रविवार, 8 मई 2022

मातृत्व दिवस पर विशेष। Mother's Day special.

 


      अपना सब कुछ लुटा कर सामान्य लोग क्या जब स्वयं ईश्वर भी हारा हुआ महसूस करता हो, जब इस संसार को रचने वाले में भी आगे चलने की हिम्मत नहीं बचती हो उस समय भी अपने बच्चों के लिए सर्वस्व लुटाकर मुस्कराने की हिम्मत ब्रह्मांड🌏 में सिर्फ़ और सिर्फ़ माँ👩🏻‍🍼को है।


      यह हिम्मत या कहें शक्ति सिर्फ़ माँ ही तो कर सकती है।

इसलिए हमको लगता है इस ब्रह्मांड🌏 को बनाने वाला रचयिता भी एक माँ के आगे एकदम बौना है।


सोच कर देखिए, क्या प्रसव पीड़ा से भी असह्य कोई पीड़ा है ?


नहीं न!!!


फिर भी इस पीड़ा के बाद जब हम-सब जनमते हैं तो उस बेहोशी की हालत में भी माँ के होंठ काँपते नहीं है बल्कि वे होंठ और माँ का रोम-रोम हमारे स्वागत में व्याकुल होते हैं।


यही माँ है। माँ, माई अउरी मम्मी।


संदीप से सैंडी, श्याम से सैम, गिरीश से गैरी तो आँख झपकते अपना दिनेशवा डैनी बन जाता है।

.....पर जानते हैं महतारी और माई से होते हुए माँ, मम्मी या फिर मॉम ही क्यों न हो जाए पर उसका ममत्व अपने बच्चे के लिए हवा और पानी के रासायनिक समीकरण की तरह होता है जो कभी नहीं बदलता और कभी नहीं बदलेगा।


आकाश अनंत है, सागर अथाह होते हैं, हिमालय बहुत विशाल होता है परन्तु ये सभी माँ के सामने बहुत तुच्छ हैं, बहुत छोटे हैं। इन सब में किसी के पास सृजन की क्षमता नहीं है।

माँ का आँचल उस आकाश से भी अनंत और विस्तृत होता है जो हमारे बचपन की विशालता को भी समेट लेता है।

    माँ का हृदय उस सागर से भी अथाह होता है जिसकी गहराई में कई योजन समुंदर समा जाएँ।


एक बात और।


एक टीवी इंटर्व्यू देखा था कभी, आज उस माँ को भूल गए फिर लिखने✍️ का क्या फ़ायदा।


किसी स्टेशन पर किसी प्रगतिशील बच्चे ने अपनी माँ को ले जाकर छोड़ दिया था।

माँ वहीं स्टेशन पर पड़ी रही और वह मूर्ख प्रगतिशील बच्चा अपने प्रगति के पथ पर बढ़ चला।

बात मीडिया को पता चला तो वहाँ माँ के लिए कम और टीआरपी के लिए अधिक, रिपोर्टर पहुँच गए।


कई सवाल हुए पर एक सवाल का जवाब शायद हम मर जाने के बाद भी नहीं भूल पाएँगे।


जानते हैं, क्या?


रिपोर्टर ने जब पूछा कि आपका बेटा तो आपको छोड़कर चला गया, आप क्या सोच रही हैं?

माँ का जवाब था:- कुछ नहीं, अभी वो बच्चा है देर सबेर संभल जाएगा।

ऐसे प्रश्नों के ऐसे जवाब देने की औक़ात सिर्फ़ और सिर्फ़ माँ को है और किसी को नहीं।


इसलिए हम कहते हैं न हिंदी बस पढ़िए, दिवस मनाने का बोझ नहीं रहेगा। वैसे ही माँ से बस मुहब्बत💓 किया जाए फ़ोटो डालने और दिवस मनाने का बिल्कुल दबाव नहीं होगा।


लव यू🥰  सभी महतारी, माई, माँ और मम्मियों को।🙏


विकाश✍️


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