क़सूर नींद का नही जो आती नही,
क़सूर तो सपनों का हैं जो सोने नही देते।
“तू ख़ुद की खोज में निकल"
तू किसलिए हताश है।
तू चल तेरे वजूद की,
समय को भी तलाश है।
जो तुझसे लिपटी बेड़ियाँ,
समझ न इनको वस्त्र तू।
ये बेड़ियाँ पिघाल के,
बना ले इनको शस्त्र तू।
तू ख़ुद की खोज में निकल…
🙏😊🙏
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