सोमवार, 25 अक्टूबर 2021

वर्तमान परिदृश्य पर सटीक बैठता दोहा


गुरु शिष्य बधिर, अंध का लेखा। 

एक न सुनहि, एक नहीं देखा।


गुरु और शिष्य में अंधे और बहरे का सबंध हैं। गुरु ज्ञान की दृष्टि से अंधा है तथा शिष्य गुरु की बात सुनने को तैयार नहीं हैं। 

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