सोमवार, 4 अक्तूबर 2021

खिड़कियों को दरवाज़ों से ज़्यादा सुंदर होना चाहिए⁣।



खिड़कियों को ⁣
दरवाज़ों से ज़्यादा सुंदर होना चाहिए⁣

दरवाज़ों से मुझे एक भय रहता है⁣

कभी तुम निकलो⁣

और न लौट सको फिर कभी मेरी तरफ⁣

इसलिए, मैं इन खिड़कियों को सजाता रहता हूँ ⁣

उन स्मृतियों की तरह ⁣

जिनसे तुम्हारे जाने का कोई भय नहीं⁣

कभी-कभी जब दरवाज़े के बंद होते ही ⁣

कमरे में भरने लगता है अँधेरा⁣

तब मन सरकने लगता है⁣

खिड़की से झांकते उजाले की ओर⁣

खिड़कियां,⁣ हर बंद होते कमरे की उम्मीद है⁣

खिड़कियाँ उन स्मृतियों की तरह भी है⁣

जिनसे कूद कर आ सकता है बचपन⁣

जिनसे छन कर आती धूप ⁣

मिटा सकती है मन की सिलन⁣

बाहर चहकती किसी चिड़िया की आवाज़⁣

गिरा सकती है ⁣

अचानक तुम्हारी उदासी की दीवार⁣

और तुम लौट सकते हो फिर से⁣

जीवन की ओर⁣

जीवन से भरे हुए।⁣

-हेमन्त परिहार


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