सोमवार, 25 अक्टूबर 2021

उड़ीसा के पट-चित्र (Patchitra of Odisha) हिन्दी एवं English Notes.

      17वीं शताब्दी के लगभग उड़ीसा की स्थानीय चित्रकला मुगल, दक्षिणी तथा विजयनगर शैलियों के आंशिक प्रभाव को लेकर विकसित हुई। इस शैली में अप्रभ्रंश शैली का अन्तराल-विभाजन, मुगल शैली का रेखांकन, विजयनगर शैली की आकार-योजना तथा दक्षिणी कला के आलंकारिक तत्त्व का सम्मिश्रण उड़ीसा की इस लोक कला शैली के साथ दर्शनीय है।

        17वीं शताब्दी के पश्चात् इस कला शैली का विकास उड़ीसा के पट-चित्रों के रूप में हुआ। इसमें विषयवस्तु की दृष्टि से राधाकृष्ण के कथानकों का आधिक्य (excess) है। प्रकृति चित्रण इसके पृष्ठभूमि में बहुलता से हुआ है जिसमें वृक्षों का चित्रण दर्शनीय है। ये चित्र प्रायः कपड़े पर लोक शैली में साधारण रूप में बनाये गये हैं। इस शैली पर कालीघाट के पटचित्रों तथा कम्पनी शैली का प्रभाव भी परिलक्षित होता है। कालीघाट पटुआ चित्रों की तरह ही इस शैली के चित्र भी जगन्नाथपुरी आने वाले पर्यटक तथा तीर्थयात्री खरीद कर ले जाते थे। यही कारण था कि बड़े पैमाने पर इन चित्रों की रचना हुई। यह शैली आज भी उतनी ही लोकप्रिय है जितना अपनी उत्पत्ति के समय थी।

Patchitra of Odisha

    Around the 17th century, the local painting of Orissa developed with partial influence from the Mughal, Southern and Vijayanagara styles.  In this style, the inter-division of the Aprabhramsa style, the drawing of the Mughal style, the shape-plan of the Vijayanagara style and the fusion of the figurative element of the southern art is visible with this folk art style of Orissa.


   After the 17th century, this art style developed in the form of paintings of Odissa.  In this, there is an excess of Radhakrishna's stories in terms of content.  Nature depiction is done in abundance in its background, in which the depiction of trees is visible.  These paintings are usually made on cloth in a simple form in folk style.  The influence of the Patachitras of Kalighat and the Company style is also reflected on this style.  Like the Kalighat Patua paintings, the paintings of this style were also bought and taken by the tourists and pilgrims visiting Jagannathpuri.  This was the reason why these paintings were created on a large scale.  This style is as popular today as it was at the time of its origin.

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