केरल के पारंपरिक भित्ति-चित्र कलात्मक कौशल और रचनात्मक उत्कृष्टता को अभिव्यंजित करने वाली ललित कला है। केरल के ज्यादातर प्रमुख भित्ति चित्र 15वीं से 19वीं शताब्दी के बीच बनाए गए हैं। इस्तेमाल की गई तकनीक और सौंदर्यशास्त्रीय मानकों के मामले में वे उत्कृष्टता के प्रतीक माने जाते हैं।
भित्ति चित्र क्या होता है?
भित्ति-चित्र एक कलाकृति होती है जो सीधी दीवारों, छतों या अन्य किसी स्थायी आधारपृष्ठ पर बनाई जाती है। भित्ति-चित्रों में दिया गया स्थान की स्थापत्य के तत्व इसकी रचना में बड़े ही लयात्मक तरीके से प्रयुक्त होता है। भित्ति-चित्रों में केरल के भित्ति-चित्र लालित्य के मामले में अपना एक अलग स्थान रखते हैं।
प्राचीन भारतीय पौराणिक विवरणों के आधार पर निर्मित इन भित्ति-चित्रों के सबसे बड़े संग्रह के साथ केरल की तुलना हम राजस्थान के साथ कर सकते हैं। केरल के कुछ भित्ति-चित्र 8वीं सदी तक पुराने हैं। आज दीवारों पर चित्रकारी करने की परंपरा की जगह कैनवास, पेपर या कागज पर की जाने वाली चित्रकारी ने ले ली है।
भित्ति-चित्रकारी में प्रयुक्त सामग्री जैसे कि रंग, ब्रश, गोंद आदि सभी विभिन्न प्रकार के खनिजों और पौधों आदि प्राकृतिक स्रोतों से जुटाई जाती थी। केरल के भित्ति-चित्रों में प्रयुक्त होने वाले सबसे प्रमुख रंग केसर-लाल (गेरुआ-लाल), केसर-पीला (गेरुआ-पीला), हरा, लाल, सफेद, नीला, काला, पीला और सुनहरा-पीला हैं।
प्रत्येक भित्ति-चित्र अपनी कला के प्रति कलाकारों के गहन समर्पण का प्रतीक है। केरल के शानदार मंदिर और महल देखने लायक हैं जिनमें प्राचीन हिंदू देवी-देवताओं के वृत्तांत प्रस्तुत किए गए हैं। केरल के भित्ति-चित्र कलामेजुत्त और पटयणी जैसी प्राचीन द्रविड़ प्रथाओं के प्रभावों से उद्भूत हुए हैं। केरल के भित्ति-चित्र अपनी सूक्ष्म अभिव्यक्ति, तीक्ष्णता और अलौकिक सौंदर्य में अद्वितीय हैं।
केरल में पाए जाने वाले भित्ति-चित्रों में सबसे पुराने तिरुनंतिक्करा गुफा मंदिर में निर्मित हैं जो अब पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में पड़ता है। केरल का सबसे बड़ा भित्ति-चित्र फलक- गजेंद्र मोक्ष आलप्पुष़ा जिले में कायमकुलम के पास कृष्णापुरम पैलेस में है। हिंदू महाकाव्य रामायण और भागवत के दृश्यों वाले व्यापक भित्ति-चित्र एरणाकुलम जिले के मट्टान्चेरी पैलेस में प्रदर्शित हैं। एट्टुमानूर के शिव मंदिर के भित्ति-चित्र द्रविड़ भित्ति-चित्रकला के आदि रूप की झलक पेश करते हैं।
जीवन भर के लिए एक विस्मरणीय स्मृति के रूप में केरल के भित्ति-चित्र प्राकृतिक सौंदर्य और लालित्य, भव्यता और सरलता तथा पवित्र आस्था के प्रतीक हैं। यही विनम्रता वह चीज है जिसने इस कला को सभ्यता और समय के थपेड़ों से बचाकर आज तक सुरक्षित रखा है।
Kerala Mural
The traditional murals of Kerala are fine arts expressing artistic skill and creative excellence. Most of the major murals of Kerala were made between the 15th and 19th centuries. They are considered the epitome of excellence in terms of technology used and aesthetics standards.
What is a mural painting?
A mural is an artwork that is made on straight walls, ceilings or any other permanent base. The architectural elements of the given place in the murals are used in a very lyrical way in its composition. Among the murals, the murals of Kerala hold their own place in terms of elegance.
We can compare Kerala with Rajasthan with the largest collection of these murals based on ancient Indian mythological details. Some of the Kerala murals date back to the 8th century. Today the tradition of painting on walls has been replaced by painting done on canvas, paper or paper.
The materials used in the murals such as paint, brushes, gum, etc., were all collected from different types of minerals and plants, etc., from natural sources. The most prominent colors used in Kerala murals are saffron-red (ocher-red), saffron-yellow (ocher-yellow), green, red, white, blue, black, yellow and golden-yellow.
Each mural is a symbol of the deep dedication of the artists towards their art. Kerala's splendid temples and palaces are worth a visit, depicting the stories of ancient Hindu gods and goddesses. The frescoes of Kerala are derived from the influences of ancient Dravidian practices like Kalamejutta and Patayani. The murals of Kerala are unique in their subtle expression, sharpness and ethereal beauty.
The oldest of the murals found in Kerala are those built in the Tirunantikkara cave temple, now in the Kanyakumari district of the neighboring state of Tamil Nadu. The largest fresco panel in Kerala - Gajendra Moksha is in the Krishnapuram Palace near Kayamkulam in Alappuzha district. Extensive murals containing scenes from the Hindu epics Ramayana and Bhagavata are on display at the Mattancherry Palace in the Ernakulam district. The frescoes of the Shiva temple at Ettumanoor give a glimpse of the primitive form of Dravidian mural painting.
As an unforgettable memory for a lifetime, the murals of Kerala are the epitome of natural beauty and elegance, grandeur and simplicity and sacred faith. It is this humility that has saved this art from the ravages of civilization and time and has kept it safe till date.
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