रविवार, 6 फ़रवरी 2022

बीपीएससी मुख्य परीक्षा (BPSC Main Exam) में अच्छा उत्तर कैसे लिखें। How to write a good answer in BPSC Main Exam.

प्रश्न के अनुसार उत्तर दें 

प्रश्न में जैसा पुछा गया है उत्तर वैसे ही लिखना है ना कि अपनी जानकारी के अनुसार

Cool, Break and Hit का प्रयोग करें

  • COOL:- प्रश्न मिलने के उपरांत शांत मन से उसका अध्ययन करें।
  • BREAK:- प्रश्न कितने खंडों में पूछा गया है उसको देखना है। 
  • HIT:- प्रश्नों का अध्ययन एवं ब्रेक करने के उपरांत उसका उत्तर लिखना शुरू करेंगे। 
प्रारूप:- 

  1. भूमिका - अधिकतम 08 लाइन
  2. विस्तार - अधिकतम 04 या  05 परागार्फ (Main Body)
  3. निष्कर्ष/समीक्षा - अधिकतम 07 लाइन
300 से 400 शब्दों का प्रयोग करना है 

संतुलित उत्तर दें 

क्रमबद्धता का ध्यान देना है 

मानचित्र, आरेख एवं चार्ट का प्रयोग करने का प्रयास करें। 

उत्तर साफ-साफ लिखने का प्रयास करें 

पैराग्राफ एक जगह से हमेशा शुरू करें 

शुद्धता पर ज्यादा ध्यान दें इसके लिए हम समानार्थी शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं।

उदाहरण:- 

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बिहार में जन भागीदारी का वर्णन कीजिए।

उतर:- द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि में भारत में सबसे व्यापक एक जन आंदोलन के रूप में 1942 की क्रांति को देखा जाता है संपूर्ण भारत में फैले इस आंदोलन में विभिन्न क्षेत्रों ने बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया इसी क्रम में बिहार के जनभागीदारी का महत्वपूर्ण योगदान रहा क्योंकि बिहार के विभिन्न वर्गों उदाहरण स्वरुप छात्र, युवा, किसान मजदूर वर्ग, महिला एवं आजाद दस्ता की महत्वपूर्ण भूमिका रही

           भारत में सबसे महत्वपूर्ण क्रांति के रूप में 1942 के आंदोलन को देखा जाता है यह जन व्यापकता के रूप में एक महत्वपूर्ण आंदोलन थासंपूर्ण भारत में फैले इस जन आंदोलन में बिहार की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही क्योंकि बिहार के विभिन्न लोगों ने इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया।

        09 अगस्त 1942 से शुरू इस आंदोलन में हम देखते हैं कि छात्रों की भूमिका बहुत अग्रणी रही इसी क्रम में 11 अगस्त को सचिवालय पर राष्ट्रीय झंडा फहराने के क्रम में 07 छात्रों की हत्या कर दी गई जिसे हम इतिहास के पन्नो में सात शहीद के नाम से जानते हैं 15 अगस्त 1947 को बिहार के राज्यपालश्री जयराम दास दौलतराम ने अखण्ड बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिन्हा की उपस्थिति में इसी जगह पर शहीद स्मारक की आधारशिला रखी एवं विश्व विख्यात कलाकार देवी प्रसाद राय चौधरी के द्वारा कांसे की प्रतिमा भी स्थापित हुई यहां हम इस आंदोलन में छात्र प्रधान को देख पाते हैं छात्रों के साथ-साथ इस आंदोलन में युवा वर्ग का भी विशेष योगदान रहा। युवाओं के विद्रोह को देखते हुए सारण जिला को विद्रोही जिला तक घोषित कर दिया गया था युवाओं ने ट्रेनों को रोक कर स्वराज के नाम से उसे चलाया।

          विभिन्न छात्र एवं युवा वर्ग के अलावे बिहार की महिलाओं ने भी इसमें भाग लिया उनके द्वारा जुलूस निकाला गया धरना प्रदर्शन की गई "पुलिस हमारे भाई है" का नारा दिया गया इस दरमियान कई महिलाओं को जेल की यातनाएं भी सहनी पड़ी किसान एवं मजदूर वर्ग ने भी इस आंदोलन में भाग लिया। वे सभी युवा वर्ग का साथ दिये उनके द्वारा विभिन्न धरना-प्रदर्शन एवं विरोध में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना सुनिश्चित की गई इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण योगदान आजाद दस्ता का रहा जयप्रकाश नारायण द्वारा गठित इस आंदोलन ने छापा मार पद्धति से अंग्रेजों की कमर तोड़ दी इस आजाद दस्ता में भी देखे तो हम पाते हैं कि इसमें भी महत्वपूर्ण भूमिका युवाओं की ही रही है 

         उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि भारत में हुए 1942 की क्रांति में बिहार के विभिन्न वर्गो का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस योगदान के क्रम में हम देखते हैं कि भारत के अन्य राज्यों में अंग्रेजो के द्वारा इस आन्दोलन को दमनकारी नीति के तहत दबा दिया गया था लेकिन बिहार में यह आंदोलन लंबा चला और इसकी परिणीति यह रही की हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

डोकलाम गतिरोध क्या है? इसके अंतर्निहित कारण क्या थे? भारत में इससे राजनायिक रणनीतिक मंच पर क्या सीखा? क्या इस प्रकार के विवादों को सुलझाने में गांधी दर्शन उपयोगी हो सकता है यदि हां तो कैसे?

उतर:- भूटान सीमा क्षेत्र में स्थित डोकलाम पर जब एक अतिविस्तार वादी नीति के माध्यम से चीन ने अपनी सीमा विस्तार का प्रयास किया तो भारत के द्वारा उसका विरोध किया गया एवं भारत ने अपनी सेना वहां तैयार की एवं इस क्रम में चीन के साथ जो गतिरोध उत्पन्न हुआ उसी का नाम दिया गया डोकलाम गतिरोध इस डोकलाम गतिरोध को हम निम्नलिखित मानचित्र के द्वारा समझ सकते हैं।


           यदि हम अंतर्निहित कारण की बात करें तो हम पाते हैं कि भारत एवं भूटान के मध्य रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं जिसके अंतर्गत भारत भूटान की सीमा के अंदर होने वाले किसी भी प्रकार के अतिक्रमण को रोकने का प्रयास करेगा इसी क्रम में भारत ने चीन को रोकने का प्रयास किया भारत को अपनी उत्तरी पूर्वी क्षेत्र को जोड़ने वाली रेखा को चिकन नेक के नाम से जाना जाता हैं। यदि इस रेखा को अवरुद्ध कर दिया जाए तो भारत अपनी उत्तरी पूर्वी क्षेत्र प्रवेश नहीं कर सकता। यह प्रतिरोध भूटान की सुरक्षा के लिए जरूरी था ही वही अपनी सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था। इसे हम बिंदुवार भी लिख सकते हैं- 

  1. यह गतिरोध लगभग 3 महीने से ऊपर तक चला और इसकी समाप्ति तब हुई जब चीन डोकलाम से पीछे हटा 
  2. इससे भारत की एक रणनीतिक जीत हुई और कहीं ना कहीं इससे भारत को बहुत कुछ सीखने को मिला 
  3. डोकलाम से चीन को पीछे हटने से यह सिद्ध हो गया की यह भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक जीत है। इस जीत ने भारत के आत्मविश्वास को बढ़ाया।  
  4. भारत को यह भी सीखने को प्राप्त हुआ कि युद्ध ही एकमात्र विकल्प नहीं है कई बार रणनीति के तहत योजना बनाने से भी जीत पक्की हो सकती है 
  5. सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक साथ मिलकर इस मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखें। 
  6. जनता का पूर्ण समर्थन एवं चीनी वस्तुओं के बहिष्कार ने चीन को पीछे हटने पर विवश कर दिया। 
  7. भारत का वैश्विक स्तर पर इस घटना का प्रचार एवं  वैश्विक समूह देशो से समर्थन प्राप्त करना यह भी भारत को प्राप्त हुआ। 
       इस प्रकार के गतिरोध को सुलझाने में गांधी दर्शन काफी हद तक उपयोगी सिद्ध हो सकता है यह कैसे होगा इन्हें हम निम्न बिंदुओं के माध्यम से देखते हैं- 
  1. गांधी की स्वदेशी नीति काफी हद तक प्रभावी हो सकती है जब भारतीय जनता स्वदेशी को प्रोत्साहन देगी एवं विदेशी वस्तुओं अर्थात चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करेगी तो यह एक प्रकार से आर्थिक दबाव चीन पर पड़ेगा और वह इस प्रकार के समस्याओं से बचने का प्रयास करेगा 
  2. यदि भारत शांति एवं अहिंसा का पालन करता है जो गांधी जी के विचार  थे तो चीन के साथ मधुर संबंध बनाया जा सकता है ताकि ऐसे गतिरोध से बचा जा सके।
  3. गांधी जी का जो अंतरराष्ट्रीयवाद का सिद्धांत है उस  सिद्धांत के माध्यम से वैश्विक समाज को जोड़ने एवं वैश्विक समुदाय का समर्थन प्राप्त करने से उनको ऐसे गतिरोध से दूर रखा जा सकता है 
        उपरोक्त परिचर्चा से स्पष्ट है कि गांधीवादी विचारों से ऐसे विवादों का समाधान निकाला जा सकता है लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि दोनों देश तत्परता के साथ इन विचारों को स्वीकार करें क्योंकि युद्ध का समापन मजबूत इच्छाशक्ति से ही हो सकता है। गतिरोधो का समापन दोनों के सम्मिलित प्रयास से ही हो सकता है। भारत एवं चीन जैसे देश जो दोनों आज विकास की पटरी पर साथ-साथ दौड़ रहे हैं जरुरी है कि दोनों मिलकर ऐसी समस्याओं से निपटने का प्रयास करें।

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