बुधवार, 27 अक्टूबर 2021

भारत के प्रमुख ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल।

  •  अमरनाथ गुफा - कश्मीर 
  • सूर्य मन्दिर (इसे ब्लैक पगोडा भी कहा जाता हैं।) - कोणार्क 
  • वृहदेश्वर मन्दिर – तन्जौर 
  • दिलवाड़ा जैन मन्दिर - माउंट आबू (राजस्थान)
  • वृन्दावन गार्डन – मैसूर 
  • चिल्का झील - ओड़ीसा 
  • अजन्ता की गुफाएँ - औरंगाबाद (महाराष्ट्र)
  • ताजमहल - आगरा (उत्तर प्रदेश)
  • इण्डिया गेट - दिल्ली 
  • काशी विश्वनाथ मन्दिर - वाराणसी 
  • साँची का स्तूप – भोपाल (मध्य प्रदेश) 
  • आमेर दुर्ग - जयपुर 
  • इमामबाड़ा - लखनऊ 
  • गोमतेश्वर श्रवणबेलगोला - कर्नाटक 
  • बुलन्द दरवाजा - फतेहपुर सीकरी 
  • अकबर का मकबरा - सिकन्दरा, आगरा
  • मालाबार हिल्स – मुम्बई 
  • शान्ति निकेतन - कोलकाता 
  • रणथम्भौर का किला - सवाई माधोपुर 
  • आगा खां पैलेस - पुणे 
  • महाकाल का मन्दिर - उज्जैन 
  • कुतुबमीनार - दिल्ली 
  • एलिफैंटा की गुफाएँ - मुम्बई 
  • अकबर का मकबरा - सिकन्दरा, आगरा 
  • जोग प्रपात – मैसूर 
  • निशात बाग - श्रीनगर 
  • मीनाक्षी मन्दिर - मदुरै 
  • स्वर्ण मन्दिर - अमृतसर 
  • एलोरा की गुफाएँ - औरंगाबाद 
  • हवामहल - जयपुर 
  • जंतर-मंतर - दिल्ली एवं जयपुर 
  • शेरशाह का मकबरा - सासाराम, बिहार
  • एतमातुद्दौला - आगरा 
  • सारनाथ - वाराणसी के समीप 
  • नटराज मन्दिर - चेन्नई 
  • जामा मस्जिद - दिल्ली 
  • जगन्नाथ मन्दिर - पुरी (उड़ीसा)
  • गोलघर - पटना (बिहार)
  • विजय स्तम्भ – चित्तौड़गढ़ 
  • गोल गुम्बद - बीजापुर
  • विजय स्तम्भ – चित्तौड़गढ़
  • गोलकोण्डा - हैदराबाद 
  • गेटवे ऑफ इण्डिया - मुम्बई 
  • जलमन्दिर - पावापुरी (बिहार) 
  • बेलूर मठ - कोलकाता 
  •  दखमा/टावर ऑफ साइलेंस - मुम्बई 

        दखमा या 'टॉवर ऑफ साइलेंस' (निस्तब्धता का दुर्ग) पारसियों के कब्रिस्तान को कहते हैं। यह गोलाकार खोखली इमारत के रूप में होता है जिसमें शव कौओं, चीलों आदि के खाने के लिए फेंक दिये जाते हैं। यहां पर पारसी लोग अपने मृत जनों का अंतिम संस्कार करते हैं। पारसी समुदाय में मृत शवों को न ही जलाया जाता है और न ही दफनाया जाता है, बल्कि उन शवों की चील, कौओं और अन्य पशु-पक्षियों के लिए आहार स्वरूप छोड़ दिया जाता है।
          दरअसल, पारसी पृथ्वी, जल और अग्नि को बहुत पवित्र मानते हैं, इसलिए समाज के किसी व्यक्ति के मर जाने पर उसकी देह को इन तीनों के हवाले नहीं करते। इसके बजाय मृत देह को आकाश के हवाले किया जाता है। मृत देह को एक ऊंचे बुर्ज (टावर ऑफ साइलेंस) पर रख दिया जाता है, जहां उसे गिद्ध और चील जैसे पक्षी खा जाते हैं। इस ऊंचे या शव निपटान के स्थान को “दाख्मा” कहते हैं और पूरी प्रक्रिया को “दोखमेनाशीनी” कहा जाता है। मुंबई के मालाबार हिल पर एक टावर ऑफ साइलेंस स्थित है। मालाबार हिल्स मुंबई का सबसे पॉश इलाका है। यह चारों ओर से घने जंगल से घिरा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि इसका निर्माण 19 वीं सदी में हुआ था। टावर ऑफ़ साइलेंस में केवल एक ही लोहे का दरवाज़ा है। टावर का ऊपरी हिस्सा खुला रहता हैं, जहां शवों को रखा जाता है।
-wikipedia.

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