नहीं अपनी छोटी /तुच्छ वस्तु कीमती होता है।

140. जहाँ लूट पड़े तहाँ  टूट पड़े, जहाँ मार पड़े वहाँ भाग पड़े.- मौके का फायदा उठाना।

141. ली सेकर दी ना, खाई सेकर गाई ना, चोरी करी धराई ना.- धूर्त आदमी।


कुछ भोजपुरी गीत✍️


भगवान कईले ना, 
कवनो गलती भारी।
जाने काहे समाज देहलस, 
चूड़ी बिंदी साड़ी।

  पथर गिरल छाती पर, 
आग लागल माटी पर। 
पर्दा गिरल बा, 
सभे केहू के आखि पर।

अग्नि परीछा हमेशा, 
दिहे काहे सीता।
काहे झूठ भईल, 
बाइबल कुरान आ गीता।

 कही लगावल जाता रेट, 
त कही जरावल जाता फेस।
कसईया अइसन बेसहलस टेट
दुलारी चढ़ गइली फांसी के भेट।😓

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